तेरी मेरी मोहब्बत
खाक हो जाती
गर तू वादा ना करती
इसी जन्म में मिलने का
एक अरसा हुआ
तेरे वादे पर ऐतबार
करते - करते
पल- छिन्न युगों से
लम्बे हो गए हैं
मगर तेरे वादे की
इन्तिहाँ ना हुई
आज जान जाने को है
आस की हर लौ
बुझने को है
तुझे पुकारता है प्यार मेरा
याद दिलाता है वादा तेरा
क्या भूल गयी हो जानाँ
मोहब्बत की तपिश से
वादे को जलाना
मेरी आवाज़ की
स्वर लहरी पर
हर रस्मो- रिवाज़ की
जंजीरों को तोड़कर
आने के वादे को
क्या भूल गयी हो
धड़कन के साथ
गुंजार होते मेरे नाम को
देख , मुझे तो
तेरी हर कसम
हर वादा
आज भी याद है
ज़िन्दगी की आखिरी
साँस तक सिर्फ
तुझे चाहने का
वादा किया था
और आज भी
उसे ही निभा रहा हूँ
इसी जन्म में
मिलन की बाट
जोह रहा हूँ
तेरे वादे की लाश
को ढोह रहा हूँ
अब तो आजा जानाँ
यारा
मुझे मेरे यार से
मिला जा जानाँ
मेरे प्यार को
मेरे इंतज़ार को
अमर बना जा जानाँ
बस एक बार
आजा जानाँ
बस एक बार…………
29 टिप्पणियां:
मोहब्बत की इन्तहाई को दर्शाती...... बहुत ही खूबसूरत कविता....
bhut khub vandna ji hrdy ki bhavnaao ki jis tarah se shabdo ki sarlta se aap ne vyakt kiya hai adbhud hai
मिलन की बाट
जोह रहा हूँ
तेरे वादे की लाश
को ढोह रहा हूँ
saadar
praveen pathik
9971969084
बहुत सुन्दर !
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं.....सुन्दर रचना है।बधाई।
वादों, यादों और रस्मेंमुहब्बत की
दुहाई देती एक शानदार रचना!
बढ़िया प्रयास,
बधाई!
बहुत अच्छी पोस्ट ....
धन्यवाद
mohabbat ki tadap ko khubsurat shabd diye hain aapne.sundar rachna.
मिलन की बाट
जोह रहा हूँ
तेरे वादे की लाश
को ढोह रहा हूँ
bahut sunder... pyar ko shidaat se jiya hai.. intjaar kiya hai...
एक और सुन्दर प्रेम-रस में डूबी कविता !
मुहब्बत से भरी एक सुन्दर रचना
Kitni inkisaari hai is rachaname! Bahut khoob alfaaz!
अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! बहुत सुन्दर !
बहुत ही खूबसूरत कविता!
आजा जानाँ
बस एक बार…………
शब्द तारतम्य और भाव बेहतरीन
बहुत बेहतरीन!!
bahut khub
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
बहुत रूमानी सी नज़्म है...मिलाने की तड़प लिए....सुन्दर शब्दों का संयोजन किया है..
milan ki pyas waah kya baat hai
कमाल का लिखती हैं आप!भावनाओं को उचित आकार देने के लिए बहुत -बहुत शुक्रिया !
आपकी भावुकता के क्या कहने .अभिव्यक्ति को थोडा सा तराशो
आपकी भावुकता के क्या कहने .अभिव्यक्ति को थोडा सा तराशो lalu12345
किस कदर भावनाओं को प्रदर्शित किया जा सकता है काई वन्दना जी से सीखे बहुत ही अच्छी रचना
आपकी यह कविता पढ़कर एक पुरानी फिल्म के गीत की दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं :
'प्रेम की पीड़ा सच्चा सुख है,
प्रेम बिना ये जीवन दुःख है !"
वैसे निरालाजी ने एक जगह लिखा है--
"प्रेम यही है कि प्रेम कुछ नहीं है !"
मन करता है, इन दोनों दृष्टान्तों में किसी पर यकीन न करूँ, बस आपकी इस कविता में व्यक्त निर्दोष भावनाओं का विश्वास करूँ; क्योंकि भावना के बिना तो कोई रिश्ता, कोई सम्बन्ध सुस्थिर ही नहीं होता !
साभिवादन--आ.
intezar...mohabbat ka sabse bada tohfa hai ..fir chacha ghalib kah gaye hain ..
"tere vaade pe hum jiyo to , ye jaan jhooth jaanaa
ke khushi se mar na jaate, agar aitbaar hota..
hi, vandana ji
kya baat hai, aap kitna mast likhti ho
bahut hi sundar abhivykti hai,
intjar ki had paar karna isi ko kahte hain
shayad mohabbat yahi hoti hai
yahi pyaar ka pagalpan bhi hota hoga
bahut khoob
shukriya achchhi rachna padhane ke liye,
वंदना जी,
मान ना पड़ेगा, आपके हीरो में हिम्मत है!
इंतज़ार की भी कोई हद है या नहीं?
अच्छी लगी मुझे ये खुद को ख़ाक करने की जिद.....
किसी की यादों में जीना .. जीते रहना ... आने की प्रतीक्षा में ... आसान नही होता ...
बहुत ही गहरे एहसास जीती रचना ...
एक टिप्पणी भेजें