तेरी ख़ामोशी
जब बातें करती है
मुझसे
बस वहीं धडकनें
रूक जाती हैं
जो तुझसे
नहीं कह पातीं
वो अफसाने
मेरे कानो में
बयां कर जाती हैं
कभी तेरा
तितलियों सा
उड़ना
कभी तूफ़ान सा
मचलना
कभी खग सदृश
आकाश में उड़ना
कभी यादों के
कटहरे में
सजायाफ्ता
मुजरिम सा
खामोश ठहर जाना
कभी मेघों सा
गरजना
कभी वेणी में गुंथे
पुष्पों सा महकना
और फिर कभी- कभी
कांच की तरह टूटे
ख्वाबों सा तेरा टूटना
कभी किसी
रुके दरिया सा
ख़ामोशी का सन्नाटा
कभी आँख से गिरे
अश्क सा मिटटी
में मिल जाना
तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने
40 टिप्पणियां:
waah bhaut hi khubsurat...bahut sundarta se abhivyakt kia hai aapne ahsason ko.
sach bat hai khamoshi he khamoshi ke sath bahut kuch kah jate hai. . . . ik bahut aache kavita ke liye dher sari badhai
क्या बात है , बहुत खूब लिखा है आपने , लाजवाब अभिव्यक्ति लगी , शब्दो का संयोजन भी काबिले तारिफ रहा ।
jab ham khamosh hote hei to ankhen bat karti hei......khamoshi sab kuch keh jati hei...achi lagi kavita
"तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
तेरी ख़ामोशी मुझे
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे"
वाह वाह - पता नहीं "तेरी ख़ामोशी" जैसे कितने नगीने संजोये रखे हैं आपने अपने "कविता-खजाने" में - शानदार कविता के लिए बधाई.
सच में वंदना जी अंतस से अंतस का भाव समझने की योग्यता तभी आ सकती है ,, जव द्वैत होते हुए भी दो जान एकिकार हो ,,,मिलन की महत्ता समेटे अद्भुद रचना
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सच में वंदना जी अंतस से अंतस का भाव समझने की योग्यता तभी आ सकती है ,, जव द्वैत होते हुए भी दो जान एकिकार हो ,,,मिलन की महत्ता समेटे अद्भुद रचना
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
वाह वाह!! बहुत बेहतरीन खामोशी की जुबां.
Khamoshi itna kuchh kah sakti hai to samvedansheel manhi use sun sakta hai!
खामोशी जब कहती है तो बहुत कुछ कहती है.
सुन्दर भाव
बहुत ही सहज रूप में शब्दों को पिरोया है ....लाजवाब अभिव्यक्ति है !!
CONGRATES VANDANA...
bahut sundar rachna....sundar abhivyakti.....shabdo ka sundar samanvay......sach hi kaha kisi ne SILENCE SPEAKS MORE THEN WORDS.....
tumhari is rachna ne in shabdo ko sabit kar dia...congrates again...
शानदार शब्द-संयोजन और उसमे अनुस्यूत भाव अपना व्यापक प्रभाव छोड़ते हुए.... वंदनाजी, एक अच्छी रचना पाठक से स्वयं संवाद करती है खामोशी से... ! आभार !!
साभिवादन--आ.
बता फिर कैसे
कोई जिंदा रहे
और धडकनों की
आवाज़ सुने
वाह!
bata phir kaise koi zinda rahe, aur dhadkanon ki awaz sune. wah kya baat hai, vandana ji , bahut sade shabdon men ..............wah.
लाजवाब अभिव्यक्ति के साथ.... बहुत सुंदर रचना....
...सुन्दर भाव ...सुन्दर रचना ...खूबसूरत अभिव्यक्ति!!!
बेहतरीन भाव को प्रस्तुत करने में कोई कमी नही की आपने..जितने सुंदर भाव उससे बढ़ कर सुंदर शब्द जो भाव को रूप दिए है....कविता बहुत अच्छी लगी..बधाई
बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना प्रस्तुत किया है! बेहद पसंद आया!
Vandna ji behatreen lagi ye kavita bhi.. aapki lekhni me paripakvata aa chuki hai, kyonki prem kavitayen lekhnee ko dhaar dene ka kaam karti hain ab is dhardar qalam ko anya samvednayon, darshan aur samaz par chalaiye.. :)
वन्दना जी
आपने तो खामोशी की परिभाषा ही बयां कर दी बहुत सुन्दर रचना
सुमन’मीत’
तेरी खामोशी
जब बातें करती है
तो ना जाने क्या क्या कह देती है....बहुत खूबसूरती से धडकनों को बुना है ....सुन्दर अभिव्यक्ति
bahut hi khoobsurat rachna,kabhi kabhi khamoshee bhi bahut kuchh kah jaati hai,,
VIKAS PANDEY
http://vicharokadarpan.blogspot.com/
atulneey abhivykti.
Waah! bahut hi sundar behad dilkash khamoshi ke rup bayaan kiye aapne pad kar mugdh ho gae ...Aabhar!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बेहद खूबसूरत कविता !
खामोशी स्वयं में एक अभिव्यक्ति है, जिसमें पिरोया है सब कुछ !
आभार ।
Behad sundar Abhivyakti hai....!!
Aapko pahale bhi comment ka try kiya tha lekin ho nahi paya ...yakin maniye bahana nahi hai:)
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत लाजवाब रचना.
रामराम.
बहुत खूब बेहतरीन लिखा है आपने ख़ामोशी की भी अपनी एक अदा है शुक्रिया
chalo sunte hain dhadkanon ko
jo tham gai hai baat dil tak
uske raaj kholen
khamoshi kitni saari juban jaanti hai!!!!!!!!!!!!!
bahut khub !!!!badhaai ....
"तेरी ख़ामोशी
जब बातें करती है
मुझसे
बस वहीं धडकनें
रूक जाती हैं
जो तुझसे
नहीं कह पातीं
वो अफसाने
मेरे कानो में
बयां कर जाती हैं..."
खामोशी के बहुत सुन्दर उपमान पेश किये हैं...एक उम्दा रचना। आभार!!
bahut pasand aayi aapki khamoshi ki aawaaz..
sundar si kavita hai ye..
bahut pasand aayi aapki khamoshi ki aawaaz..
sundar si kavita hai ye..
सुंदर रचना, आपको बधाई
सच है खामोशी की ज़ुबान होती है ... सन्नाटे में भी उनकी चीख सुनाई देती है ... अच्छा लिखा है बहुत ही ...
teri khamosee bahoot khoob rahi
.
काफी गहरे विचार। बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर लिखा है...
कभी किसी
रुके दरिया सा
ख़ामोशी का सन्नाटा
कभी आँख से गिरे
अश्क सा मिटटी
में मिल जाना
तेरे हर पल
हर लम्हे की
दास्ताँ सुना जाती हैं
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