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रविवार, 28 फ़रवरी 2010

किससे करें बरजोरी........कैसे खेलें होली ?

होली होली
खेलें होली
रंगों की है
बरजोरी
चलो चलो
सब खेलें होली
आवाज़ ये
आ रही है
दिल को मेरे
दुखा रही है
कैसी होली
कौन सी होली
कौन से रंगों से
करें बरजोरी
कहीं है देखो
रिश्तों के
व्यापार की होली
कहीं है प्यार के
इम्तिहान की होली
कहीं पर देखो
जाति की होली
कहीं है भ्रष्टाचार
की होली
कोई तो फेंके
बमों के गुब्बारे
कहीं पर है
नक्सलिया टोली
लहू का पानी
डाल रहे हैं
नफरतों के
बाज़ार लगे हैं
सियासती चालों की
होली खेल रहे हैं
दाँव पेंच सब
चल रहे हैं
बन्दूक की
पिचकारी बना
निशाना दाग रहे हैं
देश को कैसे
बाँट रहे हैं
ये कैसी होली
खेल रहे हैं
लहू के रंग
बिखेर रहे हैं
केसरिया भी
सिसक रहा है
टेसू के फूलों से
भी जल रहा है
हरियाली भी
रो रही है
अपना दामन
भिगो रही है
अमन शान्ति का
हर रंग उड़ गया है
आसमान भी
बिखर गया है
माँ भी लाचार खडी है
अपनों के खून से
सनी पड़ी है
बेबस निगाहें
तरस रही हैं
जिसके बच्चे
मर रहे हों
आतंक की भेंट
चढ़ रहे हों
जो घात पर घात
सह रही हो
तड़प- तड़प कर
जी रही हो
जिस माँ को
अपने ही बच्चे
टुकड़ों में
बाँट रहे हों
वो माँ बताओ
कैसे खेले होली
जहाँ दिमागों पर
पाला पड़ गया हो
स्पंदन सारे
सूख गए हों
ह्रदयविहीन सब
हो गए हों
अपनों के लहू से
हाथ धो रहे हों
बताओ फिर
कैसे खेलें होली
किसकी होली
कैसी होली
किससे करें
बरजोरी
अब कैसे खेलें होली ?

28 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

वंदना जी होली के माध्यम से आज की विशमताओं को खूब अच्छे ढंग से लिखा है। आपको व परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन , आपने होली के पावन अवसर पर रंगो के बहाने सच्चाई उकर कर रख दिया । बहुत ही उम्दा रचना , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामाएं ।

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

अच्छा लिखा है आपने
"किसकी होली
कैसी होली
किससे करें
बरजोरी
अब कैसे खेलें होली ?"
सार्थक प्रश्न उठाये हैं आपने.
- विजय

M VERMA ने कहा…

किसकी होली
कैसी होली
किससे करें
बरजोरी
अब कैसे खेलें होली ?
वाकई ये प्रश्न नहीं हैं आईना हैं
सार्थक रचना

पंकज ने कहा…

काऊ ते खेलो, पर खेलो जरूर. और कौउ न होये तो अपने ही संग खेलो. होली की शुभकामनायें.

समय चक्र ने कहा…

होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये और ढेरो बधाई ...

Narendra Vyas ने कहा…

उम्दा रचना|
आपको व परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

holi par desh ki samajik sthiti ki ka sahi darshan, sunder samyik abhivyakti.

अजय कुमार ने कहा…

आपको तथा आपके समस्त परिजनों को होली की सतरंगी बधाई

Kusum Thakur ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई !!

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

होली के इन रंगो से अवगत कराने के बाद भी, होली की शुभकामनाए!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जहाँ दिमागों पर
पाला पड़ गया हो
स्पंदन सारे
सूख गए हों
ह्रदयविहीन सब
हो गए हों
अपनों के लहू से
हाथ धो रहे हों
बताओ फिर
कैसे खेलें होली
किसकी होली
कैसी होली

समाज में घटित हो रहे घटना चक्र को पने बोली के माध्यम से मार्मिकरूप से चित्रण किया है!

होली की रंगभरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें!

Preeti tailor ने कहा…

aapko holi ki hardik shubhkamnaayen ...rangoka tyauhar aapke jivan me naye taaze rang bhare...

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

पी के शर्मा ने कहा…

भल्‍ले गुझिया पापड़ी खूब उड़ाओ माल
खा खा कर हाथी बनो मोटी हो जाए खाल
फिरो मजे से बेफिक्री से होली में,
मंहगाई में कौन लगाए चौदह किला गुलाल
http://chokhat.blogspot.com/

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर ने कहा…

जब कोई बात बिगड़ जाए
जब कोई मुश्किल पड़ जाए तो
तो होठ घुमा सिटी बजा सिटी बजा के
बोलो वंदनाजी,"आल इज वेल"
हेपी होली .
जीवन में खुशिया लाती है होली
दिल से दिल मिलाती है होली
♥ ♥ ♥ ♥
आभार/ मगल भावनाऐ
महावीर
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
ब्लॉग चर्चा मुन्ना भाई की
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

hamesha ki tareh satye ko ukerti aapki rachna bahut acchhi hai.

holi ki shubkaamnaye.

KSS Kanhaiya (के एस एस कन्हैया) ने कहा…

सामयिक, मार्मिक, सुन्दर और सोचने को मजबूर करती कविता. सुन्दर रचना. आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
रंग-पर्व हमारे और हमारे प्रियजनों के जीवन में प्रेम, करुणा, सुख, शान्ति, समृद्धि, सफलता, उत्कर्ष के सप्त वर्ण इन्द्रधनुष का उन्मेष करे और हमें अन्यों के जीवन में रंग भर सकने की क्षमता, इच्छा, तथा अभिप्रेरणा दे.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर, होली की घणी रामराम.

रामराम.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

वंदना जी,
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत-बहुत बधाई...

आपको आतिथ्य सत्कार संतरालय दे दिया गया है...
जय हिंद...

Himanshu Pandey ने कहा…

साथ ही चलते रहते हैं सभी अनगिन कार्य-व्यापार !
हम कहाँ ठहरते हैं क्लेश को पकड़कर ! फाग-रंग सारा क्लेश धो डालता है क्षण भर के लिये !
होली की हार्दिक शुभकामनायें \

شہروز ने कहा…

बहुत ही सटीक अंकन...और बरजोरी शब्द का प्रयोग तो अद्भुत है..

बावजूद आत्मीयता से सराबोर मुबारक मेरी तरफ से ....

SURINDER RATTI ने कहा…

Vandana Ji,
Holi ke shubh avsar per likhi aapki kavita satrangi vichaar pesh kar rahi hai....
HOLI KI SHUBH KAAMYAEIN

SURINDER RATTI

adil farsi ने कहा…

sach hi kaha hai.. yatharth kavita..BADHAI..

रचना दीक्षित ने कहा…

एक बहुत अच्छी पोस्ट दिल को छू गयी. एक एक दर्द सही ढंग से उकेरा है

आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामाएं ।

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut hi behtrin....prashtuti.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सुन्दर, सार्थक प्रश्न उठाती रचना. बधाई.

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

वाह वंदना मुझे जब कोई कविता यथार्त को इंगित करते हुए लिखी जाती है ना जाने क्यों ह्रदय में उतरती सी चली जाती है ,,, वर्तमान समय में समाज में फैली विषमता और उथल पुथल के हर पक्ष को जिस तरह से आप ने शब्द दिए है मै नतमस्तक हूँ
कहीं पर देखो
जाति की होली
कहीं है भ्रष्टाचार
की होली
कोई तो फेंके
बमों के गुब्बारे
कहीं पर है
नक्सलिया टोली
लहू का पानी
डाल रहे हैं
नफरतों के
बाज़ार लगे हैं
सियासती चालों की
होली खेल रहे हैं
दाँव पेंच सब
चल रहे हैं
बन्दूक की
पिचकारी बना
निशाना दाग रहे हैं
देश को कैसे
बाँट रहे हैं
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084