पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

बुधवार, 30 सितंबर 2009

आ मेरी चाहत .................


मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ
तुझे ख्वाबों के
सुनहले तारों से
सजा दूँ
तेरी मांग में
सुरमई शाम का
टीका लगा दूँ
तुझे दिल के
हसीन अरमानों की
चुनरी उढा दूँ
अंखियों में तेरी
ज़ज्बातों का
काजल लगा दूँ
माथे पर तेरे
दिल में मचलते लहू की
बिंदिया सजा दूँ
अधरों पर तेरे
भोर की लाली
लगा दूँ
सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ

34 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर लगी आपकी यह चाहत .बढ़िया लिखा है आपने ...

राकेश कुमार ने कहा…

किसी प्रेमी की अपनी प्रेयसी के लिये किसी एक दिवस के भिन्न भिन्न कालो के द्वारा श्रिन्गारिक उपमा देते हुये सजीव कल्पना जैसे पन्क्तियो मे साकार हो उठी है.

सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ

अन्त की चार पन्क्तियो मे प्रेमी की अपने प्रेयसी को दुल्हन के रूप मे प्राप्त करने की बलवती इच्छा इस कविता को जैसे सकारात्मकता प्रदान करती प्रतीत होती है.

उम्दा कविता, प्रतीको के माध्यम से भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति.

बधाई.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

"आ
मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ"

सुन्दर अभिव्यक्ति है।

मगर,

"तेरी मांग में
सुरमई शाम का
टीका लगा दूँ"

शाम के सुरमई टीके की जगह
प्रात: की उषा का सिन्दूर क्यों नही लगाया।

राकेश कुमार ने कहा…

किसी प्रेमी की अपनी प्रेयसी के लिये किसी एक दिवस के भिन्न भिन्न कालो एवम अन्य प्रतीको के द्वारा श्रिन्गारिक उपमा देते हुये सजीव कल्पना जैसे पन्क्तियो मे अपने अद्भुत स्वरूप मे साकार हो उठी है.

सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ

अन्त की चार पन्क्तियो मे प्रेमी की अपने प्रेयसी को दुल्हन के रूप मे प्राप्त करने की बलवती इच्छा इस कविता को जैसे सकारात्मकता प्रदान करती प्रतीत होती है.

उम्दा कविता, प्रतीको के माध्यम से भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति.

बधाई.

पी के शर्मा ने कहा…

चाहत को चाहे कितना ही सजाओ संवारो
पूरी हो न हो ये बड़ी विचित्र होती है
चुनरी से ढको या शाम के टीके लगाओ
बेसुरा गाओ या सुर में गाओ
चाहे जो प्रयास करो
ये भी पता नहीं लगता कब और कैसे आती है
पर चाहत तो चाहत ही रह जाती है।

Mishra Pankaj ने कहा…

आ मेरी चाहत तुझे दुल्हन बना दू . उम्दा

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

Vandanaji.
बहुत सुन्दर कविता.
बधाई.

Mohinder56 ने कहा…

सुन्दर प्रेम रस में डूबी आशावादी कविता है..

वाणी गीत ने कहा…

चाहत का दुल्हन वेश बढ़िया है ...!!

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut pyaari kavita , aapne to bhaavo ko shabd de diya hai ji
badhai sweekar kare,

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

ras bhari rachna. badhai.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

bahut hi sunder poem ........................ chahat pe yeh kavita bahut achchi lagi........

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह क्या बात है चाहत को दुल्हन बना दिया। बहुत प्यारी सी लिखी है यह रचना। आपकी खूबी यही है कि आपके पास रचनाएं लिखने के लिए विषयों की कमी नही है। हम सोचते रह्ते है और आप लिख देती है।

मनोज कुमार ने कहा…

कमाल की चाहत है। आपकी चाहत का काव्यात्मक रंग देखकर एक शेर की दो पंक्तियां पेश है
ये तो करिश्मा है लोगों की चाहत का, वरना
आज पत्थर को ताजमहल कौन कहता।

प्रिया ने कहा…

bahut khoob..... sunder chahat aur suner prastuti

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत सुन्दर है आपकी रचना

daanish ने कहा…

mn ke ek-ek armaan ki
bahut hi sundar abhvyaktee
mn-mohak rachnaa . . .

---MUFLIS---

दर्पण साह ने कहा…

chahat ko dulhan ?

wah wah !!

"rang mazi ke jab bhi chatakh se hue,
hum tasavvur ki surat banate rahe.
"

Gurinder Singh Kalsi ने कहा…

Bahut sundar kavita... Congrats...

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह आ मेरी चाहत तुझे दुलहन बना दूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है वन्दना आज तक की बेहतरीन रचना बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपने अपनी चाहत में जीवन के रंग भर दिए हैं ,.......... लाजवाब लिखा है ..

admin ने कहा…

बहुत खूबसूरत भाव।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Naveen Tyagi ने कहा…

bahut sundar rachna hai.

Preeti tailor ने कहा…

आप जिंदगीसे कितनी उम्मीदें करती है और उसे कितने रंगों से सजाती है ,बहुत अच्छा लगता है ....

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर ढंग से आपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है।शुभकामनायें।
हेमन्त कुमार

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! इस बेहतरीन और शानदार रचना के लिए बधाई!

Unknown ने कहा…

achchha likti hain aap sundar bhawon ke liye badhai.

रचना दीक्षित ने कहा…

काश ये सब कुछ सच हो जाता और हम इसे महसूस करने की जगह देख पाते
सुंदर अभिव्यक्ति
मेरा ब्लॉग भी देखें rachanaravindra.blogspot.com

रचना दीक्षित ने कहा…

काश ये सब कुछ सच हो जाता और हम इसे महसूस करने की जगह देख पाते
सुंदर अभिव्यक्ति
मेरा ब्लॉग भी देखें rachanaravindra.blogspot.com

Apanatva ने कहा…

badee hee bhav-bheenee rachana .badhai

vikram7 ने कहा…

खूबसूरत भावो से युक्त सुन्दर रचना

Unknown ने कहा…

सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ:::::::
वाह बहुत खूब
आपने चाहत को इतने सुन्‍दर शब्‍दों में संजोया है कि मैं निशब्‍द हो गया हूं।।।।।

Unknown ने कहा…

सिर पर तेरे
प्रीत का
घूंघट उढा दूँ

मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ:::::::
वाह बहुत खूब
आपने चाहत को इतने सुन्‍दर शब्‍दों में संजोया है कि मैं निशब्‍द हो गया हूं।।।।।

Unknown ने कहा…

अंखियों में तेरी
ज़ज्बातों का
काजल लगा दूँ
माथे पर तेरे
दिल में मचलते लहू की
बिंदिया सजा दूँ
vandanaji
bahut hi sunder bhavyakti hai ye apne pyar ke liye aapne subah shaam ke saath saath aapke man mein uth rehe bhavoo ka samjasya ker bahut hi adhbhut kavita rachi hai ..badhai ...