कौन कहता है
अच्छे दिन नहीं आये
देखिये तो ज़रा
कितने अच्छे दिन आ गए
चोर उच्चक्के सब बिलों में दुबक गए
चोरी डाके सब बंद हो गए
लूटपाट सीनाजोरी का बाजार नर्म हो गया
झूठ मक्कारी दगाबाजी जाने कहाँ सो गए
बलात्कार के किस्से तो बस स्वप्न हो गए
खाप हो या आप हो सबकी जुबानों पर ताले लग गए
कैसी कायापलट हो गयी
राम और अल्लाह की नज़र एक हो गयी
चारों तरफ देखो तो
रामराज्य की तूती बोल गयी
अब थानों में केस दिखाई नहीं देते
अदालतों में मुलजिमों के शोर सुनाई नहीं देते
बकरी और शेर एक घाट पर पीते पानी हैं
यही तो भैया अच्छे दिनों की निशानी हैं
न यहाँ बाढ़ आती है
न भूकंप
और न ही कोई त्रासदी
किसान आत्महत्या एक जुमला भर रह गया है
देखो तो जरा मेरा मुल्क कैसे संवर गया है
और ये सब यूँ ही नहीं हो गया है
ये सब नसीबवालों के नसीब का ही तो बोलबाला है
वो मन की बात कहते हैं
और सब मन से सुन लेते हैं
वो योगा करवाते हैं
विश्व में नाम कमाते हैं
ये सब काम ऐसे ही नहीं हो जाते हैं
अच्छे दिनों की आमद ऐसे ही होती है
जुबानी जमा खर्च पर ही तो सत्ता चला करती है
तभी तो देखो जरा
कितना सुशासन आ गया है
कहीं भैंस तो कहीं मुर्गी ढूँढने का काम
ही तो पुलिस का रह गया है
देखा
सरहद पर
चारों तरफ कितनी अमन शांति व्याप्त है
उग्रवादी आतंकवादी बस शब्द भर रह गए हैं
वो जानते हैं
कैसे नाम कमाना है
विश्व भ्रमण कर विश्व में डंका बजवाना है
तभी तो ख्वाब में ही सही मेरा भारत विश्वशक्ति बन गया है
मन की बात कहने से ही तो
अच्छे दिनों की आमद होती है
तो मान जाओ भैया
ये सब अच्छे दिनों का तोहफा है
जो नसीबवालों के नसीब से ही होता है
अच्छे दिन नहीं आये
देखिये तो ज़रा
कितने अच्छे दिन आ गए
चोर उच्चक्के सब बिलों में दुबक गए
चोरी डाके सब बंद हो गए
लूटपाट सीनाजोरी का बाजार नर्म हो गया
झूठ मक्कारी दगाबाजी जाने कहाँ सो गए
बलात्कार के किस्से तो बस स्वप्न हो गए
खाप हो या आप हो सबकी जुबानों पर ताले लग गए
कैसी कायापलट हो गयी
राम और अल्लाह की नज़र एक हो गयी
चारों तरफ देखो तो
रामराज्य की तूती बोल गयी
अब थानों में केस दिखाई नहीं देते
अदालतों में मुलजिमों के शोर सुनाई नहीं देते
बकरी और शेर एक घाट पर पीते पानी हैं
यही तो भैया अच्छे दिनों की निशानी हैं
न यहाँ बाढ़ आती है
न भूकंप
और न ही कोई त्रासदी
किसान आत्महत्या एक जुमला भर रह गया है
देखो तो जरा मेरा मुल्क कैसे संवर गया है
और ये सब यूँ ही नहीं हो गया है
ये सब नसीबवालों के नसीब का ही तो बोलबाला है
वो मन की बात कहते हैं
और सब मन से सुन लेते हैं
वो योगा करवाते हैं
विश्व में नाम कमाते हैं
ये सब काम ऐसे ही नहीं हो जाते हैं
अच्छे दिनों की आमद ऐसे ही होती है
जुबानी जमा खर्च पर ही तो सत्ता चला करती है
तभी तो देखो जरा
कितना सुशासन आ गया है
कहीं भैंस तो कहीं मुर्गी ढूँढने का काम
ही तो पुलिस का रह गया है
देखा
सरहद पर
चारों तरफ कितनी अमन शांति व्याप्त है
उग्रवादी आतंकवादी बस शब्द भर रह गए हैं
वो जानते हैं
कैसे नाम कमाना है
विश्व भ्रमण कर विश्व में डंका बजवाना है
तभी तो ख्वाब में ही सही मेरा भारत विश्वशक्ति बन गया है
मन की बात कहने से ही तो
अच्छे दिनों की आमद होती है
तो मान जाओ भैया
ये सब अच्छे दिनों का तोहफा है
जो नसीबवालों के नसीब से ही होता है
4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-06-2015) को "योग से योगा तक" (चर्चा अंक-2021) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
अच्छे दिनों की अच्छी व्याख्या
कौन कहता है
अच्छे दिन नहीं आये
देखिये तो ज़रा
कितने अच्छे दिन आ गए ...
बहुत बढ़िया वंदना जी! कम शब्दों में अच्छे दिनों का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने! बधाई ...
व्यंगात्मक अंदाज में लिखी रचना ... मस्त ...
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