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शुक्रवार, 5 जून 2015

प्रधानमंत्री बीमा योजना........तेरा ही चून तेरा ही पुन

प्रधानमंत्री बीमा योजना तो लगता है काफी कारगर रहेगी .

वो कैसे ?

देखो १८ साल से ७०  साल तक के लोग इसका फायदा उठा सकते हैं तो सभी दौड़ लगा रहे हैं बैंक की तरफ और करा रहे हैं १२ रूपये में अपना बीमा जिसका फायदा बीमा कंपनी को ही तो होगा न तो हो गयी न कारगर और सब सरकार के गुण गायेंगे ये सरकार तो बहुत अच्छी है सबका बीमा करवा दिया तो एक पंथ दो काज निबटाये जा रहे हैं .

अच्छा , लेकिन खुलकर बताओ  कैसे कारगर होगी ?

देखो , ७० साल कि उम्र तक ही मरना पड़ेगा क्योंकि उसके बाद मरे तो पीछे वालों को कुछ नहीं मिलेगा और बेकार में आपके १२ रूपये भी मोरी में चले जायेंगे .

वो कैसे भाई ?

वो ऐसे कि एक तो हर साल १२ रुपये जमा कराओ उस पर  १२ रूपये में से ११ तो जो बीमा कम्पनी है वो ले जायेगी बचा एक रुपया उस बैंक को जाएगा जहाँ तुमने अकाउंट खोला है और बीमा कराया है तो तुम्हें क्या मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू !

तो तुम्हारा कहने का मतलब है ७० से पहले मरने पर ही बीमित राशी मिलेगी मगर कोई कैसे अनुमान लगा सकता है कि वो कब मरेगा .........आखिर मृत्यु के बारे में कैसे जानें कोई उपाय हो तो बताओ भाई .

तो सुनो एक ही आखिरी उपाय बचता है , किसी प्रकांड ज्योतिषी की शरण में चले जाओ , जो लाल किताब का सम्पूर्ण ज्ञाता हो तो फिर अक्षरक्षः सही उम्र का पता चल जाएगा फिर सोच समझ कर बीमा करवाना बेकार में विदेशियों का पेट हम क्यों भरें यहाँ तो अपने खाने के लाले पड़े हुए हैं वहां वो उनका पेट भरने में लगे हैं .

बात तो तुम्हारी सही है मगर ये तो बताओ उसे खोजें कहाँ और मान लो मिल भी गया तो जितना बड़ा नाम होगा उसका उतना ही बड़ा दाम होगा ?

हाँ वो तो होगा ही मगर उसमे तुम्हें परेशानी क्या है ?

अरे भाई , यदि उसने बताया जल्दी मरोगे अर्थात ७० से पहले तब तो सही है मगर उसके बाद मरोगे तो मेरे तो जीते जी ही मेरा पैसा मिटटी हो जाएगा और उस ज्योतिषी की जेब में चला जाएगा. फिर उसकी फीस भी तो कितनी मोटी होगी क्या पता ? अब १२ रूपये से कम तो होगी नहीं न जो ये रिस्क उठाऊँ ? 

बात तो पते की कही तुमने मगर सोचो जरा इसमें देश का पैसा देश में रहेगा जबकि वहां तो विदेशी के हाथों चला जाएगा . सोचो जरा यहाँ तो वैसे ही प्रधानमंत्री ने जन धन योजना के जरिये सभी का अकाउंट खुलवा दिया है तो करोड़ों अकाउंट खुल चुके हैं ऐसे में ११ से गुना करोगे तो कितने अरबों रुपया तो उनके खाते में चला ही गया एडवांस में और करोड़ों रुपया १ रूपये के हिसाब से बैंक के खाते में चलो बैंक के खाते में जाए तो कोई नहीं कम से कम अपने देश में तो है लेकिन बाकि का सोचो वो तो गया न १२ के भाव . फिर यदि कोई मरता भी है तो सौ कानूनी लफड़े , सौ पेंच इसी में उलझा रहेगा और जब तक ये जंग जीतेगा उतना पैसा तो लगा चूका होगा बीमित राशी  पाने में तो क्या फायदा होगा उससे तो अच्छा है भैये एक बार बड़े ज्योतिष के पास जाकर सुनिश्चित कर लेना कम से कम तसल्ली तो रहेगी जो राशी लगायी है वो मयसूद वापस मिल जाएगी . सिर्फ विदेशी बीमा कंपनी को ही फायदा नहीं होना चाहिए बल्कि अपना भी हो तब तो फायदा है वर्ना तो मुफ्त में भी नुक्सान कोई क्यूँ उठाये भला . हमारे १२ रूपये कोई फ़ालतू के थोड़े हैं जो यूँ ही बीमा करवाते रहे और बाद में खाली हाथ रहे . 

अरे भाई ऐसा तो मैंने सोचा ही नहीं था , तुम तो बहुत होशियार हो जो मेरी आँखें खोल दीं अब तो इसका प्रचार प्रसार रेडियो टीवी अखबार आदि में होना चाहिए ताकि समय रहते सबको चेताया जा सके . यूँ ही नहीं कोई अपने पैसे का दुरूपयोग होने दे . 

हाँ हाँ जल्दी करो ऐसा ही 

मगर एक बात बताओ भाई यदि भविष्यवाणी फेल हो गयी तो ?

तो भी क्या कौन सी सभी भविष्यवाणियाँ फेल होती हैं कोई इक्का दुक्का होगी भी तो भी भला तो देश के लोगों का ही होगा न , उनका इन्वेस्टमेंट मिटटी के भाव तो नहीं जाएगा , अब इतना रिस्क तो उठाना ही पड़ेगा . ज्योतिषियों की भविष्यवाणी कोई मौसम विभाग थोड़े हैं जो हर भविष्यवाणी फेल हो . सोचो भला यदि इनकी सभी भविष्यवाणी यदि फेल होतीं तो इनका धंधा बताओ कैसे चलता . अरे भाई इनकी तो रोजी रोटी है तो आकलन ज्यादातर सही ही उतरते हैं और फिर कहते हैं जहाँ सबका भला हो रहा हो तो एक की कुर्बानी दी जा सकती है तो फिर भैये निकल पड़ो इस अभियान पर , अब सोचना क्या . आखिर देश की बात है और तुम ठहरे राष्ट्रप्रेमी . कैसे देश हित की नहीं सोचोगे और देशहित में कैसे नहीं कदम उठाओगे . आखिर देश की नाक का सवाल है क्योंकि वो तो विदेशियों पर देश से ज्यादा भरोसा करते हैं तो क्या तुम अपने देश के लिए अपनों पर भरोसा नहीं कर सकते ? आखिर ये हमारे रुपये की इज्जत का सवाल है . तुम्हें उसकी नाक बचानी होगी अपनी पूँजी वापस लानी होगी और उसके लिए कुछ तो कुर्बानी सभी को देनी पड़ती हैं यदि तुम भी दे दोगे तो नाम इतिहास में अमर हो जाएगा . वो देखो 'प्रधानमंत्री बीमा योजना का नया पहलू दिखाने वाला है वो' चलो उसे सलाम ठोको , फिर देखना कैसे फर्शी सलाम ठोकेगी दुनिया तुम्हारे आगे .देखना कैसे जीरो से एक दिन में हीरो बन जाओगे , हर टीवी चैनल पर तुम ही तुम छाओगे , हर अखबार के पहले पेज पर तुम्हारी ही तस्वीर होगी साथ ही साथ इससे ज्योतिषियों की भी निकल पड़ेगी . 

और गज्जू भविष्य के ख्वाब गुनता चल पड़ा मिशन पर ..........

ये है मेरा हिंदुस्तान जिसे जहाँ चाहे जैसे चाहे जो चाहे जब चाहे घुमा दे और घूमने वाले को पता ही न चले आखिर उसके साथ हुआ क्या है .बस कान हाथ घुमाकर पकड़ा दिया जाता है तो भी किसी को कुछ समझ नहीं आता है .तेरा ही चून तेरा ही पुन वाला मुहावरा शायद ऐसे ही लोगों के लिए बना है . 



आज के हमारा मेट्रो में प्रकाशित आलेख 

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-06-2015) को "गंगा के लिए अब कोई भगीरथ नहीं" (चर्चा अंक-1999) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सही लि‍खा है..सोचना चाहि‍ए बीमा करवाने से पहले

Ashi ने कहा…

सरल शब्दों में बडी बात कह दी आपने। बधाई।
............
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!

dj ने कहा…

:) बहुत शानदार प्रस्तुति