रात्रि और सूर्योदय के मध्य की बेला में भी
खिल जाया करते हैं जवाकुसुम
गर हसरतों के ताजमहल पर
जला दे कोई एक दिया
भोर के तारे सी किस्मत
अभिमंत्रित नहीं होती
जो चाहतों के सोपानों तक ही सिमट जाए ज़िन्दगी
यहाँ अँधियारा हो
ऐसा भी नहीं है
मगर फिर भी
अभी बहुत दूर है दिन .............
5 टिप्पणियां:
खूबसूरत प्रस्तुति
यहाँ अँधियारा हो
ऐसा भी नहीं है
मगर फिर भी
अभी बहुत दूर है दिन ...........
सुंदर।
बहुत सुन्दर ,मन को छूते शब्द ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
बहुत सुंदर शब्द ,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .!शुभकामनायें. आपको बधाई
कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
bahut badhiya
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