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शनिवार, 19 अप्रैल 2014

जाने किस खुदा का करम हो रहा है


जाने किस खुदा का करम हो रहा है कि घर बैठे ही मुझे बड़ी बड़ी हस्तियों का सानिध्य प्राप्त हो रहा है।

पोस्ट तो आज सुबह ही लग जाती मगर बिटिया के मोबाइल में कुछ क्षण कैद थे तो अब जब वो आई तब लगा पायी हूँ।

कल यानि १८ अप्रैल को राजेश उत्साही जी से एक बेहद आत्मीय और सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुयी। राजेश जी से यूं तो परिचय पिछले ५-६ साल से है जब वो और मैं दोनों ब्लॉगिंग में सक्रिय थे तो आये दिन बात चीत होती रहती थी वो भी कविताओं पर और फिर सहमति और असहमति के दौर चला करते थे तो कल जब वो भोपाल से मेरे घर आये तो सारी यादें ताज़ा हो गयीं क्योंकि उन्हें बंगलौर जाना था तो बीच में ५-६ घंटे का उनके पास वक्त था तो उस वक्त का सदुपयोग इससे बेहतर क्या हो सकता था। काफी बातें हुईं लगा ही नहीं कि पहली बार मिल रहे हैं क्योंकि इस तरह एक दुसरे से परिचित थे। ये मुलाकात शायद आधा पौना घंटा और बड़ी हो सकती थी अगर मुझे जाना न होता। एक जरूरी काम से जाना था इसलिए जल्दी विदा लेनी पड़ी।

कल राजेश जी का समझो पूरा परिचय मिला। यूं तो उनके ब्लॉग पर उनके बारे में पढ़ते रहते थे मगर जब आमने सामने मिलो तो बात ही अलग होती है तब जाना कि इतनी बड़ी हस्ती कितनी विनम्र और सहज है शायद यही इंसान के बड़प्पन की पहचान होती है।

सहज वातावरण में हमने अपनी पुस्तकों का आदान प्रदान भी किया

अब जानिये राजेश उत्साही जी और उनकी सुप्रसिद्ध कविता-आलू मिर्ची चाय जी के बारे में जो बच्चों और अध्यापकों के बीच खासी लोकप्रिय कविता रही है :

‘आलू मिर्ची चाय जी, कौन कहाँ से आए जी?’

यह सुप्रसिद्ध कविता ‘एकलव्य’ से जुड़े रहे साहित्यकार तथा विभिन्न बाल पत्रिकाओं के संपादक रहे राजेश उत्साही द्वारा लिखी गई है। एकलव्य द्वारा प्रकाशित सुप्रतिष्ठित बाल विज्ञान पत्रिका ‘चकमक’ के जुलाई,1985 में प्रकाशित पहले अंक में यह पत्रिका पहली बार प्रकाशित हुई थी। तब उत्साही जी चकमक के कार्यकारी सम्पादक भी थे। पिछले 30 बरसों से यह कविता बच्चों और शिक्षकों के बीच लोकप्रिय है। रूमटूरीड ने इसका पोस्टर प्रकाशित किया है। सीईआईटी और विज्ञान प्रसार ने इस का वीडियो बनाया है। एनसीईआरटी की पांचवीं की आसपास विज्ञान में यह शामिल है। इसके अलावा उत्तराखंड की पांचवीं की हिन्दी की पाठ्यपुस्तक में यह है। हाल ही में ऋषिवैली स्कूल ने अपनी चौथी की किताब में इसे लिया है। दिल्ली के एक निजी स्कूल की किताब में भी है। बहरहाल इसके बहुत सारे किस्से हैं..। इन्हें आप राजेश उत्साही जी के ब्लॉग गुल्लक (यानी उत्साही.ब्लागस्पाट.इन) पर पढ़ सकते हैं।














8 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) में अद्यतन लिंक पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) में अद्यतन लिंक पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर यादगार क्षण :)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति - घणी घणी बधाई।

Unknown ने कहा…

Waah ! mazaa aa gyaa padkar.

Unknown ने कहा…

Waah ! mazaa aa gyaa padkar.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

यादगार मुलाक़ात.

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना