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गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

हमारी ज़िन्दगी में भी ये लम्हा आ ही गया


शोभना सम्मान समारोह---- 2012  आयोजक सुमित प्रताप सिंह , संगीता सिंह तोमर और उनकी माता जी श्रीमति शोभना जी के तत्वाधान में सम्पन्न हुआ । फ़ेसबुक और ब्लोग पर कुछ विषय दिये गये जिन पर अपनी अपनी कवितायें भेजनी थीं और हम ने भी अपनी रचना वहाँ भेजी थी जिसके आधार पर शोभना काव्य सृजन सम्मान --2012 से हमें भी सम्मानित कर सुमित ने हमारा मान बढाया जिसके हम हृदय से आभारी हैं । ब्लोगजगत की मशहूर हस्तियों से मिलना , उन्हें ब्लोगर सम्मान से सम्मानित करना , साथ मे पत्रकारिता और तकनीकी सम्मान से भी कुछ हस्तियों को सम्मानित करना एक गौरवमयी क्षण थे । इसी के अन्तर्गत शोभना काव्य सृजन सम्मान से हमें और बाकी हस्तियों को सम्मानित किया गया जिसमें मुकेश कुमार सिन्हा, पूनम माटिया, ज्योतिर्मयी पंत जी आदि शामिल थे । साथ ही ब्लोग रत्न सम्मान के अन्तर्गत जेन्नी शबनम, उपासना सियाग , मीना , अन्नपूर्णा जी आदि को शामिल किया गया। एक बेहद अनौपचारिक माहौल में औपचारिकताओं को पूर्णता प्रदान करता आयोजन बेहद सुखद था जिसमें सोशल मीडिया के रोल और उसमें हिन्दी के महत्त्व पर भी गोष्ठी का आयोजन किया गया जिस पर उपस्थित माननीय अतिथिगणों ने अपने अपने वक्तव्य रखे और माना कि आज सोशल मीडिया ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है जिसे अपनी पहचान को और पुख्ता करने के लिये कुछ आवश्यक कदम और उठाने होंगे जिनसे सकारात्मकता के साथ संदेशपूर्ण माहौल भी बने और सोशल मीडिया अपनी उपस्थिति पूरी शिद्दत के साथ दर्ज कर सके । सुमित प्रताप सिंह ने पुलिस महकमे मे कार्यरत होते हुये भी जिस संजीदगी से ये आयोजन किया और उसे अंजाम तक पहुँचाया वो बेहद सराहनीय है । जिस प्रकार पहली बार उनके द्वारा ये आयोजन किया गया और उसे एक दिशा प्रदान की गयी वो बधाई और शुभकामनाओं के हकदार हैं कि आगे भी उनके द्वारा इसी तरह के अन्य आयोजन भी होते रहेंगे और उन्हें भी गरिमा मिलती रहेगी।

 राजीव तनेजा जी का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने इस आयोजन की खूबसूरती को अपने कैमरे में संजो कर हमारी यादों और हमारी ज़िन्दगी के अनमोल क्षणों को सुखकर बना दिया





























 इस आयोजन में हमारी जिस कविता के कारण हमें सम्मान मिला वो ये थी :


मुझे इंतज़ार रहेगा .........ओ समाज के ठेकेदारों !
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स्त्री पुरुष

विवादित स्वरुप
सदा से दो गोलार्ध
होता रहा हमेशा
संवेदनाओं का उत्खनन
नहीं हो पायी पहचान 
ना स्त्री ने जाना 
ना पुरुष ने जाना
बस लकीर के फकीर बने
दोनों चलते रहे 
अपने अपने हाशियों पर 
साथ होते हुए भी पृथक 
स्त्री की पवित्रता बनी उसकी देह
आखिर क्यों ?
क्या वो पुरुष जो हुआ दिग्भ्रमित
या जिसने जान बूझकर 
खुद को सौंप दिया 
किसी अनजान बिस्तर को 
क्या वो ना हुआ अपवित्र
फिर ये दोहरा अवलोकन क्यों ?
आचार विचार , मान्यताएं , रस्मों - रिवाज़ 
होते तो दोनों के लिए ही हैं
क्योंकि समाज कभी एक से नहीं बनता
और जब सह अस्तित्व की बात हो 
तो क्यों मापदंड बदल जाते हैं ?
क्या स्त्री का जन्म कोख से ना होकर
किसी श्राप से हुआ है 
जो सिर्फ वो ही उस दुराचार की शिकार बने 
क्या पुरुष जो खुद जान बूझकर 
खाई में उतरा है 
उसका जन्म ही सार्थक है 
क्योंकि वो पुरुष है 
इसलिए सब उसे माफ़ है 
क्यों हैं ये दोहरे मापदंड?
क्यों भरी गयी स्त्री के मन में ये आत्मग्लानि ?
क्यों हर दंश उसके हिस्से में ही आया ?
क्यों नहीं उसे भी समाज की एक 
बराबर की इकाई स्वीकारा गया ?
कहीं ना कहीं , कोई ना कोई तो कारण रहा होगा
रही होगी कहीं कोई दोषपूर्ण व्यवस्था 
जिसने स्त्री को दोयम दर्जा दिया होगा
जबकि शास्त्रों में तो स्त्री को सबसे ऊंचा दर्जा मिला है
फिर क्यूँ उसे देह ही समझा गया है
और भोग्या की छवि से नवाज़ा गया है 
जो कर्म एक के लिए अमान्य है 
वो दूजे के लिए कैसे स्वीकार्य हुआ 
अब ये विश्लेषण करना होगा 
एक नया शास्त्र गढ़ना होगा
और दोषपूर्ण व्यवस्था को बदलना होगा 
तभी स्त्री पुरुष 
विवादित स्वरुप ना रहकर
सह अस्तित्व के महत्त्व को सार्थक दर्शन दे पाएंगे 
और एक नए सभ्य समाज का निर्माण कर पाएंगे
 जैसे 
पुरुष की देह उसकी पवित्रता का मापदंड नहीं
वैसे ही स्त्री की देह भी उसकी पवित्रता का मापदंड नहीं
क्योंकि 
दोनों देह से इतर 
अपने अपने व्यक्तित्व से
आलोकित इन्सान हैं 
जिनके हर कर्त्तव्य और अधिकार समान हैं 
फिर कैसे देह के मापदंड पर पूरा चरित्र कसा जा सकता है 
हो कोई उत्तर तो जवाब देना 
मुझे इंतज़ार रहेगा .........ओ समाज के ठेकेदारों !

22 टिप्‍पणियां:

Saras ने कहा…

वंदनाजी सबसे पहले ढेर सारी बधाईयाँ क़ुबूल कीजिये इस उपलब्धि के लिए ...ईश्वर करे आप ऐसे ही अच्छा लिखती रहे और कई इनाम जीतें .....आपने अपने लेख द्वारा उस फंक्शन को वाकई यादगार बना दिया

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बहुत बधाई वंदना....
सफलता सदा आपके कदम चूमे और रचनात्मकता दिनों दिन बढ़ती रहे...
कन्हैया का प्रेम बरसता रहे आप पर...
:-)

सस्नेह
अनु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही शशक्त प्रभावी रचना वंदना जी ... ओर आपको बहुत बहुत बधाई इस सामान पे ...
सभी चित्र लाजवाब ...

Pratibha Verma ने कहा…


वंदना जी बहुत - बहुत बधाई हो आपको ...वाकई आपकी कवितायें पढ़कर दिल खुश हो जाता है।।
पधारें बेटियाँ ...

shikha varshney ने कहा…

आप सभी को ढेरों बधाई. सुन्दर तस्वीरों और रिपोर्ट के लिए आभार.

संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma ने कहा…

बहुत बहुत बधाई वंदनाजी..इस सम्मान समारोह में मुझे भी 'युगल बलग रत्न' से सम्मानित होने का मौका मिला लेकिन शायद समयाभाव के कारण हम वहां शुभकामनाएं साझा नहीं कर पाए...पुनः बधाई

संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma ने कहा…

बहुत बहुत बधाई वंदनाजी..इस सम्मान समारोह में मुझे भी 'युगल बलग रत्न' से सम्मानित होने का मौका मिला लेकिन शायद समयाभाव के कारण हम वहां शुभकामनाएं साझा नहीं कर पाए...पुनः बधाई

संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma ने कहा…

बहुत बहुत बधाई वंदनाजी..इस सम्मान समारोह में मुझे भी 'युगल बलग रत्न' से सम्मानित होने का मौका मिला लेकिन शायद समयाभाव के कारण हम वहां शुभकामनाएं साझा नहीं कर पाए...पुनः बधाई

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

इस उपलब्धि के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँइस उपलब्धि के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँ
latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ

vandana gupta ने कहा…

@sanjeev sharma ji सही कहा आपने समयाभाव के कारण हम एक दूसरे से परिचित नही हो पाये मगर हम साथ थे एक ही कार्यक्रम का हिस्सा थे ये क्या कम है ……………आपको भी हार्दिक बधाई और भविष्य के लिये शुभकामनायें।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

वंदना जी आपको इस सम्मान के लिए बहुत-बहुत बधाई...रचना भी बहुत ही लाजवाब है ...
शुभकामनाएँ....
:-)

अरुणा ने कहा…

प्रभावी रचना वंदना जी ....आपको बहुत -बहुत बधाई .........

शकुन्‍तला शर्मा ने कहा…

शुभकामनायें.

vijay kumar sappatti ने कहा…

badhayi ho vandna . ye sach me hi bahut sundar baat hai . meri dil se badhayi aur tum hamesha hi aage bado ye hi meri mangalkaamna hai .

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अरे वाह ! बहुत बहुत बधाई। कोई भी सम्मान मिलना एक संतोष प्रदान करने वाली उपलब्धि होती है।
बढ़िया रचना के लिए भी बधाई।

रचना ने कहा…

congrats

Aditi Poonam ने कहा…

वन्दना जी सबसे पहले ढेर सारी बधाइयां और -
शुभ कामनाएं इस सशक्त रचना और सम्मान के
लिए ,चित्र भी रोचक हैं ....
इसे ही लिखती रहें....

Gyan Darpan ने कहा…

आपको इस सम्मान के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएँ |

कल आपसे मुलाकात हुई बहुत सुखद लगा !
Gyan Darpan

संध्या शर्मा ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई...सभी चित्र और रचना भी बहुत ही सुन्दर है...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बहुत बधाई .... यूं ही आपका लेखन परिष्कृत होता रहे .... बेहतरीन रचना ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा प्रभावी अभिव्यक्ति,,,,सम्मान के लिए आपको बहुत -बहुत बधाई,वन्दना जी
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mahaboob aftab ने कहा…

बहुत से प्रश्नों को जीवन्त करती है आपकी कविता..............आपके सम्मान प्राप्त करने पर बधाइ.....