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मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

हाय रे बाब्स! तूने ये क्या किया

हाय रे बाब्स! तूने ये क्या किया 
एक अखाडा यहाँ लगा दिया 
और ब्लोगर्स के बीच घमासान मचा दिया 
तू तो कुछ दिन मे चला जायेगा 
मगर ना जाने किन किन को लडवा जायेगा 
दोस्तों ज़रा बच के रहना
 संभल कर रहना 
ये कठिन डगर है प्यारे 
इसमें फ़ंसते बडे बडे दिग्गज भी प्यारे 
जो ना होना होता वो भी यहाँ हो जाता है 
उस पर बात पहचान की हो 
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तो कुछ भी हो सकता है 
इसलिये कहती हूँ 
रायता तो यहाँ फ़ैलना ही था 
ये तो होना ही था 

पुरस्कार हो या सम्मान 
ब्लोगर की निकलती है जान 
मुझसे आगे कोई कैसे जाये 
कैसे अपना नाम कमाये 
जिसे हम सिर पर बिठायें 
बस वो ही आगे जाये 
जब हो ऐसी सबकी मानसिकता 
फिर कहो तो कैसे ना निकले जान 
अब तुम भी लो मान 
ये तो होना ही था 

गुटबाजी भी बढनी थी 
टाँग् भी खींचनी थी 
कुर्सी से गिराना भी था 
और सबसे बडी बात 
खुद को कर्ता धर्ता
और बैस्ट आलोचक भी बताना था
ताकि हम भी अपनी पह्चान बना सकें 
अपना उल्लू भी सीधा कर सकें 
इस तरह एक नाम अपना भी कमा सकें 

ये ब्लोगजगत है प्यारे 
यहाँ ज़रा संभल कर आना 
और सोच समझ कर ही 
कदम आगे बढाना 
मूंह में राम बगल में छुरी 
लिए यहाँ मिलते हैं 
पीठ पीछे तुममे ही दोष गिनते हैं 
सामने फर्शी सलाम ठोकते हैं 
यहाँ दोगले चेहरे , दोगले चरित्र ही 
ज्यादा दिखते  हैं 
जिनका न दीन ईमान होता है 
बस अपनी पोस्ट और नाम के लिए 
किसी के भी चरित्र का हनन करते हैं 
इसलिए कुछ कहना सुनना  बेकार है 
मान लो मेरी बात प्यारे 
ये तो होना ही था 

जहाँ भी पुरस्कार हो 
उस पर अंतर्राष्ट्रीय पहचान की बात हो 
कैसे कोई हजम कर सकता है 
आरोपों प्रत्यारोपों का यहाँ 
सिलसिला चलता है 
झूठे सच्चे बेनामी 
सभी हथकंडे अपनाये जाते हैं 
बस जी हजूरी करने वाले की ही 
यहाँ जय जय कार  होती है 
सच कहने वाले की तो सिर्फ हार होती है 
इसलिए मान लो मेरी बात 
ये तो होना ही था ...........नादानों 



(अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कौन सा हिन्दी ब्लोग सर्वश्रेष्ठ चुना जायेगा आजकल लेटेस्ट यही ब्लोग्स पर चल रहा है और आरोपों प्रत्यारोपों की बाढ आयी हुई है तो हमारी लेखनी कहाँ खामोश रहने वाली है …………यहाँ के रंग देख उसने भी बहती गंगा में हाथ धो लिये :) कितना समझाओ इसे चुप रहो तुम्हें क्या करना है मगर लेखनी है कि मानती ही नहीं :)  ) 

26 टिप्‍पणियां:

Arun sathi ने कहा…

ISILIYE HAM DUR HE

KHOOB KARARA BYANGY


संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:):) गंगा तो होती ही है हाथ धोने के लिए .... तीखा तीखा :)

रचना ने कहा…

गुटबाजी भी बढनी थी
टाँग् भी खींचनी थी
कुर्सी से गिराना भी था
और सबसे बडी बात
खुद को कर्ता धर्ता
और बैस्ट आलोचक भी बताना था
ताकि हम भी अपनी पह्चान बना सकें
अपना उल्लू भी सीधा कर सकें
इस तरह एक नाम अपना भी कमा सकें

ये ब्लोगजगत है प्यारे
यहाँ ज़रा संभल कर आना
और सोच समझ कर ही
कदम आगे बढाना
मूंह में राम बगल में छुरी
लिए यहाँ मिलते हैं
पीठ पीछे तुममे ही दोष गिनते हैं
सामने फर्शी सलाम ठोकते हैं
यहाँ दोगले चेहरे , दोगले चरित्र ही
ज्यादा दिखते हैं
जिनका न दीन ईमान होता है
बस अपनी पोस्ट और नाम के लिए
किसी के भी चरित्र का हनन करते हैं
इसलिए कुछ कहना सुनना बेकार है
मान लो मेरी बात प्यारे
ये तो होना ही था
--------

अपने ही पेपर में अपना इंटरव्यू छपवाते हैं
उनके आसपास नाचने वाले
तुरंत नाचते हैं
वो डमरू बजाते हैं
मजमा हर बार जुटाते हैं
कभी तुमको चरित्र हीन बताते हैं
कभी रचना का गला काटने की गुहार लगाते हैं
पैसा उनको यहाँ कमाना हैं
घर का चुल्हा हिंदी ब्लोगिंग के इतिहास के पन्नो
से ही जलाना हैं

http://www.blogger.com/comment.g?blogID=507131588328031600&postID=7420757236732560958&isPopup=true

http://mypoeticresponse.blogspot.in/2013/04/blog-post_15.html
http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2013/04/blog-post_15.html

सुज्ञ ने कहा…

यथार्थ!!

इन्सान के अहम का मोहपाश!!

विडम्बना……

इन्सान खुद ही अपने इस चरित्र का निर्माता… पोषक… और विनाशक…!!!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

ए ल्लो....और हमको पता ही नहीं है कुछ!!
वैसे अच्छा ही है !!!

मगर हाँ आपकी टांग खिचाई पढ़ने में मज़ा आया...
:-)
सस्नेह
अनु

Saras ने कहा…

बढ़िया रहा वंदनाजी ...अच्छा लगा यह कटाक्ष

S.M.Masoom ने कहा…

इसका भी अपना एक मज़ा है बस एक हद में रह के होना चाहिए | बोबस भी यह मज़ा लेंगे अब |
http://www.payameamn.com/2013/04/blog-post_15.html

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हल्ला मचा दिया है उस पुरस्कार ने।

shikha varshney ने कहा…

ये तो होना ही था :):).

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मस्त लिखा है ... उयंग अंदाज़ पसंद आया ...
ये तो ब्लॉग-जगत है सब जानते हैं ...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

उम्दा अभिव्यक्ति ..।
कुछ खबर खुलासा से
मुझे तो पता ही नहीं चलता ...

Pratibha Verma ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति !!!
पधारें "आँसुओं के मोती"

रचना ने कहा…

नारी ब्लॉग का नोमिनेशन ब्लॉग एक्टिविस्ट के लिये हुआ हैं जिसकी सूचना मैने पहले ही दे दी हैं .
नोमिनेशन इस लिंक https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/
पर उपलब्ध हैं , वोटिंग ७ मई तक आप कर सकते हैं
वोटिंग करने के लिए आप हर दिन अपने फेसबुक , ट्विट्टर या ब्लोग यु आर एल से कर सकते हैं
वोटिंग करते समय ध्यान देना होगा की आप को पहले लोग इन करना हैं फिर नारी ब्लॉग पर क्लिक करना हैं जहां वोट लिखा हैं https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सुंदर .बधाई .

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

कितना अजीब लगता है कि ये कलम के कलाकार खुद ही दूसरों से आगे निकलने के चक्कर में
पता नहीं क्या क्या लिखे जा है ? सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा . वो ब्लॉग के पटल पर कहाँ पहुंचेगा ये कोई नहीं जानता फिर भी आरोप प्रत्यारोपों के बाण चल रहे है . तुमने सही तस्वीर प्रस्तुत की है.

Sushil Bakliwal ने कहा…

वाकई... ये तो होना ही था.

समयचक्र ने कहा…

bahut sundar samayik ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वोट तो कर दिया है देखे आखिर में कौन बाजी मारता है,,,
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हम तो दो सप्ताह की छुट्टी पर बाहर गये थे और पीछे से सर्वश्रेष्ठ ब्लागर का चुनाव हो गया? माजरा पल्ले पडा नही. पर आपकी ये रचना पसंद आई.

रामराम.

shashi purwar ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

:) Baat To Sahi Hai...

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

देख-देख कर विस्मित हूं -
अपने ब्लाग-जीवन के तटस्थ से तीन सालों से !

सदा ने कहा…

:)

आपकी लेखनी का जादू हर बार नया रंग लाता है

सादर

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आजकल हर जगह गुटबाजी और अव्वल आने की होड़ लगी हुई है | ब्लॉग जगत ही उससे अनछुआ था क्योंकि यहाँ पर अपनी निजी अभिव्यक्ति बिना रोक टोक अपने ब्लॉग पर इंसान कर सकता था | परन्तु अब यहाँ भी लोगों ने तमाशा बनाना शुरू कर दिया है | पहला अवार्ड ढीमकाना अवार्ड | सब के सब चोंचेले और ढकोसले हैं | अपने तो इस गंद से दूर ही अच्छे | आभार सुन्दर रचना के रूप में इसे व्यक्त करने के लिए दी | शुभकामनायें

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Rashmi Swaroop ने कहा…

mai to sochti thi.. jo sab in cheezo se upar uth chuke hai... wahi log blog likhte hain.. :P

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बहुत बढ़िया