तुम ---
खामोश मोहब्बत हो कोई
और मैं ---
जैसे विराम कोई मिल जाये
तुम ----
दहकती ख्वाहिश हो कोई
और मैं---
जैसे बहकता सावन कोई बरस जाये
सिद्धांत लागू हो रहा है हम पर
विपरीत ध्रुवों के आकर्षण का ………है ना !!!!!!!
खामोश मोहब्बत हो कोई
और मैं ---
जैसे विराम कोई मिल जाये
तुम ----
दहकती ख्वाहिश हो कोई
और मैं---
जैसे बहकता सावन कोई बरस जाये
सिद्धांत लागू हो रहा है हम पर
विपरीत ध्रुवों के आकर्षण का ………है ना !!!!!!!
11 टिप्पणियां:
वाह ....नायाब खयाल ...बेहद सुन्दर ...कम शब्दों बड़ी बात ...बहुत बहुत बधाई।
जब तक विपरीत रहें तब तक ही आकर्षण है .... बहुत सुंदर
:) Bahut Sunder
वाह ! क्या बात कही है। बहुत खूब।
प्रकृति रही है अपने मन में..आकर्षण स्वाभाविक है।
प्रकृति के सिधांतों के विपरीत जाना स्वाभाविक नहीं.
सुंदर प्रस्तुति.
kya bat hai vandna ji .bahut khoob .बहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
प्रकृति का नियम ही है बिपरीत धुर्वो के तरफ आकर्षण का,बहुत ही सुन्दर रचना।
:)
एक सत्य आपकी बातों से सहमत
विपरीत लिंगीय आकर्षण प्रकृति का नियम है ! सुंदर अभिव्यक्ति।
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