चाँद
तुम पहले और आखिरी
सम्पुट हो मेरी मोहब्बत के
जानत हो क्यों ?
मोहब्बत ने जब मोहब्बत को
पहला सलाम भेजा था
तुम ही तो गवाह बने थे
शरद की पूर्णमासी पर
रास - महोत्सव मे
याद है ना ............
और देखना
इस कायनात के आखिरी छोर पर भी
तुम ही गवाह बनोगे
मोहब्बत की अदालत में
मोहब्बत के जुर्म पर
मोहब्बत के फसानों पर
लिखी मोहब्बती तहरीरों के
क्योंकि
एक तुम ही तो हो
जो मोहब्बत की आखिरी विदाई के साक्षी बनोगे
यूँ ही थोड़े ही तुम्हें मोहब्बत का खुदा कहा जाता है
यूँ ही थोड़े ही तुम्हारा नाम हर प्रेमी के लबों पर आता है
यूँ ही थोड़े ही तुममे अपना प्रेमी नज़र आता है
कोई तो कारण होगा ना
यूँ ही थोड़े ही तुम भी
शुक्ल और कृष्ण पक्ष मे घटते -बढ़ते हो
चेनाबी मोहब्बत के बहाव की तरह
वरना देखने वाले तो तुममे भी दाग देख लेते हैं
कोई तो कारण होगा
गुनाहों के देवता से मोहब्बत का देवता बनने का ................
वरना शर्मीली ,लजाती मोहब्बत की दुल्हन का घूंघट हटाना सबके बस की बात कहाँ है ......है ना कलानिधि!!!!
तुम पहले और आखिरी
सम्पुट हो मेरी मोहब्बत के
जानत हो क्यों ?
मोहब्बत ने जब मोहब्बत को
पहला सलाम भेजा था
तुम ही तो गवाह बने थे
शरद की पूर्णमासी पर
रास - महोत्सव मे
याद है ना ............
और देखना
इस कायनात के आखिरी छोर पर भी
तुम ही गवाह बनोगे
मोहब्बत की अदालत में
मोहब्बत के जुर्म पर
मोहब्बत के फसानों पर
लिखी मोहब्बती तहरीरों के
क्योंकि
एक तुम ही तो हो
जो मोहब्बत की आखिरी विदाई के साक्षी बनोगे
यूँ ही थोड़े ही तुम्हें मोहब्बत का खुदा कहा जाता है
यूँ ही थोड़े ही तुम्हारा नाम हर प्रेमी के लबों पर आता है
यूँ ही थोड़े ही तुममे अपना प्रेमी नज़र आता है
कोई तो कारण होगा ना
यूँ ही थोड़े ही तुम भी
शुक्ल और कृष्ण पक्ष मे घटते -बढ़ते हो
चेनाबी मोहब्बत के बहाव की तरह
वरना देखने वाले तो तुममे भी दाग देख लेते हैं
कोई तो कारण होगा
गुनाहों के देवता से मोहब्बत का देवता बनने का ................
वरना शर्मीली ,लजाती मोहब्बत की दुल्हन का घूंघट हटाना सबके बस की बात कहाँ है ......है ना कलानिधि!!!!
36 टिप्पणियां:
वाह बहुत सुन्दर..मोहब्बत में चाँद से बड़ा और कोई गवाह नहीं होता..
बहुत ही सुन्दर रचना .....।
पर चाँद को क्या मालूम ...!
बहुत बेहतरीन लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
रचना के मर्म को चाँद ने समझा य न समझा हो , मगर बेहतरीन तरीके से बुनी गयी कविता जरूर बनी बधाई
यूँ ही थोड़े ही तुम्हें मोहब्बत का खुदा कहा जाता है
यूँ ही थोड़े ही तुम्हारा नाम हर प्रेमी के लबों पर आता है
यूँ ही थोड़े ही तुममे अपना प्रेमी नजर आता है ....
आपके जज्बात के बुलंदी तक पहुँचना ,
मेरे बूते के बाहर हो जाता है ....
बस नमन करने को जी चाहता है ..... !!
हाँ कलानिधि !!!!!!!!!!!!!!!
कहाँ है सबके बस की बात
Badee nafees rachana hai!
चाँद और प्रेम .... बहुत ही बढ़िया
हमारा भी सलाम काबुल करें वंदना जी ....:))
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (19-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह.....
बहुत- बहुत सुन्दर...
बहुत - बहुत प्यारी रचना....
शब्द शब्द मन को छु लेनेवाले है...
मनभावन.....
:-)
चाँद... मोहब्बत का पहला और आखिरी गवाह. बहुत खूबसूरत भाव...
क्या बात....बेहतरीन अभिव्यक्ति
चेनाबी सा बहाव है पूरी रचना में....
सुन्दर अभिव्यक्ति...!
बहुत सुंदर रचना...चाँद जैसा ही खूबसूरत !!!
चाँद में दाग देखे हो कितने , मगर मुहब्बत की गवाही इसने बार बार दी .
बेहतरीन !
सुन्दर अभिव्यक्ति !
इस दिल से निकली आवाज़ के स्वर से मन मोहित हुआ।
लाजवाब ! उद्गारों को प्रभावशाली अभिव्यक्ति दी है आपने।
लाजवाब ! ह्रदय के उद्गाओं को सुंदर अभिव्यक्ति दी है आपने।
CHAND AUR AASHIQON KAA NAATAA SANAATAN HAI . MEHBOOB KO CHAND
MEIN MEHBOOBAA NAZAR AATEE HAI
AUR MEHBOOBA KO CHAND MEIN MEHBOOB
NAZAR AATAA HAI . KABHEE SHAKEEL NE
KYAA KHOOBSOORAT KAHAA THA -
CHAUDVIN KAA CHAND HO
YAA AAFTAAB HO
JO BHEE HO TUM KHUDAA
KEE KASAM LAAJAWAAB HO
AAPKEE KAVITA ACHCHHEE LAGEE HAI .
BADHAAEE .
CHAND AUR AASHIQON KAA NAATAA SANAATAN HAI . MEHBOOB KO CHAND
MEIN MEHBOOBAA NAZAR AATEE HAI
AUR MEHBOOBA KO CHAND MEIN MEHBOOB
NAZAR AATAA HAI . KABHEE SHAKEEL NE
KYAA KHOOBSOORAT KAHAA THA -
CHAUDVIN KAA CHAND HO
YAA AAFTAAB HO
JO BHEE HO TUM KHUDAA
KEE KASAM LAAJAWAAB HO
AAPKEE KAVITA ACHCHHEE LAGEE HAI .
BADHAAEE .
बहुत प्यारी सुन्दर अभिव्यक्ति चाँद और मुहब्बत ,दुबारा पढने पर भी उतनी ही अच्छी लगी
बेहद खूबसूरत भाव
बहुत ही सुन्दर रचना...
मोहब्बत होने पर सबसे पहले चांद को देखने की नज़र बदल जाती है...
बहुत ही सुन्दर रचना..
सही में चांद ऐसे ही तो मोहब्बत का गवाह नहीं बना हुआ। दाग हैं तो क्या ....मोहब्बत दाग नहीं देखती सिर्फ मोहब्बत देखती है औऱ चांद को अपना गवाह बनाती है। हर आंसू का.हर खुशी का गवाह ये भगवान का दूत हमेशा बनता आया है औऱ बनता रहेगा।
सम्पुट शब्द का बेहतरीन प्रयोग...वाह!!
सुन्दर!
बहुत कोमल सी रचना
सुन्दर प्रस्तुति। मरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है। धन्यवाद।
चाड से जुड़ा बहुत पढ़ा है .. आपने कुछ अलग अंदाज़ से उसको लिखा है ... बहुत ही प्रभावी ... लाजवाब ...
आपकी भावपूर्ण कविता अच्छी लगी, आभार
चाँद के माध्यम से मन की बात , वाह !!!!!! बहुत बढ़िया अंदाज़
khubsurat
बहुत ही खूबसूरत कविता |आभार
behad khoobsurat kavita......
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