हे........ मत रोना
देखो तुम्हारी नम आँखें
मुझे नहीं भातीं
तुम जानते हो ना
तभी तो तुम्हारी आँख की सारी नमी
मैंने अपनी आँखों में समेट ली है
अब बदरिया मेरी आँख से बरसे
और तुम्हारे होंठों पर बस मुरली ही सजे
बस और क्या चाहिए
देखो ..........ना नहीं कहते
क्या हुआ जो
किसी ने कुछ कह दिया
उसमे भी तो तुम ही थे ना
हाँ हाँ ....तुम्हारा आत्मीय था
इसलिए दुखी हो रहे हो ना
क्यूँकि ........तुम नहीं चाहते दुखाना किसी दिल को
और शायद वो भी नहीं चाहता होगा
मगर कभी कभी हो जाता है ना
क्यूँ परेशान होते हो
क्या हुआ .........मुझे ही तो कुछ कहा है ना
अरे हाँ हाँ ............तुम ही कहते हो मुझमे भी
इसीलिए तुम्हें ऐसा कटु वचन खलता है
जानती हूँ सब.........मगर क्या हुआ
तुम आँख नम ना किया करो
कम से कम मेरे लिए तो नहीं
मैं क्या हूँ ......कुछ भी तो नहीं
कभी तुम्हें दुलारती हूँ
तो कभी उलाहना देने लगती हूँ
कभी तुम्हारी बन जाती हूँ
तो कभी चाँदनी सी छिटक जाती हूँ
फिर भी इतना नेह बरसाते हो
कान्हा क्यूँ करते हो इतना नेह
कि शक की नज़र से देखे जाते हो
और मुझ पर लगे लांछनों से
खुद आहत हो जाते हो
ना कान्हा ........अब ना अश्क बहना
देखो मैं तुम्हारी आँख का वो मोती हूँ
जो ना टपकता है ना जज्ब होता है
बस धूल का फूल ही बना दो मुझे
और मधुर स्मित की एक झलक दिखा दो मुझे
दिल को चैन आ जायेगा ........जो तुम्हारा मुखकमल खिल जायेगा
14 टिप्पणियां:
देखो मैं तुम्हारी आंख का वो मोती हूँ ...
अनुपम भावों का संगम ... उत्कृष्ट लेखन .. आभार ।
त्यक्त रुदन मुख भीष्म बनो
वाह ... कान्हा और मन की बात ... सब कुछ माया है उसका ही रचा हुवा है ...
वाह! सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
सादर.
बहुत भावमयी प्रस्तुति...बहुत उत्क्रस्ट ....
बहुत ही अच्छी....
Eeshwar kare aap hamesha isi tarah likhati rahen!
वाह ☺☺☺
इस विचार का समर्थन करता हूं।
देखो मैं तुम्हारी आँख का वो मोती हूँ जो ना टपकता है ना जज्ब होता है .....
निरंतर भावनाओं में बहती एक कविता ....
अति पढ्न योग |
बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 07-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ... विवाह की सही उम्र क्या और क्यूँ ?? फैसला आपका है.....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
bahut sunder bhaw......
बहुत मोहक वार्तालाप. सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई.
एक टिप्पणी भेजें