बहुत दिन हुये
तुमने कुछ कहा नही
तुम कुछ कहते क्यों नही
देखो ना सारे पन्ने कोरे पडे हैं
बताओ अब इनमे
कौन सी ताबीर लिखूँ
तुम्हारा ना दर्द है अब मेरे पास
और ना ही कोई सुबह
जिसमे तुमने कुछ
ख्वाब बोये हों
बताओ ना क्या लिखूँ
ज़िन्दगी के हर पन्ने पर
सिर्फ़ तुम्हारे ही तो
रंग उकेरती हूँ
तुम जानते हो
और जब तुम कुछ नही कहते
तो सोचो ना
कितनी बेरंग हो जाती हूँ
मै और मेरे पन्ने
क्या तुम कभी
पढना चाहोगे बेरंग पन्नों को
मेरे जाने के बाद
कैसे उनमे मुझे ढूँढोगे
कैसे उनमे से अपने प्रेम की
चिलमन उठाओगे
और दीदार करोगे इन्द्रधनुष का
जिसमे बरसात के बाद
सुनहरी धूप खिली होगी
और उनमे तुम्हारा अक्स
चस्पां होगा
बताओ ना कैसे तुम
खुद का दीदार मेरी
आंखो से करोगे
तुम्हे कुछ तो कहना ही होगा
मेरे लिये ना सही
कम से कम अपने लिये तो कहो
यही तो अनमोल सौगात
तुम्हे देने के लिये
लिख रही हूँ
शायद कभी तुम पढो
और उनमे कभी खुद को
और कभी मुझे देखो
और लफ़्ज़ों मे मुझे
छूने की , महसूसने की
कोशिश करो
देखना उस पल
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
तुमने कुछ कहा नही
तुम कुछ कहते क्यों नही
देखो ना सारे पन्ने कोरे पडे हैं
बताओ अब इनमे
कौन सी ताबीर लिखूँ
तुम्हारा ना दर्द है अब मेरे पास
और ना ही कोई सुबह
जिसमे तुमने कुछ
ख्वाब बोये हों
बताओ ना क्या लिखूँ
ज़िन्दगी के हर पन्ने पर
सिर्फ़ तुम्हारे ही तो
रंग उकेरती हूँ
तुम जानते हो
और जब तुम कुछ नही कहते
तो सोचो ना
कितनी बेरंग हो जाती हूँ
मै और मेरे पन्ने
क्या तुम कभी
पढना चाहोगे बेरंग पन्नों को
मेरे जाने के बाद
कैसे उनमे मुझे ढूँढोगे
कैसे उनमे से अपने प्रेम की
चिलमन उठाओगे
और दीदार करोगे इन्द्रधनुष का
जिसमे बरसात के बाद
सुनहरी धूप खिली होगी
और उनमे तुम्हारा अक्स
चस्पां होगा
बताओ ना कैसे तुम
खुद का दीदार मेरी
आंखो से करोगे
तुम्हे कुछ तो कहना ही होगा
मेरे लिये ना सही
कम से कम अपने लिये तो कहो
यही तो अनमोल सौगात
तुम्हे देने के लिये
लिख रही हूँ
शायद कभी तुम पढो
और उनमे कभी खुद को
और कभी मुझे देखो
और लफ़्ज़ों मे मुझे
छूने की , महसूसने की
कोशिश करो
देखना उस पल
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
40 टिप्पणियां:
अरे मैं तो समझी कि तुम मुझसे कह रही हो, कविता पढ़ी तो लगा कि किसी और से कहा है. बहुत सुंदर रचना. एक मुद्दत बाद कुछ समय दे पा रही हूँ.
Haan...aisebhee ek muhobbatkaa tajmahal banaya jaa sakta hai! Tumhare jitnee samvedansheelta to zaroor chahiye uske liye!
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
कमाल के अहसास..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..आभार
बहुत ही सलीके से लिखी एक सुन्दर भावार्थ से सजी कविता बधाई वन्दना जी
बहुत ही सलीके से लिखी एक सुन्दर भावार्थ से सजी कविता बधाई वन्दना जी
कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी,वंदनाजी.
भावाकाश में कितनी ऊँची उडान भर लेतीं हैं आप.
हमारी तो आँखें खोजतीं ही रह जातीं हैं आपकी इस ऊँची उडान को .
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुंदर रचना.
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
ज़बरदस्त भावों से लबरेज़ पंक्तियाँ.वाह वंदना जी वाह.
बहुत खूब ...
गज़ब की कल्पना है ... मुहब्बत के ताज महल की ... लाजवाब ...
dil ki gaharaaiyon se nikle hue shabd jajbaat.bahut achchi rachna.
वंदना जी आपकी रचनाये यथार्थ के बिलकुल नजदीक होती है. ऐसा लगता है कही आसपास से उठाया है प्रसंग. बधाई..
a heart touching poem .
हम खामोश थे यह सोच कर कि वो पढ लेंगे मेरी निगाहों को ..
इक मुद्दत के बाद अहसास ये दिल को हुआ , वो सुनने और कहने में यकी रखते थे .....
बहुत ही सुन्दर।
यह अभिव्यक्ति वाकई में खूबसूरत है!
अद्भुत अभिव्यक्ति वंदना जी..धन्यवाद.
अच्छी प्रस्तुति ||
बधाई ||
बेहतरीन अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें आपको !
अंतर्मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, बधाई
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!
bahut khoob...aabhar...
prem ki pyasi virhan kin sunder manovyatha............
विरह को दर्द की मिठास में घोल के पकाया है ये गीत .बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति .शब्दों का संयोजन सिर चढ़के बोले है भाव के अनुरूप .
bahut sundar abhivyakti...
bahut dard hai aapki is rachna me.
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति, बधाई
बहुत खूबसूरती से उकेरे हैं जज़्बात ... खूबसूरत रचना
संवाद ज़ारी रहे ..
कविता के भाव मन को छूते हैं।
मोहब्बत का ताजमहल ऐसे भी बनाया जाता है....
...सुंदर भाव।
कल्पनायें जीने का सम्बल हैं। इन्हीं से तो कितने ताजमहल बनते हैं\ सुन्दर रचना बधाई। कल की बातचीत के लिये शुक्रिया। देखो आज हाजिर हो गयी।
वाह ...बहुत ही बढि़या ...
सुन्दर और मर्मस्पर्शी
mohabbat ka itna pyara tajmahal.....pahli baar deka,bahut sunder.
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
सुन्दर कल्पना...
kya boloon.....itni achchi lagi......
दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
sunder ,kaarunik
बहुत बढ़िया , उम्दा लिखा है . बधाई
वंदना जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम""सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
Badi himmat karke apn i pratikriya de raha hun...
Bahut acchhi rachna.. Aabhar...
तुम्हारी आँखों से ट्पकते
आँसू पन्ने मे जज़्ब नही होंगे
उन्हे मै पी रही होंगी
और तुम्हारा गम जी रही होंगी
जानते हो ………
मोहब्बत का इक ताजमहल
ऐसे भी बनाया जाता है…………
ye to prem ki parakashtha hai...kitna ander tak ghav ker rahi hain ye lines... bahut sunder...
blog ki duniya me mere kadam naye hain.. kabhi wahan bhi aiye, achha lagega..
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