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शनिवार, 7 मई 2011

प्रेम का कोई छोर नहीं होता ………250 वीं पोस्ट

याद करो प्रियतम
वो अलबेली शाम
मौसम नमकीन था
उस पर भी शायद
शबाब का नशा
छाया था
जब एक झोंका
मेरी लट से
लिपट आया था
और मेरे कपोलो
पर अपने प्रेम का
बोसा रख आया था
और फिर तुमने उसे
अपने अधरों से हटाया था
एक ताजमहल जज्बातों का
वहीँ उभर  आया था
जिसके तुम शाहजहाँ थे
और मुझे अपनी नूरजहाँ बनाया था
और फिर तुमने अपने
बाहुपाश में मौसम की
हर शाख को समेट लिया था
जैसे किसी तपस्वी ने
अपनी सारी तपस्या का
आज फल पा लिया हो
याद है ना प्रियतम
कैसे फिर मौसम के तूफानों ने
हमें घेरा था
कितने ही चक्रवात 
भावनाओं को झिंझोड़ रहे थे
कभी मधुमास दस्तक देता था
कभी शीत सरसराती थी
तो कभी ग्रीष्म की ऊष्मा
झुलसाती थी
ओस की नमी भी
वाष्प बन उड जाती थी
मगर प्रेम अगन ना
बुझ पाती थी
कितना ही चाहे
सावन भिगोता था
मगर वो भी तपन
बढाता था
हृदयों को हुलसाता था
कभी मेघ सम छा जाते थे
कभी तडित सी कोई
चमक जाती थी
कभी सिन्दूरी शाम पर
रात का काजल लगाता था
तो कभी सुरमई सुबह पर
कोई चाँद झिलमिलाता था
वो कैसा सुगन्धित पल था
जब मेरा दामन तुझमे
भीगा जाता था मगर
फिर भी पार ना कोई पाता था
इक दूजे में खोते हम
ब्रह्माण्ड की सैर पर निकले
कभी पहाड़ों की चोटियाँ
आवाज़ देती थीं
कभी घाटियों की गहराइयाँ
खुद में समोती थीं
कभी सागर की
अथाह गहराई मे
हम डूबे जाते थे
कभी नक्षत्र इक दूजे से
टकराते थे
कभी जज्बातों के तारे
टिमटिमाते थे
और कभी बर्फीले बोसे
चहूँ ओर बिखर जाते थे
कभी ध्रुव नये बन जाते थे
और हम कभी एक
ग्रह से दूसरे ग्रह पर
अपने आकाश से
दूजे के आकाश पर
बर्फ के फाहों से
उड़ते जाते थे
मगर फिर भी
पार ना कहीं पाते थे
और हमारे अस्तित्व
इक दूजे में ही
सिमट जाते थे
ना जाने कितनी
खगोलीय घटनाये
साक्षी बनी होंगी
कहाँ कहाँ  ना खोजा होगा
उन अनन्त अपार
ऊंचाइयों को
मगर पार ना
पाया होगा
युग परिवर्तन हो
या कल्प बदले हों
तुम और मै
कभी अलग हुये ही नही
स्त्री पुरुष की भूमिका
कभी बदली ही नही
फिर भी अपरिचित 
इक दूजे से  
जन्म जन्मान्तरों से
अतृप्त प्यास 
पूर्णता को पाने को आतुर 
हर काल में 
सूरज और सूरजमुखी सा
अपना मिलन और विछोह 
यही शाश्वत सत्य है
प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता



52 टिप्‍पणियां:

vijay kumar sappatti ने कहा…

वंदना जी सबसे पहले तो आपको २५० वि पोस्ट के लिए बधाई. आप यूँ ही हिंदी ब्लॉग्गिंग की नयी ऊंचाईयों को छुए यही हमारी मंगलकामना है.

अब कविता की बात करे, तो हमेशा की तरह कविता एक नए लोक में ले जाती है और प्रेम के सच्चे सौन्दर्य के दर्शन करवाती है . और ये कौशल सिर्फ आप में ही है .. आपको दिल से बधाई .. वैसे कविता कुछ ज्यादा ही रोमांटिक है जी .... वसन्त का असर अब तक है आपके लेखन में !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय वंदना जी
नमस्कार !
वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई
.......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
२५० वि पोस्ट के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई.......

Kailash Sharma ने कहा…

२५०वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामना है कि आपकी लेखनी इसी तरह ऊंचाइयों को छूती रहे..

बहुत ही प्रेममयी सुन्दर भावपूर्ण रचना..मन को भाव विभोर कर देती है..आभार

बेनामी ने कहा…

bahut bahut badhai for your 250th post
and bahut hi shandar post hain bahut khoob

वाणी गीत ने कहा…

250वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !
सूरज और सूरजमुखी सा मिलन ....
प्रेम की इससे बढ़कर और क्या मिसाल होगी ...
खूबसूरत भावों की अभिव्यक्ति !

Rajesh Kumari ने कहा…

sarv pratham 250 post hone par haardk badhaai.vandna ji aapki kalpana ko manna padega.aapke bhaavon ke saath saath mai bhi aage badhti rahi.aapne appar aseem bramh me sair kara di.shrangaar ras ki is kavita ke liya aabhar.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सबसे पहले २५० वीं पोस्ट के लिए बधाई ....

और रचना तो बस कमाल ही है ..बहुत ही प्रेम रस में डूबी हुई ...कोमल एहसासों से भरी हुई ..

सुज्ञ ने कहा…

प्रेम भावनाओं के छोर को छू लेती रचना॥
कोमल एहसासों को पिरो भाव-विभोर कर देती!!

250वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !

shikha varshney ने कहा…

बधाई बधाई २५० वीं पोस्ट की
और बहुत ही कोमल अहसासों से रची बसी कविता की भी.

Aruna Kapoor ने कहा…

...२५० वी पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई हो वंदना!..कविता प्रेम-रस से सराबोर...अति सुंदर है!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता भी.
२५० वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!

सादर

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

sahi khaa prem kbhi nhin bdaltaa bhtrin andaaz me prstuti ke liyen bdhaai or haan 250 vin post ke liye dbal bdhaai ....akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

छोर से मुक्त होने के प्रयास में प्रेम में डूब बैठे।

सदा ने कहा…

प्रेम कभी नहीं बदलता,

शायद इसलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता ..।

भावमय करते शब्‍दों का संगम है यह रचना ।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

250 वीं पोस्ट के लिए बधाई!

बेनामी ने कहा…

सच है जो जिसका ओर-छोर हो वो प्रेम नहीं होता......लम्बे सफ़र की शुभकामनायें |

संध्या शर्मा ने कहा…

वंदना जी सबसे पहले तो आपको २५० वी पोस्ट के लिए बधाई. आप यूँ ही हिंदी ब्लॉगिंग के शिखर तक का सफ़र तय करें, हमारी शुभकामना है.

यही शाश्वत सत्य है
प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता...
सूरज और सूरजमुखी सा मिलन ....
आज की रचना... प्रेममयी सुन्दर भावपूर्ण लाजवाब रचना....

Rakesh Kumar ने कहा…

" प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता "

आपकी २५० वीं पोस्ट
आई लाईक इट मोस्ट
मेरी आपको बहुत बहुत बधाईयाँ
नित छुएं आप नई नई ऊचाईयां
प्रेम के रंग में सदा रंगी रहें आप
उनको शाहजहाँ बना
खुद नूरजहाँ बनी रहें आप

kshama ने कहा…

Bahut sundar rachana liye hue hai ye 250 vi post! Bahut,bahut badhayee!

Sunil Kumar ने कहा…

२५०वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई ..
सूरजमुखी साअपना मिलन और विछोह यही शाश्वत सत्य है|खूबसूरत भावों की अभिव्यक्ति !

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

२५० वीं पोस्ट की बधाई! सुन्दर भावो की प्रभावी प्रस्तुति है आपकी यह रचना!

Dr Varsha Singh ने कहा…

Congratulations!

Very nice expressions of an enlightened heart.

मनोज कुमार ने कहा…

२५०वीं पोस्ट की बधाई। भावपूरित कर गई यह रचना।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आपको २५०वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !

Ashutosh Pandey ने कहा…

वंदना जी जब कविता सिर्फ शब्द हों तो, टिप्पणी के लिए भी शब्द ढूढने पड़ते हैं, जब वन्दना लिखती हैं तो शब्द प्रवाहित होते हैं ............ विचार मंथन नहीं करते ...... वे बस बरबस छलकते हैं........

Ashutosh Pandey ने कहा…

ये वन्दना जी की २५० पोस्ट भी है उनके ब्लॉग पर, मैं उनको बधाई नहीं दे रहा हूँ........ बधाई तब दूंगा.......... जब ये सब रचनाएँ एक महाकाव्य के रूप में आयेंगी, मेरी और से सबसे पहले अग्रिम बधाई.....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यही शाश्वत सत्य है
प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता
--
धरातल से जुड़ी
सच्चाई को आइना दिखाती
रचना बहुत बढ़िया रची है आपने!

mridula pradhan ने कहा…

kavita bahut achchi hai aur aapko bahut-bahut badhayee.....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आपको 250वीं पोस्ट के लिए बधाई वंदना जी .....प्रेम के भावों और रंगों को समेटे यह रचना भी बेहतरीन है.... हमेशा की तरह

Unknown ने कहा…

प्रेम के निर्मल अहसासों से लवरेज एक मन को प्रस्तुत करती कविता, २५०वीं पोस्ट के लिए बधाई

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..!

250 Th पोस्ट के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई...

लखनऊ से अनवर जमाल .

लखनऊ में आज सम्मानित किए गए सलीम ख़ान और अनवर जमाल Best Blogger

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

प्रेम को गीत में बांधना कितना कठिन है! कहानी बन जाती है।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मेरी बधाई भी स्वीकार करें।

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

आपको 250वीं पोस्ट की बधाई .....हैप्पी मदर्स डे

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

वंदना जी सबसे पहले तो आपको २५० वि पोस्ट के लिए बधाई....बहुत ही प्रेममयी सुन्दर भावपूर्ण रचना....

नीलांश ने कहा…

bahut acchi post..

केवल राम ने कहा…

प्रेम कभी नही बदलता
शायद इसीलिए
प्रेम का कोई छोर नहीं होता


एक वास्तविकता यह भी है .....लेकिन सब सोच का फर्क है ..!

केवल राम ने कहा…

आपको 250 वीं पोस्ट की बधाई ...आशा है आप अपने सार्थक लेखन से ब्लॉग जगत को यूँ ही समृद्ध करती रहेंगी .....!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

२५० वीं पोस्ट की बधाई । आप इतनी अच्छी कवितायेँ लिखती हैं । कभी कभी छोटे छोटे लेख भी लिखिए ।

udaya veer singh ने कहा…

komal anubhutiyon ka saswat charitra kavy men saheja gaya achha lga . badhayiyan .

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

शाश्वत प्रेम की गहन विवेचना करती अद्भुत कविता।
250 वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

Maheshwari kaneri ने कहा…

वंदना जी सबसे पहले तो आपको २५० विपोस्ट के लिए बधाई।प्रेम रस में डूबे इस रोमान्टिक भाव के लिये भी बधाई । आभार सहित…….

Anupama Tripathi ने कहा…

250thपोस्ट के लिए बधाई वंदना जी -शाश्वत प्रेम पर खूबसूरत रचना है ...!!

nilesh mathur ने कहा…

बधाई आपको इतनी सुन्दर और लम्बी पारी के लिए, २५० वाँ चयन भी शानदार रहा!

Urmi ने कहा…

दिल को छू गयी हर पंक्तियाँ! बेहद सुन्दर और भावपूर्ण रचना! २५० वी पोस्ट पूरे होने पर और मात्री दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

रचना दीक्षित ने कहा…

प्रेम और प्रियतम का सानिध्य. अद्भुत. यद्यपि आज रंग कुछ जुदा है, लेकिन ज्यादा मनभावन लगा.

शिवम मिश्र ने कहा…

बंदना जी आप को २५० वीं पोस्ट के लिए ढेरों बधाइयाँ ! साथी आप द्वारा मेरे ब्लॉग पर की गयी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आभार ! कल के चर्चामंच में मेरे ब्लॉग के चयन के लिए भी धन्यवाद् ! प्रेम के किसी छोर के न होने की बहुत ही सुन्दर अभिब्यक्ति ! प्रेम में तो बहते रहना ही अच्छा होता है छोर की जरुरत ही क्या है ! साभार

Patali-The-Village ने कहा…

२५०वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई|

रंजना ने कहा…

प्रेम में तृप्ति मिल जाए तो प्रेम पथ पर आगे बढ़ने की कामना ही समाप्त हो जायेगी...इसलिए अतृप्ति तो रहनी ही चाहिए...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

आभार.

रंजना ने कहा…

बहुत बहुत बधाई...

***Punam*** ने कहा…

आपकी कविता के लिए बधाई..

थोड़ी देर के लिए खो गई उसमें..

सुन्दर शब्द-चयन,कोमल भाव..

और ढेर सारे प्रेम से परिपूर्ण...!!

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

sabse pahle 250 post ke bahut bahut badhai....aap kamaal ka likhti hai vandna ji...bahut sundar..bhavon ka samndar hai ye...