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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

"तुम्हारे इंतजार में "

दोस्तों 
अभी थोड़ी देर पहले ही ये फोटो देखी फेसबुक पर विजय सपत्ति जी की और देखते ही ये ख्याल उमड़ आया तो सोचा आपसे भी इसे बांटा जाये  .................






देख कब से बैठे हैं तेरे इंतज़ार मे
ये बैंच, ये दरख्त और ये राहें
यहाँ अब कोई मौसम नहीआता
एक खामोश सदा आवाज़ देती है
तुझे बुलाती है और जब
तू नही आता ना तब
वक्त इस दरख्त पर आकर
बैठ जाता है एक बार फिर
इंतज़ार मे सूखने के लिये
देख ना तेरे इंतज़ार की
आस मे राहें भी बंजर
हो गयी हैं ………
एक उदासी इनके
पहलू मे दस्तक
दे रही है …………
कह रही है मुसाफ़िर
कब आओगे फिर
इसी पथ पर्………।
इन राहो पर एक
अजनबियत काबिज़ हो गयी है
और देख ना इस बैंच को
कैसा सूना - सूना खामोश मंज़र
इसे घेरे बैठा है…………
किसी के अरमानो को
सजाने के लिये
ये भी बाहें फ़ैलाये
कब से इंतज़ार की
शाख पर सूख रहाहै
मगर तुम्………
तुम आज भी नही आये
मुसाफ़िर ………बस एक बार
हसरत पूरी कर जाना
दम निकलने से पहले
इंतज़ार को मुकाम
दे जाना…………
फिर जनम हो ना हो
और इंतज़ार अधूरा रह जाये…………

53 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

एक खामोश सदा आवाज़ देती है
तुझे बुलाती है और जब
तू नही आता ना तब
वक्त इस दरख्त पर आकर
बैठ जाता है एक बार फिर
इंतज़ार मे सूखने के लिये...

इंतज़ार की पीड़ा को बहुत ही संवेदनशील तरीके से उकेरा है..अकेलेपन का दर्द सचमुच बहुत असहनीय होता है..हमेशा की तरह एक बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत ज़बरदस्त इंतज़ार ...बहुत अच्छी लगी रचना

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

तू नही आता ना तब
वक्त इस दरख्त पर आकर
बैठ जाता है एक बार फिर
इंतज़ार मे सूखने के लिये
Bahut sundar !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

इन्तजार इतना रोमांटिक हो तो फिर इन्तजार के मायने बदल जाते हैं... बेहद सुन्दर कविता...

सदा ने कहा…

वाह ....बहुत ही खूबसूरत शब्‍द दिये हैं आपने इंतजार को ।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

"देख कब से बैठे हैं तेरे इंतज़ार मे
ये बैंच, ये दरख्त और ये राहें
यहाँ अब कोई मौसम नहीआता
एक खामोश सदा आवाज़ देती है".
...... सजीव और निर्जीव दोनों चीज़ें प्रकृति के अंग है और एक साथ इनका इन्तजार बहुत सुन्दर.. नया प्रयोग... बढ़िया विम्ब...

"वक्त इस दरख्त पर आकर
बैठ जाता है एक बार फिर
इंतज़ार मे सूखने के लिये
देख ना तेरे इंतज़ार की
आस मे राहें भी बंजर
हो गयी हैं ………"..... वक्त का दरख़्त पर आ कर बैठना और फिर रहो का बंजर हो जाना.. सुन्दर भाव.. इन्तजार का मानवीकरण हो रहा है जब यह सूखता है... सुन्दर प्रयोग....

" इन राहो पर एक
अजनबियत काबिज़ हो गयी है
और देख ना इस बैंच को
कैसा सूना - सूना खामोश मंज़र
इसे घेरे बैठा है…………
किसी के अरमानो को
सजाने के लिये
ये भी बाहें फ़ैलाये
कब से इंतज़ार की
शाख पर सूख रहाहै
मगर तुम्………..".. इतना गहरा इन्तजार बैंच का ... अरमानो को सजाने के लिए बाहों का इन्तजार... बेहद मार्मिक... बेहद संवेदनशील...
वंदना जी आपकी काव्य प्रतिभा नई ऊंचाई को छू रही है.. हम भी इन्तजार में हैं कि कब आप कविता के आसमान को छुएं...

Taarkeshwar Giri ने कहा…

abhut khub likha hai apne

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

तस्वीरें बोलती हैं ....बस महसूस करने की ज़रूरत होती है.
आपने जो महसूस किया उसे बेहतरीन रूप में प्रस्तुत किया है.

सादर

Akanksha Yadav ने कहा…

बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...शानदार !!

Atul Shrivastava ने कहा…

जब तक इंतजार न हो मिलने का मजा नहीं आता।
बेहतरीन रचना।

OM KASHYAP ने कहा…

ay musafir
kab aauoge phir
umda kawita badhai

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana, i am amazed ,mujhe laga nahi tha ki meri photo par itni acchi kavita ban jaayengi ..

thanks

सुज्ञ ने कहा…

खामोश इन्तजार का सांय सांय करता मंजर प्रकट किया हौइ आपने।

arvind ने कहा…

maarmik , samvedansheel rachna.

ज्योति सिंह ने कहा…

rachna bahut pyaari hai ,intjaar behad satati hai .

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही उम्दा रचना , बधाई स्वीकार करें .
आइये हमारे साथ उत्तरप्रदेश ब्लॉगर्स असोसिएसन पर और अपनी आवाज़ को बुलंद करें .कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये

रश्मि प्रभा... ने कहा…

देख ना तेरे इंतज़ार की
आस मे राहें भी बंजर
हो गयी हैं ………aur ab koi umeed bhi nahi yaa yun kaho koi chaah bhi nahi

kshama ने कहा…

Bahut peeda bharee padee hai is intezaar me...! Lagta hai jaise sadiyon se kiya jaa raha hai.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मानव जीवन में इंतजार की अहम् भूमिका है।

इंतजार पर केंद्रित यह कविता बार-बार पठनीय है।

Saleem Khan ने कहा…

ohh !!!

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

khoobsurat tasvir per likhi gai behad khoobsoorat kvita
-- sahityasurbhi.blogspot.com

अमिताभ मीत ने कहा…

बहुत खूब .... बेहतरीन !

Neeraj Kumar ने कहा…

बहुत ही बढ़िया कविता... इन अहसासों को वे सभी समझ जाएगें जो किसी ना किसी का इंतजार कर रहे होंगे... जिंदगी कई रुकी हैं जाने किस-किस मोड़ पर...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुब लगी आप की यह रचना धन्यवाद

Deepak Saini ने कहा…

बहुत अच्छी रचना

Amit Chandra ने कहा…

इतंजार बेहद ही कष्टों से भरा होता है। ये तब और कष्टप्रद बन जाता है जब हम जानते है कि हमंे जिसका इतंजार है वो नहीं आएगा। भावनात्मक अहसासों से भरी सुंदर रचना।

shikha varshney ने कहा…

उफ़ क्या इंतज़ार है ...बहुत खूब अभिव्यक्ति.

shikha varshney ने कहा…

उफ़ क्या इंतज़ार है ...बहुत खूब अभिव्यक्ति.

बेनामी ने कहा…

सुन्दर विचार

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही खूभसूरत चित्रण किया है आपने. शुभकामनाएं.

रामराम.

Learn By Watch ने कहा…

बहुत ही अच्छा लिखा है आपने,
अपना ब्लॉग मासिक रिपोर्ट

Patali-The-Village ने कहा…

इंतज़ार की पीड़ा को बहुत ही संवेदनशील तरीके से उकेरा है| बेहतरीन भावाभिव्यक्ति|

मनोज कुमार ने कहा…

एक ख़ूबसूरत रचना।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बेहतरीन भावाभिव्यक्ति वंदनाजी...... संवेदनशील भाव

Asha Lata Saxena ने कहा…

"एक उदासी इनके पहलू में दस्तक दे रही है ----
इस पथ पर ---" भावपूर्ण अभिव्यक्ति
बधाई
आशा

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत अच्छी रचना

नारी स्नेहमयी जननी

Rakesh Kumar ने कहा…

intjaar ki yeh bekaraari 'phir janam ho na ho,aur intjaar adhoora reh jaye' gazab hai aapki bhavabhivyakti ka

निर्मला कपिला ने कहा…

विजय जी की बेहतरीन कविता पढवाने के लिये धन्यवाद।

vandana gupta ने कहा…

@ निर्मला दी
ये फ़ोटो विजय जी द्वारा खींची गयी थी मगर कविता मैने लिखी है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दूर कहीं से आती हुयी खामोशी की आवाज़ की तरह है यह रचना .... लाजवाब ...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए बधाई !

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत ही सुंदर विचार। बधाई।

---------
ब्‍लॉगवाणी: ब्‍लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति। कविता पढ़ते-पढ़ते जब अंतिम पंक्तियों को पढ़ा तो मन अचानक बोल पड़ा - आह !

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

khamoshi ki aawaz bahut teekhee hoti hai seedhe dil me utar jati hai...

amit kumar srivastava ने कहा…

very romantic....

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर कविता बधाई वन्दना जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर कविता बधाई वन्दना जी |

mridula pradhan ने कहा…

har line sundar hai.....

Shikha Kaushik ने कहा…

बहुत सार्थक प्रस्तुति .badhai..

शिवा ने कहा…

हमेशा की तरह एक बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..बहुत अच्छी लगी रचना..

ZEAL ने कहा…

इंतज़ार भी एक खामोश सफ़र ही है ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

मुसाफ़िर ………बस एक बार
हसरत पूरी कर जाना
दम निकलने से पहले
इंतज़ार को मुकाम
दे जाना…………
फिर जनम हो ना हो
और इंतज़ार अधूरा रह जाये…………

itna pyara intzaar..:)
sach me aapki soch hi kavyamay ho gayee hai.......:)

vijay kumar sappatti ने कहा…

well, so many comments , nothing more to say .. only one thing , you have justified my picture.. intjaar ko shabdo me dhaalna ..waah ji waah , aur jaise ki maine tumhe bataya tha ki is pic ki katha .... !!!kahan se kahan pahunch gaye ji