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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

चरित्रहीन हूँ मैं……………

ये क्या गज़ब् कर दिया
छूत का रोग बना दिया
हाय री मोहब्बत !तुझे
सबने रुसवा कर दिया
कभी मोहब्बत करके देखा होता
सबमे खुदा नज़र आया होता
फिर ना ये इल्ज़ाम लगाया होता
चरित्रहीन हूँ मैं………………………
क्योंकि मोहब्बत की है मैने


एक बार इस आग मे जले होते
तो जाना होता
एक बार सीने से लगाकर देखते
तो जाना होता
एक बार अश्क बहाकर देखते
तो जाना होता
एक बार किसी के लिये मिट्कर देखते
तो जाना होता
मोहब्बत कैसे होती है
मोहब्बत क्यो होती है
मोहब्बत कैसी होती है
फिर ना ये इल्ज़ाम लगाया होता
चरित्रहीन हूँ मैं……………
क्योंकि मोहब्बत की है मैने


मोहब्बत तो वक्त का वो ताज़ है
जो किसी खास दिल के लिये होता है
ये नगमा हर साज की आवाज़ नही होता
मोहब्बत को खुदा कहो या
खुदा को मोहब्बत
एक बार इबादत की होती
एक बार इस दरिया मे उतरा होता
एक बार इसमे डूबा होता
फिर ना पार पाया होता
तुझे सिर्फ़ खुदा ही खुदा
नज़र आया होता
फिर ना ये इल्ज़ाम लगाया होता
चरित्रहीन हूँ मैं……………
क्योंकि मोहब्बत की है मैने


मोहब्बत को दाग मत लगाओ
ये इल्ज़ाम मत लगाओ
पाक साफ़ नेमत है
खुदा की ही इबादत है
एक बार करके तो देखो
हीर रांझा न बन जाओ तो कहना
मीरा राधा न बन जाओ तो कहना
रहीम रसखान न बन जाओ तो कहना
मोहब्बत तो प्यारे सिर्फ़ मोहब्बत होती है

जिसमे ना कोई छूआछूत होती है
अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन  हूँ मैं  .......................
क्योंकि मोहब्बत की है मैंने

47 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन हूँ मैं ...
क्योंकि मोहब्बत की है मैंने

मोहब्बत करना कभी चरित्रहीन होना हो भी नहीं सकता.

सादर

Swarajya karun ने कहा…

मोहब्बत अगर देश-दुनिया , इंसान और इंसानियत से, पेड़-पौधों से, फूल-पत्तियों से, झरनों और झीलों से हो, तो शायद उसकी सार्थकता अधिक होगी. बहरहाल मन के नाज़ुक भावों पर आधारित कविता के लिए आभार.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मुहब्बत जैसी पाक चीज को चरित्रहीन की तराजू में मत तोलिए!
--
मोहब्बत तो वक्त का वो ताज़ है
जो किसी खास दिल के लिये होता है
ये नगमा हर साज की आवाज़ नही होता
मोहब्बत को खुदा कहो या
खुदा को मोहब्बत
--
यहाँ तक तो गाड़ी पटरी पर थी मगर आगे उतर कैसे गई।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अत्यंत मार्मिकता से उकेरी गई रचना. शुभकामनाएं.

रामराम.

kshama ने कहा…

Kya baat hai Vandana! Harek pankti lajawaab!

Sunil Kumar ने कहा…

अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन हूँ मैं ...
मोहब्बत करना कभी चरित्रहीन ना ना....... आभार

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

कहाँ से कहाँ की यात्रा करा देती है आपकी कविता.. प्रेम को नई ऊंचाई से ले जाती हैं आप.. सुदर कविता

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

mohabbt krne valon ko criterhin khne vale kya jane mohabbt cheez kya hai ?
bahut sunder rachna . shabad-shabad lazvab .
bdhai ho

---- sahityasurbhi.blogspot.com

Beqrar ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत एहसास और बेहतरीन अदायगी,

Beqrar ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत एहसास और बेहतरीन अदायगी,

Kailash Sharma ने कहा…

अब न कहना कभी फिर सेचरित्रहीन हूँ मैं .......................क्योंकि मोहब्बत की है मैंने ..

मोहब्बत कभी चरित्र हीन हो ही नहीं सकती..बहुत मार्मिक प्रस्तुति.

sumeet "satya" ने कहा…

अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन हूँ मैं ...
क्योंकि मोहब्बत की है मैंने
......................
sarthak kavita

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मुहब्बत को एक ही दृष्टि से नहीं देखा जा सकता ...बिना मुहब्बत के जीवन ही नहीं ...लोग यूँ ही इसे बदनाम करते हैं ..अच्छी प्रस्तुति

Rahul Singh ने कहा…

राज को राज रहने दो...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... मुहब्बत तो सच में खुदा की नेमत है .... जो करता है उसे ही इसकी पवित्रता का एहसास होता है ...

nilesh mathur ने कहा…

वाह! क्या बात है!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

चरित्रहीन हूँ मैं ... क्योंकि मोहब्बत की है मैंने, इसका जीता-जागता सबूत है मेरी पत्नी द्वारा थाना-मोतीनगर, दिल्ली में मेरे खिलाफ लिखवाई FIR नं. 138/2010 चरित्रहीन हूँ मैं .......... क्योंकि मोहब्बत की थी मैंने.

Anupriya ने कहा…

मोहब्बत को दाग मत लगाओ
ये इल्ज़ाम मत लगाओ
पाक साफ़ नेमत है
खुदा की ही इबादत है
एक बार करके तो देखो
हीर रांझा न बन जाओ तो कहना
मीरा राधा न बन जाओ तो कहना
रहीम रसखान न बन जाओ तो कहना
मोहब्बत तो प्यारे सिर्फ़ मोहब्बत होती है
जिसमे ना कोई छूआछूत होती हैअब न कहना कभी फिर सेचरित्रहीन हूँ मैं .......................क्योंकि मोहब्बत की है मैंने

jee haan,sahi kaha aapne, ishwar ko paa jaane ke liye kitni mushakkat karte hai log...
sedha sa to rasta hai,
kyon nahi mohabbat karte hai log...

pure ek hafte baad aaj wapas blog par aana hua...are nahi bimaar nahi thi main bandana jee, maine ek college join kiya hai last week...thoda kam waqt mila...

bahot sundar rachna...laga mere liye likhi aapne...is liye to aapki fan hun mai...GOD BLESS U...and luv u.

केवल राम ने कहा…

सच्ची मोहब्बत करने वालों को तो दुनिया ने चरित्रहीन कहा ही है ...

अजय कुमार झा ने कहा…

कलम उनकी कातिल है हम रोज़ मरते हैं,
वो रोज़ लिखते हैं , हम रोज़ पढते हैं ॥

बहुत ही उम्दा लिखा है आपने हमेशा की तरह

नेट बनाम साहित्य

Kunwar Kusumesh ने कहा…

हीर-राँझा,राधा-कृष्ण,रसखान-रहीम के उदाहरणों के साथ मुहब्बत को बाखूबी परिभाषित किया है आपने.

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह जी, बहुत ही खुबसुरत एहसास और बेहतरीन रचना, धन्यवाद

OM KASHYAP ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत एहसास
शुक्रिया

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन हूँ मैं ...
क्योंकि मोहब्बत की है मैंने
निशब्द कर दिया वंदनाजी..... बहुत सुंदर

girish pankaj ने कहा…

sundar abhivyakti....vandaneey...

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

सुंदर एवं संदेश पूर्ण रचना के लिए बधाई !! आप कैसी है ? सब कुशल मंगल !! .

Patali-The-Village ने कहा…

मोहब्बत कभी चरित्र हीन हो ही नहीं सकती..बहुत मार्मिक प्रस्तुति|

Anamikaghatak ने कहा…

wah kya baat hai

शिवा ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत एहसास और बेहतरीन अदायगी,

PAWAN VIJAY ने कहा…

ये तथा कथित चरित्रहीनता ही समाज को बचा सकती है
आभार इतनी सुन्दर रचना हेतु

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मोहब्‍बत यदि सृष्टि के प्रत्‍येक नियामक तत्‍व के लिए है तो प्रभु की वन्‍दना है लेकिन एक व्‍यक्ति के प्रति है तो केवल वह शारीरिक आकर्षण है। जब तक है तब तक बहुत अच्‍छा है जिस पल समाप्‍त हुआ वह पल किसी को चरित्रहीन तो किसी को बेवफा बना देता है। इसलिए व्‍यक्ति विशेष के लिए की गयी मोहब्‍बत की समय सीमा निश्चित है लेकिन प्रकृति के प्रति की गयी मोहब्‍बत में कोई सीमा नहीं होती वह शाश्‍वत होती है।

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

मोहब्बत की इस छुकछुकिया गाड़ी में, प्यार के शिकायती बोल कितनी प्यारी आक्रामकता लिए हुए हैं। बेचारे, जो मोहब्बत न कर पाए हों वह शायद इस कविता के बाद कमर कस लें। ऐसे लोगों को मेरी शुभकामनाएँ।

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

मुहब्बत है क्या चीज़ .....

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत एहसास और बेहतरीन

संजय भास्‍कर ने कहा…

मोहब्बत कभी चरित्रहीन नहीं हो सकती

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बेहतरीन अहसास !

ZEAL ने कहा…

एक बार इस आग में जले होते तो जाना होता मोहब्बत क्या है .... वाह ! क्या बात लिखी है वंदना जी । मोहब्बत का स्वर्गिक आनंद तो मोहब्बत करने वाले ही जानते हैं ।

जयंत - समर शेष ने कहा…

आह और वाह...

सदा ने कहा…

अब न कहना कभी फिर से
चरित्रहीन हूँ मैं ...
क्योंकि मोहब्बत की है मैंने
मुहब्‍बत करने वालों को न जाने किन-किन अल्‍फ़ाजों से नवाजा गया है ...गहन भावों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Rakesh Kumar ने कहा…

"Jaaki rahi bhavana jaisi,prabhu murat dekhi tin taisi",Mohabbat
karnewale ko charitraheen kehana
kalusit mansikta ka hi parinaam hai.Mohabbat nij ka kalyaan to karti hi hai aur sabhi ke liye bhi prernaswooroop hojati hai basharte
mohabbat pavitra ho,kisi bhi raag dwesh se sarvatha mukt ho.Meera,Raadha,Raheem,Raskhan aadi
ki mohabbat to bhakti ka aisa swaroop hai jisme gote lagane se aanand ki aaj bhi anubhooti ho sakti hai.
Aapki prastuti me bhi aanand ki anubhooti hoti hai lekin 'charitra heen hun mai' ka iljaam kyon ?

रंजना ने कहा…

लयबद्ध भावोद्गार...वाह...

कितना सही कहा आपने...प्रेम ही तो ईश्वर है..

रचना दीक्षित ने कहा…

मोहब्बत तो वक्त का वो ताज़ है
जो किसी खास दिल के लिये होता है

बहुत सुंदर जज़्बात. अत्यंत मार्मिक रचना. शुभकामनाएं.

विशाल ने कहा…

पाक मोहब्बत के रंग में रंगी अभिव्यक्ति.
आपकी कलम को सलाम

shikha varshney ने कहा…

Gazab ke bhav ..bahut sundar abhivyakti.

संतोष पाण्डेय ने कहा…

कभी मोहब्बत करके देखा होता तो सबमे खुदा नजर आया होता.
वाह क्या खूब कहा है. सुन्दर. मन को छू लेने वाली कविता.

वाणी गीत ने कहा…

प्रेम का चरित्रहीनता से क्या वास्ता ...
आक्षेपों के दर्द को अच्छी तरह बयान किया !

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा आपने...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में 'चल मेरे हाथी'