तेरी
एक पल में
ज़िन्दगी
जीने की
हसरत
मेरे जीने का
सबब बनी
अब खोजता
फिरता हूँ
उस एक
पल को
मगर
कहीं नहीं मिलता
हर पल पर
ज़िन्दगी की
उलझनों के
लगे पहरे
कभी ज़िन्दगी
को ठहरने
नहीं देते
इक पल को
ढूँढते - ढूँढते
बरसों बीत गए
शायद तुम तो
भूल चुकी होंगी
मगर मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
भटक रहा हूँ
34 टिप्पणियां:
शायद तुम तो
भूल चुकी होंगी
मगर मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
<<<>>>>
khoob kahi aapne, man ki wytha !!!
saleem
9838659380
मैं भी ऐसा कोई पल खोज रहाहूं.....मगर वह नहीं मिलता.... और उसी पल की तलाश में हूँ.... बहत सुंदर लगी आपकी यह कविता....
--
www.lekhnee.blogspot.com
Regards...
Mahfooz..
क्या खूब ! कभी कभी तो जीने को एक उम्र कम पड़ती है ... और कभी तो एक पल भी काफी है 'जीने' के लिए ...
बहुत कुछ छिपा होता है एक पल में ...बहुत सुन्दर.
Sunder abhivyakti ... sahaj ban padi hai ...
"Main aaj bhi usi ek pal ki talash mein bhatak raha hun "
Keep it up .
Phir ek baar gazab dhya hai aapne!
बहुत खूब वंदना जी .... पर एक बात आप ऐसे एक एक लाइन करके क्यूँ लिखते हो जैसे नज़्म लिखी जाती है इससे ग़ज़ल का मज़ा ख़राब होता है |
कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आइये...
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
ऐसी तलाशों का भे अंत नहीं होता कई बार...
बहुत सुन्दर भाव ...सब कुछ एक ही पल का तो खेल है ....अच्छी रचना
मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
...vah bahut badhiya vandanaji.
कभी कभी एक पल में होते है हजारो पल ............इस लिए एक पल कभी कभी काटे नहीं कटता !
bhut khoob vandana ji.
vandna ji ...its beautiful!
ek pal ke saarthak pal
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
भटक रहा हूँ
शायद यही भटकन ही तो है जो एहसास का समुन्दर दे जाती है
सुन्दर रचना
ज़िन्दगी की
उलझनों के
लगे पहरे
कभी ज़िन्दगी
को ठहरने
नहीं देते
हम इस कविता की भाषा की लहरों में जीवन की हलचल साफ देख सकते हैं।
एक पल ही तो दौड़ाते रहते हैं वर्षों।
बढ़िया अभिव्यक्ति...आभार.
इस एक पल में पूरी जिंदगी समाई है ।
शायद तुम तो
भूल चुकी होंगी
मगर मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
shaandaar ,bahut sahi
बस एक पल में ही बहुत कुछ निहित रहता है ..........बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !!
कोई कोई पल जीवन का खास हो जाता है ...
पूरे जीवन का आधार ...
गुजर कर भी नहीं गुजरता ...
वह एक पल ..!
बहुत ही बेहतरीन रचना... बहुत खूब!
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं!
आपकी यह प्रस्तुति कल २८-७-२०१० बुधवार को चर्चा मंच पर है....आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा ..
http://charchamanch.blogspot.com/
ये सच है कई बार बस एक पल ... एक लम्हा ही नही मिलता जीवन भर ... और भटकता रहता है इंसान उसके पीछे ... गहरे ज़ज्बात है इस रचना में ...
virah ki peeda bahut hoti h!!!!!
मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
बस वो एक मनचाहा पल कभी नहीं आता...सुन्दर नज़्म
बहुत खूब वन्दना जी .................सच में कुछ पल हम हमारी जिन्दगी में ऐसे आते हैं जो चाह कर भी दोबारा दस्तक नहीं देते जिन्दगी में...............
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
भटक रहा हूँ
umda post ....likhti rahiye .....
behtareen post
विरह वेदना का चरम !!
भावपूर्ण प्रस्तूति!! बधाई
शायद तुम तो
भूल चुकी होंगी
मगर मैं
आज भी
उसी इक पल
की तलाश में
खुशी का एक पल भी जीने के लिये बहुत होता है और इन्सान सारी उम्र उसी के लिये भटकता रहता है। बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई
हर पल पर
ज़िन्दगी की
उलझनों के
लगे पहरे
कभी ज़िन्दगी
को ठहरने
नहीं देते
vandana ji, dil ki gaharai se likhi kisi pal me aapki yah kavita bahut hi achhi lagi.
poonam
एक टिप्पणी भेजें