देशभक्ति का दानव मुझमें
जाने क्यूँ मचलता रहता है
इसका कोई मान नही
इसकी कोई पहचान नही
फिर भी अपना राग सुनाता रहता है
सिर्फ चुनावी बिगुल बजने
पर ही सबको याद ये आता है
वरना सियासतदारों को
फूटी आँख ना भाता है
आज के युग में
दानव ही ये कहलाता है
इसकी माला जपने वाला
यहाँ महादानव कहलाता है
हर नेता इससे बचकर
निकलना चाहता है
जब बजती देशभक्ति की घंटी
संसद में आँख मूँद सो जाता है
इसके भयंकर रूप से तो
हर नेता घबराता है
जान की कीमत पर अब
कौन शोहरत पाना चाहता है
अब तो हर इंसान बस
पैसे की तराजू में तुलना चाहता है
देशभक्ति के पल्लू से तो बस
हाथ पोछना चाहता है
फिर क्यूँ ना भ्रष्टाचार , आतंकवाद
स्वार्थपरता के यज्ञ में
इसकी आहुति दे दें हम
फिर क्यूँ ना ऐसे दानव से
अब मुक्ति पा लें हम
आओ देशभक्ति के दानव से
मुक्त होने का प्रण लें हम
आओ प्रण करें
देशभक्ति के दानव का
सर कुचलकर रहेंगे हम
स्वार्थपरता , भ्रष्टाचार और आतंक
का नारा बुलंद करेंगे हम
तभी (भार + त ) भार से अटे
भारत को
देशभक्ति के चुंगुल से
मुक्त कर पाएंगे हम
और सही मायनो में
आने वाली पीढ़ी को
सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम
27 टिप्पणियां:
तभी (भार + त ) भार से अटे
भारत को
देशभक्ति के चुंगुल से
मुक्त कर पाएंगे हम
और सही मायनो में
आने वाली पीढ़ी को
सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम...
आज तो बहुत ही गजब का व्यंग्य लगाया है!
आपकी इस विधा का तो जवाब ही नही है जी!
काश् भारत का इससे भला हो जाये!
Badhayee vandana ...sundar prastuti ....bahut sahi varnan kia hai..
yehi sachhai hai ....ham sabhi mahsus karte hain ..par vyak nahi kar pate hai....ishwar tumhari lekhni ko or prashast karen....tum uhi likhti raho or hame padhne ka mauka milta rahe.....
व्यंग के साथ चिंतन कराने वाली रचना...बहुत खूब
सही कहा मयंक जी, एक अच्छे लोग ही भारत को बदल पाएँगे और शुरुआत हो गयी है
सही कहा मयंक जी, एक अच्छे लोग ही भारत को बदल पाएँगे और शुरुआत हो गयी है
तभी (भार + त ) भार से अटे
भारत को
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आने वाली पीढ़ी को
सन्मार्ग(कुमार्ग) दिखा जायेंगे हम...
बहुत अच्छी व्यंग्यात्मक रचना! आज की पीढी को वर्तमान देश के हालात से अवगत कराती हुई तथा आने वाली पीढी को सन्मार्ग की सीख देती हुई बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति का प्रदर्शन! बहुत आभार!!
विचारोत्तेजक!
आपका व्यंग बड़ा तीखा है !!!!
बहुत सुंदर व्यंग रचना.
रामराम.
:)
अरे वाह , बहुत खूब ।
बिल्कुल सटीक बात कही है.
शानदार रचना!
एक और रचना जो सच के चेहरे को दर्शाती है... बहुत बढ़िया रही..
बहुत उम्दा रचना ......
waah.......bahut hi badhiyaa
बहुत ही सुन्दर और गहरे भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना प्रशंग्सनीय है! बहुत बढ़िया लगा!
Bahut sundar chintansheel rachna...
Shubhkamnayne..
वंदना जी जब पहली दो लायने पढी तो दानब शब्द कुछ असंगत सा लगा मगर जब पूरी व्यंगात्मक कविता को पढ़ा तो
इस शब्द की बात समझ में आई बहुत तीखी सच्चाई व्यक्त करती और ह्रदय को आंदोलित करती हुई रचना
सादर
प्रवीण पथिक
99719690784
bahut karara kataksh. vandana ji, kamal ka likha hai.
्बहुत सुन्दर व्यन्ग्य रचना----धार बहुत पैनी है। पूनम
Ek achchi rachna.... lekin deshbhakti ko danav ke saath jorna sikke ka ek pahlu hai. iska doosra pahlu bhi dikhaiye.
हमारी देशभक्ति
हिन्दी भक्ति है
हिन्दी की भक्ति
देशभक्ति की
गजब की शक्ति है।
नेता तो यहां भी
बाज नहीं आते हैं
अपनी राजनीति ही
चलाते दौड़ाते हैं।
कमाल की व्यंग धार है ... तीखा लिखा है बहुत .. पर सच लिखा है आज कितने लोग हैं जो देश की सच्चे अर्थों में भक्ति करते हैं .......
अब तो हर इंसान बस
पैसे की तराजू में तुलना चाहता है
देशभक्ति के पल्लू से तो बस
हाथ पोछना चाहता है
... बहुत सुन्दर !!
वंदना जी
मन को उद्द्वेलित करने में सक्षम है यह रचना......बधाई !
शानदार रचना!
shandar Shri Radhe
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