ना वादा किया
ना वादा लिया
मगर फिर भी
साथ चले
ना इंतज़ार किया
ना इंतज़ार लिया
मगर फिर भी
हमेशा साथ रहे
कभी अल्फाज़ की
जरूरत ना रही
दिल ने ही दिल से
मुलाक़ात की
भावों को पढने के लिए
नज़रों ने ही नज़रों से
बात की
जो तुम कह ना सकी
जो मैं कह ना सका
मगर रूह ने रूह से
फिर भी बात की
वादों पर गुजर करने वाले
प्रेमी नही होते
आँख में अश्क जो दे
वो साहिल नही होते
कुछ प्रेम देह के पिंजर से अलग
रूह के अवसान के लिए होते हैं
वादों की खोखली
चादर में लिपटे नही होते
इंतज़ार के पैबंद के
मोहताज़ नही होते
लफ़्ज़ों की बानगी की जहाँ
जरूरत नही होती
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
कैसा होता है वो प्रेम
या
सिर्फ वो ही प्रेम होता है
35 टिप्पणियां:
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
कैसा होता है वो प्रेम
या
सिर्फ वो ही प्रेम होता है
Bahut khoob !
हा.., सिर्फ यही प्रेम है, ईश्वरीय प्रेम ...
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
कैसा होता है वो प्रेम
या
सिर्फ वो ही प्रेम होता है
आपने इस सुन्दर अभिव्यक्ति में
प्रेम की बहुत सुन्दर परिभाषा दी है!
बधाई!
SCHMUCH AAPNE PREM KE SACHCHE SWAROOP KO VIVECHIT KARNE KI KOSHISH KI HAI...SARTHAK PRABHAVSHALI ABHIVYAKTI....
बहुत सही सुन्दर लिखा आपने ..अमृता इमरोज़ का प्रेम सही में यही था ..सुन्दर भावों में समेटा है आपने इसको शुक्रिया
बेहतरीन अभिव्यक्ति दी है.... आपने प्रेम को.... बहुत सुंदर कविता.... दिल को छू गई....
haan yehi to pyar hota hai jahan par kuchh ummid pane ki nahin hoti sirf diye jaate hai ....
bahut achchhe bhav
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
वह प्रेम ही क्या जिसे अभिव्यक्त करना पडे. प्रेम तो शायद रूहानी होता है
आपकी यह कविता भी तो रूहानी है
Na waada kiyaa naa waadaa liya..yahee prem tha Amrita Imroz kaa...aapne behad sundar tareeqese alfazon ka jama pahnake use pesh kiya!
han yahi pyaar hai.
behatareen.
वादों पर गुजर करने वाले
प्रेमी नही होते...bilkul sahi....
bohot khubsurti se bandha ha prem ko alfazo me...
shukriya...
इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आँख में अश्क जो दे
वो साहिल नही होते
कुछ प्रेम देह के पिंजर से अलग
रूह के अवसान के लिए होते हैं
वादों की खोखली
चादर में लिपटे नही होते
इंतज़ार के पैबंद के
मोहताज़ नही होते
बहुत खूबसूरत बात कह दी है ....जहाँ कोई वादा नहीं ...कोई इंतज़ार नहीं....फिर भी आत्मा मिलती हो..वही प्रेम है...
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए ढेर सी बधाई
सुन्दर भाव!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
बहुत सुन्दर शब्दों से आपने व्यक्त किया है इस अभिव्यक्ति को ...बधाई ।
बहुत ही नाजुक कविता पोस्ट की आपने। बधाई।
प्यार को 'पकड़ने' का प्रयत्न मैंने भी किया था -
http://mathurakalauny.blogspot.com/2009/11/blog-post_28.html
Nav varsh ki dher sari shubkamnayen.
प्रेम में कोई शर्त नही होती ..... एक सफ़र है जो चलता रहता है ........बेहद दिलकश, रूह तक पहुँचती हुए रचना .......
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
कैसा होता है वो प्रेम
वाकई सिर्फ यही प्यार है ,जहाँ कोई स्वार्थ नहीं,कोई चाह नहीं,कोई उम्मीद नहीं बस प्रेम है
bahut khoob.
वादों की खोखली
चादर में लिपटे नही होते
इंतज़ार के पैबंद...
लाईने बड़ी शिद्दत से लिखी गयी हैं.
अच्छी लगी.
नया साल अपेक्षित हर्ष और सफलता लाये , यही दुआ है.आमीन!
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में प्रभावी योगदान के लिए आभार
आपको और आपके परिजनों मित्रो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...
नव वर्ष २०१० की हार्दिक मंगलकामनाएं. ईश्वर २०१० में आपको और आपके परिवार को सुख समृद्धि , धन वैभव ,शांति, भक्ति, और ढेर सारी खुशियाँ प्रदान करें . योगेश वर्मा "स्वप्न"
इस खुबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं .........
वास्तविक प्रेम एवं भावनाओं के ज्वार को शब्दों में समेटती इस कविता की हर पंक्तियां आपके उत्कृष्ट सोंच को प्रत्येक शब्दों में प्रतिबिंबत करती दिखायी देती है। किसी प्रसंग का हमारे अभिव्यक्ति के लिये साधन बनना सामान्य बात हो सकती है किंतु उस प्रसंग के साथ स्वयं के विचारों का तादात्म्य बिठाना और फिर उसे शब्दों के मोती में गूंथ पाठकों तक परोसना सदैव ही किसी भी कवियित्री की विशिष्टता को रेखांकित किया करती है।
सचमुच प्रेम वही है जो अभिव्यक्ति का मोहताज नहीं होता, यह आत्मा से महसूस करने की चीज होती है और जिस प्यार के लिये किसी अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती हो वह प्यार नहीं बल्कि एकांगी सोंच है, एक गुबार है जो चिरकाल तक स्थायी नहीं रह सकता।
कविता की कई पंक्तियां ना केवल प्रभावशाली बल्कि उत्कृष्ट सोंच, विचारों की दृष्टि से अति व्यवहारिक, अत्यंत सहज एवं सुंदर तथा लोकोपयोगी प्रतीत होती है मसलन जैसे -कुछ प्रेम देह के पिंजर से अलग
रूह के अवसान के लिए होते हैं
वादों की खोखली
चादर में लिपटे नही होते
इंतज़ार के पैबंद के
मोहताज़ नही होते
लफ़्ज़ों की बानगी की जहाँ
जरूरत नही होती
इस सुंदर रचना के लिये मेरी बधाई स्वीकार करें । नव वर्ष आपके लिये मंगलमय हो, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना. महेन्द्र मिश्र
सुन्दर रचना
wordpress से blogspot पर आया हूँ एक रचना के साथ...पढ़े और टिपण्णी दे !!
बहुत ही सुंदर रचना है।
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
bahut sundar...prem ki paribhasha
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
कविता थोड़ी लम्बी हो गयी, कुछ पंक्तियाँ कम होतीं तो ज्यादा बेहतर होती.
आप दूसरों की रचनाओं से प्रभावित हो कर रचना कर्म अगर बंद करके अपनी मौलिक शैली, अपने विचार, अपना चिन्तन पेश करेंगी तभी पहचान बनेगी. शायद मैं कुछ तीखा हो गया हूँ लेकिन आपकी ही भलाई की बात कर रहा हूँ.
आप में प्रतिभा है, सलीका है, चिन्तन का मौलिक स्वर भी है, फिर आत्मविश्वास का सहारा क्यों नहीं लेतीं?
मुझे पता है, आपको मिली ढेरों तारीफों में अकेले मैं ही कुछ गलत कह रहा हूँ, अच्छा तो कतई नहीं लगा होगा. लेकिन मेरी मजबूरी है, कविता के मामले में खामोश नहीं रह पाता. थोड़ा ध्यान दें, मौलिक स्वर ही आपको स्थापित करेगा.
अगर सिर्फ ब्लागिंग करनी है तो कोई बात नहीं परन्तु साहित्य में स्वयं को स्थापित करने के लिए मेहनत तो जरूरी है.
kya kahne vandana ji
shaandar shabdo se piroyi hui jabardasht rachna .. padha aur phir padha aur phir padhunga
regards
vijay
ना वादा किया
ना वादा लिया
मगर फिर भी
साथ चले
प्रेम की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है1
कुछ प्रेम देह के पिंजर से अलग
रूह के अवसान के लिए होते हैं
वादों की खोखली
चादर में लिपटे नही होते
इंतज़ार के पैबंद के
मोहताज़ नही होते
लफ़्ज़ों की बानगी की जहाँ
जरूरत नही होती
प्रेम अभिव्यक्ति का
मोहताज़ नही होता
सिर्फ रूह ही रूह की
सरताज होती है
रूह ही रूह की
माहताब होती है
कैसा होता है वो प्रेम
या
सिर्फ वो ही प्रेम होता है
kya baat hai...prem ki aisi anuthi abhiwyakti...bahut sundar...aisa prem hi ishwariya hata hai...
ahayd aisha hi hota hai prem...
उत्तर तलाशती रचना... sunder...
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