एक मौत,मर कर मरे , तो क्या मरे
आदमी है वो,जो हर पल, मर-मरकर जिया करे
मौत भी हार जाती है उसके आगे
जो ज़िन्दगी से मौत की ज़ंग लड़ा करे
मौत क्या मारेगी उस जीवट को
जो मौत को सामने देख हंसा करे
हो ज़िन्दगी ऐसी आदमी की
कि मौत भी ,उसकी मौत पर , रोया करे
कृपया मेरा नया ब्लॉग पढ़ें :
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
25 टिप्पणियां:
जेड़े वतन दे इश्क विच होन रंगे
रंग ओनां नूं नहीं कदे होर चढ़े
मौत मारे ना कदे वी बहादरां नूं
ते बुझदिल मौत तो पहला कई वार मरदे।
मैं तां सदके ओना जवानियां दे
जिन्हा मौत लेकर कालरा घलईयां ने
कुखंा विच जिन दे शेख पैंदे
जिता (आजादी) जितीया नाल कुबाZनियां ने।
आपकी कविता ने मंत्रमुगध कर दिया।
अच्छे लगेगा यदि आप ऐसी रचनांए मुझे प्रेशित करते रहो।
आभारी हूं आपका और आपकी लेखनी का।
Ramesh Sachdeva
hpsshergarh@gmail.com
जेड़े वतन दे इश्क विच होन रंगे
रंग ओनां नूं नहीं कदे होर चढ़े
मौत मारे ना कदे वी बहादरां नूं
ते बुझदिल मौत तो पहला कई वार मरदे।
मैं तां सदके ओना जवानियां दे
जिन्हा मौत लेकर कालरा घलईयां ने
कुखंा विच जिन दे शेख पैंदे
जिता (आजादी) जितीया नाल कुबाZनियां ने।
आपकी कविता ने मंत्रमुगध कर दिया।
अच्छे लगेगा यदि आप ऐसी रचनांए मुझे प्रेशित करते रहो।
आभारी हूं आपका और आपकी लेखनी का।
बहुत ही सुन्दर रचना....गहरे भाव ....उर्जा देती रचना
बहुत ही सुन्दर रचना....गहरे भाव ....उर्जा देती रचना
आपने बहुत ही सुंदर लिखा है....
मौत आपके जीवन के साथ कैसे जुड़ी हुई है इसका एहसास आपकी पंक्तियों में नज़र आता है।
अच्छा लगा आपका ये लेखनी
कविता बहुत ही अच्छा सन्देश देती है.प्रेरणादायक कविता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
अच्छी रचना.. हैपी ब्लॉगिंग
बहुत ही सुन्दर रचना ..........हार्दिक बधाई
SACH KAHA JO MOUT KO JEETA HAI USE KOUN MAAR SAKTA HAI .... MOUT BHI FEEKI HAI USKE SAAMNE .... AASHAA VAADI RACHNA.... LAJAWAAB LIKHA HAI
bahut khoob vandana ji, jeena sikhati sarthak kavita , badhai.
"एक मौत,मर कर मरे ,
तो क्या मरे
आदमी है वो,जो हर पल,
मर-मरकर जिया करे"
कवि की कल्पना को
तो वो ही भली-भाँति जान सकता है।
विचार तो आपका उत्तम है।
मगर मैं समझता हूँ कि -
मर-मर के जीने से तो
मर जाना ही बेहतर है।
बस लैपटॉप साथ है और सफर का
सदुपयोग कर रहा हूँ!
आपका नया ब्लॉग चिट्ठाजगत और
ब्लॉगवाणी में शामिल हो गया है।
बधाई!
kavita accha hai....
...dhanyavaad abki baar apne choti kavita prakashit ki...
...ja raha hoon aapka "Ek prayas" dekhne.
Kya khub kha hai aapne. Badhai....Aapko. Lge rho......
सुन्दर रचना
प्रेरक रचना
आदमी है वो,जो हर पल, मर-मरकर जिया करे
वाकई जिन्दगी तो यही है
waah.....
बहुत बढिया !!
waah !!
bahut hi achhee aur saarthak rachnaa
jivan-darshan ko prativimbit karti hui....sandesh se bharpoor
badhaaee
---MUFLIS---
सुन्दर कल्पना, और सचमुच जब ऐसी मौत किसी इन्सान को मिलती होगी, जिसके अन्दर का हर जज्बा, अदम्य साहस और जीवटता मौत को भी हर कदम पर मात देने के लिये सन्घर्ष करती हो तो निश्चय ही मौत भी उसके हार को किसी विजय पथ पर खडे बहादुर की प्रतिमा की मानिन्द स्वीकारते हुये नमन करती होगी. और उन कायरो को एक प्रेरणा देती होगी जो बुजदिलो की भान्ति परिस्थितियो से लडने की बजाय आत्महत्या का रास्ता अख्तियार कर लेते है.
मौत क्या मारेगी उस जीवट को
जो मौत को सामने देख हंसा करे
हो ज़िन्दगी ऐसी आदमी की
कि मौत भी ,उसकी मौत पर , रोया करे
सचमुच निराशा के विशाल व्रिक्ष को चीर कर जो सतह पर सूरज की रोशनी बिखेरते है समय उन्हे नमन करता है और ऐसे महामानवो के शरीर से आत्मा का हरण करते हुये मौत भी निश्चय ही रूदन करती होगी.
... bahut khoob !!!!
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना दिल को छू गई!
दुर्दम्य आशावाद है आपकी इस रचना मे
सही है ...
bahut sundar, bahut badiya.......
vandna ji kaafi achha likha hai aapne.......
jabardasht rachna , veer ras me oatpret aur sahaj tareeke se maanav ke man ke bheetar ki aag ko jagate hue..
mujhe ye rachna bahut pasand aayi vandana ..
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