ओ उम्र के तीसरे पहर में मिलने वाले
ठहर, रुक जरा, बैठ , साँस ले
कि अब चौमासा नहीं
जो बरसता ही रहे और तू भीगता ही रहे
यहाँ मौन सुरों की सरगम पर
की जाती है अराधना
नव निर्माण के मौसमों से
नहीं की जाती गुफ्तगू
स्पर्श हो जाए जहाँ अस्पर्श्य
बंद आँखों में न पलता हो
जहाँ कोई सपना
बस साथ चलने भर से तय हो जाता हो सफ़र
वहाँ जरूरी नहीं
उपासना के लिए गुठने के बल बैठना
और सजदा करना
गुनगुना उम्र की हर शाख को
हर पत्ते को
हर बेल बूटे को
कि महज यहीं रमण करती हैं
सुकून की परियाँ
और शब्द खो जाएँ सारे
किसी अनंत में उड़ जाएँ पंछी बन
सोचना जरा अब
मिलने का अर्थ
जीवन का अर्थ
तब
रूह और प्रकृति का नर्तन ही गूंजेगा दशों दिशाओं में
और मुकम्मल हो जायेगा सफ़र
एक अंतहीन मुस्कराहट के साथ
अंतिम यात्रा के श्लोक हैं ये .... याद कर लेना और गुनगुनाना
फिर हसरतों के पाँयचों में लटके घुँघरूओं की झंकार
हो जायेगी सुरीली इस बार ....
9 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (10-12-2018) को "उभरेगी नई तस्वीर " (चर्चा अंक-3181) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 11/12/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
उम्र के तीसरे पहर में जीने के अर्थ ही बदल जाते हैं .अनुभवों की आँच में पकी जीवन दृष्टि का संयत संवेदनात्मक चित्रण बहुत सुन्दरता से सामने रखा है - बधाई !
जबरदस्त!!
प्रेरक रचना
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय वन्दना जी -- एक उम्र के पड़ाव पर किसी खास को ये भावपूर्ण उद्बोधन अद्भुत है | आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और कुछ रचनाएँ पढ़ी , सभी अच्छी हैं पर ये रचना तो कमाल है |सादर बधाई और शुभकामनायें
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय वन्दना जी -- एक उम्र के पड़ाव पर किसी खास को ये भावपूर्ण उद्बोधन अद्भुत है | आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और कुछ रचनाएँ पढ़ी , सभी अच्छी हैं पर ये रचना तो कमाल है |सादर बधाई और शुभकामनायें
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय वन्दना जी -- एक उम्र के पड़ाव पर किसी खास को ये भावपूर्ण उद्बोधन अद्भुत है | आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और कुछ रचनाएँ पढ़ी , सभी अच्छी हैं पर ये रचना तो कमाल है |सादर बधाई और शुभकामनायें
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय वन्दना जी -- एक उम्र के पड़ाव पर किसी खास को ये भावपूर्ण उद्बोधन अद्भुत है | आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और कुछ रचनाएँ पढ़ी , सभी अच्छी हैं पर ये रचना तो कमाल है |सादर बधाई और शुभकामनायें
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय वन्दना जी -- एक उम्र के पड़ाव पर किसी खास को ये भावपूर्ण उद्बोधन अद्भुत है | आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और कुछ रचनाएँ पढ़ी , सभी अच्छी हैं पर ये रचना तो कमाल है |सादर बधाई और शुभकामनायें
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