ये मेरा खोना ही है
जब खुद को भी ढूंढ न पाऊँ
पलकों की ओट में छुप जाऊँ
किसी बहेलिये के डर से
डरी सहमी हिरणी सी सकुचाऊँ
ये मेरा खोना ही है
जब आदमखोर बन जाए मनवा
भरी थाली को लात मारे जियरा
किसी सजन की पीहू पीहू पर भी
न उमगे ये निगोड़ा मन भंवरा
ये मेरा खोना ही है
निष्क्रिय निस्पंद हो ठहर जाऊँ
किसी मोड़ पर न मुड़ पाऊँ
आगे पीछे आजू बाजू चलती रेल से
खुद को न उतार पाऊँ
मन की भीड़ में ही कहीं गुम हो जाऊँ
ये मेरा खोना ही है
जब तुम हो सामने
और मैं मौन हो जाऊँ
प्रेम के अवलंब लम्बवत पड़े रह जाएँ
और मैं शोकमुक्त हो जाऊँ
ये मेरा खोना ही है
श्वेत श्याम से परे
एक शीशमहल बनवाऊँ
उसमे खुद को चिनवाऊँ
और आखिरी ईंट तुमसे लगवाऊँ
ये मेरा खोना ही है
जब भी खुद से मिलना चाहूँ
तुम से मिल जाऊँ
किसी उधडी सींवन सी
किसी कांटे से उलझ जाऊँ
और बूँद बूँद रिस जाऊँ
भरी बरसातों के अहातों में पानी भरने पर नहीं चला करतीं कुँवारी कश्तियाँ
क्यूंकि
अस्थि कलशों की स्थापना को उच्चरित नहीं किये जाते वेद मन्त्र
और तुम जानते हो
यहाँ सह्स्त्राब्धियों की मोहब्बतों ने बीजे हैं आखिरी प्रपत्र
बिना बीजमंत्रों के
फिर भोर के तारे से करके इश्क
कैसे कर दोगे तवारीख में दर्ज
विधना के विधान को उलट कर
मान भी लो अब ...........ये मेरा खोना ही है
और खोये हुए दस्तावेज सिद्ध नहीं किये जा सकते और न ही ताबीज में पहन कैद किये जा सकते हैं
एक बूंद अश्क की ढलके जिस दिन .......मान लेना ये मेरा खोना ही है
बन्दनवार लगाने से
दहलीजों पर नहीं रुका करतीं
इश्क की मिश्रियाँ
इश्क के चटकारे लगाना खोने का ही पर्याय है ..........
एक रस्म है ये भी .......निभानी तो पड़ेगी ही न !!!
8 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना पांच लिंकों का आनन्द में मंगलवार 21 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-07-2015) को "कौवा मोती खायेगा...?" (चर्चा अंक-2043) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर अभिव्यक्ति ।
अति सुंदर !!!
बड़े ही गहरे अर्थ लिए हुए है कविता ...
अति सुंदर.
सामान्य से हटकर भावात्मकता लिए हुए.
साझा करने हेतु
आभार.
अति सुंदर.
सामान्य से हटकर भावात्मकता लिए हुए.
साझा करने हेतु
आभार.
बेहतरीन!!
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