पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

शनिवार, 18 जनवरी 2014

भूख भूख भूख ...........5

और एक खास भूख और होती है
जो अपना सर्वस्व खो देती है
फिर भी ना मिलकर मिलती है
प्रेम की भूख 
शाश्वत प्रेम की चाहना 

आदिम युग से अन्तिम युग तक भटकती 
जो मिटकर भी ना मिटती 
जिसकी चाह में 
सृष्टि भी रंग बदलती है
पेड पौधे , पक्षी, प्राणी, मानव, दानव
सभी भटकते दिखते हैं 
निस्वार्थ प्रेम की भूख 
ऐसा आन्दोलित करती है
जो अच्छा बुरा ना कुछ देखती है
बस पाने की चाह में 
वो कर गुजरती है 
कि इतिहास भर जाता है
नाम अमर हो जाता है
मगर प्रेमी जोडा ना मिल पाता है

फिर चाहे मीरा हो या राधा 
लैला हो या हीर 
रैदास हो या तुलसीदास 
कबीर हो या सूरदास 
प्रेम की भूख तो सबसे भयावह होती है 

जो दीदार होने पर और बढती है 
और शांत होकर भी अशांत कर जाती है
कभी विरह में भी सुकून देती है 
और अशांति में शांति का दान कर जाती है 
अजब प्रेम की भूख के गणित होते हैं
जिसके ना कोई समीकरण होते हैं 


और भी ना जाने 
कितने रूपों में समायी है ये भूख
जो शांत होकर भी शांत नहीं होती
क्योंकि
सबके लिये अलग अलग कारण होते हैं भूख के
और सबके लिये अलग अलग अर्थ होते हैं भूख के

जायज नाजायज के पलडे से परे 
भूख का अपना गणित होता है 
जो सारे समीकरणों को बिगाड देता है
इसलिये तब तक भूख के खूँटे से बँधी गाय उम्र भर रंभाती रहेगी 
जब तक कि निज स्वार्थ से ऊपर उठकर 
नैतिक आचरणों और संस्कारों की संस्कृति 
एक नयी सभ्यता को ना जन्म देगी 

11 टिप्‍पणियां:

Neeraj Neer ने कहा…

भूख ... मुझे तो लगता है भूख ही सृष्टि के पीछे की मूल वस्तु है , अगर भूख नहीं हो तो बहुत सारे कार्य जो हम करते हैं , शायद नहीं करे ,................... सृष्टि का चक्र कहीं ना कहीं बाधित हो जायेगी .. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
पोस्ट को साझा करने के लिए आभार।

Kailash Sharma ने कहा…

प्रेम की भूख तो सबसे भयावह होती है
जो दीदार होने पर और बढती है
और शांत होकर भी अशांत कर जाती है
कभी विरह में भी सुकून देती है
....वाह! प्रेम की बहुत सुन्दर और सटीक अनुभूति....

Misra Raahul ने कहा…

काफी उम्दा प्रस्तुति.....
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-01-2014) को "तलाश एक कोने की...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1497" पर भी रहेगी...!!!
- मिश्रा राहुल

Ankur Jain ने कहा…

भूख जो संभवतः इस धरा का सबसे बड़ा अभिषाप है...बेहद गहन व सार्थक विचार अभिव्यक्त किये भूख पर आपने।।।

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुंदर...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह जी बढ़ि‍या

बेनामी ने कहा…

very nice vandna ji

कौशल लाल ने कहा…

सुन्दर....

mridula pradhan ने कहा…

bahot achchi lagi......

prritiy----sneh ने कहा…

sach kaha prem ki bhook kabhi nhi mitti, achhi rachna

shubhkamnayen