याद है तुम्हें
वो पहला मिलन
जब हम
इक राह पर
इक मोड पर
अचानक मिले थे
और तुमने कहा था
तुम कौन हो?
तुम्हे देखकर
यूँ लगा
जैसे जन्मो की
तलाश को मुकाम
मिल गया हो
बताओ ना
कौन हो तुम?
तुम्हे तो मै
रोज अपने
ख्यालों मे
देखा करता था
कैसे आज
सपना साकार
हो गया
कैसे तुमने
आकार पा लिया
क्या मेरी खातिर?
और मै
सिर्फ़ तुम्हे
सुनती ही रही
और सोचती रही
ये कौन है अजनबी
कैसे इतना बेबाक
हो गया
कैसे इसका वजूद
मुझमे खो गया
और फिर हम
बिना हाथो मे हाथ डाले
निकल पडे अन्जाने सफ़र पर
बिना कोई वादा किये
बिना मोहब्बत का
इज़हार किये
बिना किसी आस के
सिर्फ़ एक विश्वास के साथ
हाँ ……कोई है इस जहाँ मे
जिसके सीने मे
मोम पिघलता है
है ना………कुछ ऐसा ही
क्योंकि बिन लफ़्ज़ों की मोहब्बत के घूंट का स्वाद
उम्र भर के लिये जुबाँ पर रुक जाता है
की होगी सबने सुस्वादु मोहब्बत
मगर नमकीन मोहब्बत के स्वाद ज़ेहन की धरोहर होते हैं
कहो ना…………ये है हमारी पहली मोहब्बत
पहले मिलन की याद ……जिसमे कभी इतवार नही होते
वो पहला मिलन
जब हम
इक राह पर
इक मोड पर
अचानक मिले थे
और तुमने कहा था
तुम कौन हो?
तुम्हे देखकर
यूँ लगा
जैसे जन्मो की
तलाश को मुकाम
मिल गया हो
बताओ ना
कौन हो तुम?
तुम्हे तो मै
रोज अपने
ख्यालों मे
देखा करता था
कैसे आज
सपना साकार
हो गया
कैसे तुमने
आकार पा लिया
क्या मेरी खातिर?
और मै
सिर्फ़ तुम्हे
सुनती ही रही
और सोचती रही
ये कौन है अजनबी
कैसे इतना बेबाक
हो गया
कैसे इसका वजूद
मुझमे खो गया
और फिर हम
बिना हाथो मे हाथ डाले
निकल पडे अन्जाने सफ़र पर
बिना कोई वादा किये
बिना मोहब्बत का
इज़हार किये
बिना किसी आस के
सिर्फ़ एक विश्वास के साथ
हाँ ……कोई है इस जहाँ मे
जिसके सीने मे
मोम पिघलता है
है ना………कुछ ऐसा ही
क्योंकि बिन लफ़्ज़ों की मोहब्बत के घूंट का स्वाद
उम्र भर के लिये जुबाँ पर रुक जाता है
की होगी सबने सुस्वादु मोहब्बत
मगर नमकीन मोहब्बत के स्वाद ज़ेहन की धरोहर होते हैं
कहो ना…………ये है हमारी पहली मोहब्बत
पहले मिलन की याद ……जिसमे कभी इतवार नही होते
13 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर ...आभार
सुन्दर अभिव्यक्ति !
latest post केदारनाथ में प्रलय (२)
बहुत ही खूबसूरत कविता.
रामराम.
पहले मिलन की याद ……जिसमे कभी इतवार नही होते
बहुत सुंदर सृजन...
RECENT POST ....: नीयत बदल गई.
Tumhare lekhanke aage to meri bolti band ho jati hai!
सुंदर भाव ,शुभकामनाये,
यहाँ भी पधारे ,
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_909.html
अनुभूति सँवारती सजग शब्दावली!
सुन्दर प्रस्तुति
bahut sunder
पहले मिलन को भूलना आसान नहीं ... और बाखूबी शब्दों के ताने बाने से बुना है इसे ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....
खूबसूरत रचना … बधाई
बहुत बहुत सुंदर
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