पृष्ठ

अनुमति जरूरी है

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

बुधवार, 17 जुलाई 2013

खोये हैं हम ना जाने किस जहान में

खोये हैं हम ना जाने किस जहान में 
आये कोई आवाज़ दे बुला ले उस जहान से



यूँ तो वापसी की डगर कोई नहीं 
बस उम्मीद के तारे पे रुकी है ज़िन्दगी
कतरनों को सीने की जद्दोजहद में 
आवाज़ के घुँघरुओं में बसी है ज़िन्दगी

चिलमनों के उस तरफ जो शोर था 
दिल में मेरे भी तो कुछ और था 
करवट बदलने से पहले कोई दे आवाज़ पुकार ले 
बस इसी आरज़ू की शाख से लिपटी खड़ी है ज़िन्दगी 

यूं तो जीने के बहाने और भी थे 
मेरे गम के सहारे और भी थे 
बस खुद को मुबारक देने की चाहत में 
उस पार की आवाज़ को तड़प रही है ज़िन्दगी 


खोये हैं हम ना जाने किस जहान में 
आये कोई आवाज़ दे बुला ले उस जहान से

10 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बढ़िया है आदरेया-

Satish Saxena ने कहा…

आये कोई आवाज़ दे बुला ले उस जहान से
...

मार्मिक आवाहन !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उम्मीद की डोर रहे तो सवेरा जरूर आता है ... कोई आवाज़ जरूर आएगी लौटाने के लिए ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुन्दर आवाहन ...

विभूति" ने कहा…

उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बस इसी आरज़ू की शाख से लिपटी खड़ी है ज़िन्दगी

बहुत खूब ... सुंदर प्रस्तुति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन,,,वाह

RECENT POST : अभी भी आशा है,

kshama ने कहा…

Phir ekbaar mugdh kar diya!

Dr. Shorya ने कहा…

बहुत सुंदर , मंगलकामनाये

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत बहुत सुंदर