सिन्दूर , पाजेब , बिंदिया , मंगलसूत्र कुछ नहीं चाहिए मुझे ..........ये ढकोसलों भरे रिवाज़ मेरी रूह की थाती नहीं ..........तुम जानते हो ............बस प्रेम की कंठी जो मैंने बाँधी है ...........क्या किसी जन्म में , किसी पनघट के नीचे , किसी पीपल की छाँव में , किसी चाहत की मुंडेर पर ...........आओगे तुम मुझमे से खुद को ढूँढने .........मेरी आवाज़ को , मेरी इबादत को मुकम्मल करने ...............ये एक सवाल है तुमसे ..........क्या दे सकोगे कभी " मुझसा जवाब " ............ओ मेरे !
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सोमवार, 24 जून 2013
ओ मेरे !............6
साहेबा ! इश्क की डली मूंह में रखी है मैंने ............ और कुनैन से कुल्ला किया है ...........खालिस मोहब्बत यूं ही नहीं हुआ करती ...........एक डोरी सूरज की तपिश की लेनी पड़ती है और एक डोरी रूह की सुलगती लकड़ी की ...फिर गूंथती हूँ चोटी अपने बालों के साथ लपेटकर ...........लपटें रोम रोम से फूटा करती हैं और देख आज तक जली ही नहीं मेरी ख्वाहिशें , तुझे चाहते रहने की कोशिशें , तुझ पर जाँ निसार करने की चाहतें ..........एक एक मनका प्रीत का पिरोया है ना मैंने जो सूत काता था कच्चे तारों का और कंठी बना गले में बाँध लिया है ........... सुना है इस कंठी को देख फ़रिश्ते भी सजदे किया करते है , सजायाफ्ता रूहें भी सुकून पाया करती हैं ...........जानते हो क्यों ? क्योंकि इसमें तेरा नाम लिखा है ..............जानां !!!
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16 टिप्पणियां:
नया अंदाज ! उम्दा प्रस्तुती !
वन्दना जी!
बहुत अच्छी वर्जना प्रस्तुत की है आपने!
Aprteem. Bhot pyari lines he. Itna acha parhke AATMA kush ho gai. Bhot acha. Thank You. Meri khushi ke liye
Aprteem. Bhot pyari lines he. Itna acha parhke AATMA kush ho gai. Bhot acha. Thank You. Meri khushi ke liye
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
बेहतरीन प्रस्तुति...
वाह बहुत ही अच्छा लगा, धन्यवाद.
वाह , बहुत खूब अंदाज ए बयाँ , आभार
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति .
आपकी साहित्य में पहुँच काफी गहरी है ... सलाम दुआ ...
बहुत उम्दा प्रस्तुति !
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
DIL SE NIKLEE HOOK KEE GOONJ BAHUT
PYAAREE LAGEE HAI .
रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत अच्छी रचना...बहुत-बहुत बधाई...
@मानवता अब तार-तार है
प्रेम को इन आडम्बरों की क्या आवश्यकता है !!
बहुत खूब ...
जो चाहता है सच्चे दिल से वो जरूर आएगा ...
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