किससे करूँ शिकायत
और क्या कहूँ
कहीं कोई अपना मिला ही नहीं
सभी अपनों के भेस में बेगाने ही मिले
सबने अपने कार्य ही सिद्ध किये
और हम किनारे पर खड़े
लहर का इंतजार ही करते रहे
कभी तो आएगी कोई लहर
मेरे नाम की
कभी तो भिगोएगी दामन
मेरे ख्वाबों का
कभी तो लहलहाएगी सरसों
मेरी मन में भी
कभी तो साहिल को नज़र आएगी
मेरी बेजुबान बेबसी
मगर ना कोई लहर आई
ना ही साहिल ने हाथ बढाया
और मैं चुपचाप
खडी खडी
लहरों का तांडव देखती रही
उस शोर में अपना वजूद खोती रही
शायद कुछ किनारे कभी नहीं भीगते
या जलसमाधि हर किसी का नसीब नहीं होती
और क्या कहूँ
कहीं कोई अपना मिला ही नहीं
सभी अपनों के भेस में बेगाने ही मिले
सबने अपने कार्य ही सिद्ध किये
और हम किनारे पर खड़े
लहर का इंतजार ही करते रहे
कभी तो आएगी कोई लहर
मेरे नाम की
कभी तो भिगोएगी दामन
मेरे ख्वाबों का
कभी तो लहलहाएगी सरसों
मेरी मन में भी
कभी तो साहिल को नज़र आएगी
मेरी बेजुबान बेबसी
मगर ना कोई लहर आई
ना ही साहिल ने हाथ बढाया
और मैं चुपचाप
खडी खडी
लहरों का तांडव देखती रही
उस शोर में अपना वजूद खोती रही
शायद कुछ किनारे कभी नहीं भीगते
या जलसमाधि हर किसी का नसीब नहीं होती
24 टिप्पणियां:
मन की छटपटाहट को कहती सुंदर अभिव्यक्ति
हो सकता है आपका जन्म इस बार देने के लिए ही हुआ हो , ये बात तो मालिक ही जानें .
फिर भी आप ऐसा न कहें इश्वर बड़े कृपालु है न जाने कौन साहिल पर इंतज़ार करता मिले ....
भावमय करते शब्द...बेहतरीन रचना... शुभकामनायें
बहुत नायाब अभिव्यक्ति ,,,सुंदर रचना,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
गहरी रचना..
आस-विश्वास पर जीवन की नया बड़ी-बड़ी लहरों को पार कर जाती है ...
गहरी सोच सुन्दर अभिव्यक्ति..
बहुत सुन्दर भाव वंदना जी.....
मन को छू गए.....झकझोर भी गए....
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर, मन को झकझोरती रचना.
आत्मविश्वास और सही वक्त हर समस्या का इलाज है.
गहरी रचना.
कुछ किनारे कभी नहीं भीगते....
सुन्दर अभिव्यक्ति....
लहरों के इस शोर में, सुनते मेरे कान.
दूर कहीं से आ रही, मोहक बंशी तान.
सादर.
अंतस की आवाज़ बहुत गहरा प्रभाव छोडती है.
सुंदर रचना.
शायद कुछ किनारे कभी नहीं भीगते
या जलसमाधि हर किसी का नसीब नहीं होती
...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
AAPKE MAN SE NIKLEE HOOK BADEE
PYAAREE LAGEE HAI .
AAPKE MAN SE NIKLEE HOOK BADEE
PYAAREE LAGEE HAI .
कुछ किनारे कभी नहीं भीगते.....बहुत सुन्दर।
भीगने की चाह में कभी कभी जीवन भर बूँद भी नसीब् नहीं होती ... भावनात्मक शब्द ....
भावमय करते शब्दों का संगम ... बेहतरीन प्रस्तुति।
समय बड़ा बलवान होता है इसलिए कहते हैं शायद वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कभी किसी को कुछ नहीं मिलता। अंतिम पंक्तियों ने समा बांध दिया लाजवाब गहन भाव अभिव्यक्ति....
bhawpoorn.....
अपनों के भेस में बेगाने मिलते ...
कुछ किनारे कभी नहीं भीगते ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
People come in disguise. No one is selfless on this earth...
भावों की ताजगी है कविता में।
कितनी सटीक बात कही है-
जल समाधि सबके नसीब में नहीं होती।
ओह!
वंदना जी,
भूल गयीं आप कि
भले ही सब बेगाने हों,पर आप
तो सबकी अपनी हैं,
आप ही तो खुद लहर हैं,
आप ही साहिल हैं,
आपका सा नसीब तो
नसीब वालों को भी
नही मिलता.
यदि मैंने कुछ गलत कहा हो तो
फिर से पहिचानियेगा अपने आप को.
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