सुना था
कोई याद करे
कोई बात करे
कोई बारिश में भीगे
कोई सपनो में देखे
कोई ख्यालो में संजोये
तो हिचकी आती है
मगर देखो ना
मैं तो इक पल को भी
कभी तुमको भूली ही नहीं
यादों से कभी तुमको
रुखसत ही नहीं किया
ख्यालों में …दिन में
सपनो में …रात में
भीगी भीगी बरसात में
फिर चाहे आसमानी हो
या रुहानी
तुम और तुम्हारी यादों को हमेशा भिगोये रखा
बताओ ज़रा ……
कभी एक सांस भी
ले पाये मेरी हिचकियों बिन
या ये मेरा कोरा भरम था
तुम्हें कभी हिचकी आयी ही नहीं
30 टिप्पणियां:
आपने इस रचना में अन्तर्मन के भावों का बहुत बढ़िया विश्लेषण किया है!
बहुत सुन्दर रचना!
ओह हो हो ..क्या प्यार भरी घुडकी है...बहुत प्यारी रचना.
गहन अभिव्यक्ति लिए हैं पंक्तियाँ ...सुंदर रचना
बहुत खूब....वंदना जी....
shandar prastuti
भ्रम टूटने में समय लगता है। भावुक कर देने वाली रचना।
bahut sundar ..hichkiyon ke dwara aapne antarman me uttpan dwand ko bharose kee lakeer ko tarasa hai..umda
:):) बहुत प्रवाह मयी रचना ..अरे जब भूली ही नहीं तो याद कैसे करतीं ? और जब याद नहीं किया तो हिचकी कैसे आएगी .. :):) बहुत प्यारे भावों से संजोयी रचना
वंदना जी, आप ने बहुत सुंदर लिखा है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अच्छे भाव ,सुंदर रचना
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
quite often i imagine in the same way..." koi yaad kare..."
बहुत सी सुन्दर अभिव्यक्ति, मन के भाव सहज ही शब्द पा जाते हैं आपकी कलम से।
achchi kavita hai vandna ji.......
हाँ ऐसा सुना था.......पर विज्ञानं कुछ और ही कहता है........पोस्ट अच्छी है कुछ अलग सी....सुन्दर|
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल २३-६ २०११ को यहाँ भी है
आज की नयी पुरानी हल चल - चिट्ठाकारों के लिए गीता सार
:) :) बहुत ही खूबसूरत..
bahut sundar pyaari rachna.
बहुत प्रवाह मयी रचना|
सुन्दर भाव और सुन्दर अभिव्यक्ति....
सुना है कि तुम्हें हिचकियाँ बहुत आती हैं...
मेरी यादों से तुम दूर गए ही कब ???
क्या बात है .!.. कितनी प्रशंसा करें आप ही बताएं ... बहुत खूब भाव-प्रवर , शिल्प .......लेखन न रुके क़यामत तक .. हम तो यही कहेंगे जी /
शुक्रिया /
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
हिचकियां हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं। कोरा भरम नहीं है, सचमुच आपको याद करते हैं।
*
अच्छी कविता है।
वाह...वाह....वाह....
क्या बात कही....
यह उपालंभ किसका न मन मोह ले...
हिचकी को लेकर लिखी गई एक नर्म और नाजुक सी रचना ।
कविता का कथ्य बिल्कुल नया है।
शुभकामनाएं।
bahut khoob vandna ji...
wah.bahut sunder.
गर देखो ना
मै तो इक पल को भी
कभी तुमको भूली ही नही
ये आपका "देखो ना कहना " मुझे बहुत ही अच्छा लगता है...
प्यार भरे भावों से सजी सुंदर रचना...... अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
लाजवाब ........
बहुत सुंदर भाव प्रवण कविता ।
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