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शनिवार, 12 जून 2010

इसे क्या नाम दूं?

भोर की 
सुरमई 
लालिमा सी
मुस्काती 
थी वो
नभ में 
विचरण 
करते
उन्मुक्त 
खगों सी
खिलखिलाती 
थी वो
और सांझ के 
सिंदूरी रंग के
झुरमुट में
सो जाती 
थी वो
वो थी 
उसकी 
पावन 
निश्छल 
मधुर 
मनभावन 
मुस्कान 
हाँ --एक नवजात 
शिशु की
अबोध 
चित्ताकर्षक
पवित्र मुस्कान  

31 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

सचमुच एक मुश्किल सवाल !

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ठुमक चलत रामचन्द्र.. बाजत पैजनिया.. बाल सुलभ मुस्कान पर कौन ना हो जाए फ़िदा???

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरती से पवित्र मुस्कान को लिखा है...

अब नाम में क्या रखा है...बस देखो और महसूस करो

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत सुन्दर भावों से सजी है यह कविता, आभार |

संजय पाराशर ने कहा…

Nand ghar anand bhyo............
jai kanhaiyalal ki.........

M VERMA ने कहा…

हाँ --एक नवजात
शिशु की
अबोध
चित्ताकर्षक
पवित्र मुस्कान
वाह क्या चित्र खींचा है आपने

प्रश्न का उत्तर फिर प्रश्न ही रहेगा :
"इसे क्या नाम दूं?"

Apanatva ने कहा…

sunder bhav.......

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर रचना !!

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर भावों से सजी रचना.

SELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTION ने कहा…

sundaer ...rachna

SELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTION ने कहा…

मनमोहक अभिव्यक्ति....सुन्दर रचना...सुखद लगा पढना...
आभार..

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!

The Straight path ने कहा…

Bahut Acche Bhav hai is main

Jandunia ने कहा…

nice

दिलीप ने कहा…

waah ek shishu ki muskaan ko itne achche se chitrit kiya...

kshama ने कहा…

Shishu ki muskaan! Atuly...anupmey!Vandana,kya khoob likhti ho!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ek pavitr nirmal rachna.

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

वन्दना जी
आप तो हमेशा ही बहुत अच्छा लिखती हैं ।बचपन की निश्छल मुस्कान को भला क्या नाम दे सकते हैं ........... हिन्दीसाहित्य पर अपनी रचना पर आपके विचार पढ़कर बहुत खुशी हुई धन्यवाद

राजेश उत्‍साही ने कहा…

वंदना जी आपकी कविता पढकर मुझे अपनी दो पंक्तियां याद आ गईं-
जब भी मुस्कराया है कोई देखकर मुझको/अपनी शख्सियत का मैंने नया मायना देखा।

वाणी गीत ने कहा…

देवदूत से ज्यादा या कम क्या ..!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

निश्छल मुस्कान को बहुत ही अनुपम रूप से लिखा है ... बहुत सुंदर रचना ....

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर भावमय कविता बधाई

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

wah vandana ji bahut khub shabdon ko achchi tarah piroya hai aapne behatrin

Aruna Kapoor ने कहा…

अति सुंदर रचना!...एक एक शब्द में गूढ अर्थ छिपा हुआ है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हाँ --एक नवजात
शिशु की
अबोध
चित्ताकर्षक
पवित्र मुस्कान

बहुत ही सशक्त रचना!
सोचने को बाध्य करती है!

समयचक्र ने कहा…

बहुत ही सुन्दर...आभार

Vinay ने कहा…

आकर्षक

sandhyagupta ने कहा…

Shishu ki tarah hi nischal aur sundar rachna.badhai.

कडुवासच ने कहा…

...प्रसंशनीय !!!

S.M.Masoom ने कहा…

सुंदर मुस्कान है

Rajat Narula ने कहा…

bahut hi umda rachna hai !