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मंगलवार, 8 जून 2010

तुम्हें याद है वो..................

तुम्हें याद है वो
मौसम की पहली
बारिश में भीगना
और इतना भीगना
कि हाथ -पैर 
और होठों का 
नीला पड़ जाना
फिर ठण्ड से 
ठिठुरना और
ठिठुरते -ठिठुरते
तेरे आगोश में
सिमट जाना


तुम्हें याद है वो
जेठ की तपती  
धूप में 
छत पर नंगे
पाँव दौड़कर
आना मेरा 
आकाश से 
गिरते अंगारों 
की भी परवाह
ना करना
और तुझसे 
मिलने की 
बेचैनी में
पाँव में पड़ते
छालों का 
दर्द भी 
बिसरा देना


तुम्हें याद है वो
आसमान से गिरते
रूई के फाहों 
पर नंगे पाँव
चलना और
सर्द हवाओं से
ठिठुरते हुए
किटकिटाते 
दाँतों के साथ
आइसक्रीम 
खाना और
फिर कंपकंपाते 
हुए तेरी बाँहों 
के घेरे में
कैद हो जाना

क्या याद है 
तुम्हें वो सब मंज़र 
जहाँ शोखियों 
और प्यार का
खुमार था 
निगाहों में बस 
इंतज़ार ही 
इंतज़ार था
प्रेम के वो
शोख चंचल पल 
क्या अब भी
तुम्हारी यादों
में क़ैद हैं 
क्या वो स्मृतियाँ 
अब भी जीवंत हैं
या वक़्त की 
धूल पड़ गयी है ?

मैंने कतरनों को संभाला है 
देख इस आषाढ़ में 
कितने गरज गरज आमंत्रित कर रहे हैं बदरा 
आओ पुनः उन्हीं लम्हों को जीवंत कर लें 
पल जो अधूरे छुट गए थे 
फिर से जी लें 
अधूरी हसरतों को शायद मुकाम मिल जाए 
किसी और जन्म मिलन की हसरत को 
आ इसी जन्म पूरा कर लिया जाए 
कल हों न हों ......

39 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

mohabbat kii shiddat k okitni khoobsoorti se likha hai aapne.....

Happy Birthday to you......

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

बहुत खूब वंदना जी एक बेहतरीन कविता ,,,,, स्मर्तिया ही तो जीने का सबब है ,,,,
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

शोभा ने कहा…

अति सुन्दर लिखा है। बधाई।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

वंदना जी,आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचना.

माधव( Madhav) ने कहा…

first of all

very very Happy Birth Day,

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत उम्दा रचना है |

arvind ने कहा…

bahut hi maarmik umdaa rachna........
janmdin kee subhakaamanaayen.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

...वक्त की धुल पड़ गई.... अति सुन्दर !

राजकुमार सोनी ने कहा…

काफी कसी हुई रचना।
आपको बधाई... जन्मदिन की भी।

adwet ने कहा…

वंदना जी,अति सुन्दर! बहुत खूब!आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

shikha varshney ने कहा…

ओए होए ....गज़ब ..बस गज़ब .

संजय पाराशर ने कहा…

bahut hi jabardast vyakhya ki hai..

संजय पाराशर ने कहा…

bahut hi jabardast vyakhya ki hai..

दीपक 'मशाल' ने कहा…

'चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है' की तरह ही बेहतरीन कविता..

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी इस बेहद खूबसूरत रचना और आपके जन्म दिन पर आपको बहुत बहुत बधाई...इश्वर आपके स्वप्नों को साकार करे...
नीरज

kunwarji's ने कहा…

इन यादों के तो क्या कहने जी.....जैसे किसी ओर दुनिया में ले जाती हो हमें....

वो खट्टे-मीठे अनुभव सब गुदगुदाते है चले जाने के बाद...
नासमझी भी अपनी,हँसा जाती है जब आती है बरबस ही याद....

कुंवर जी,

आचार्य उदय ने कहा…

आईये जानें ....मानव धर्म क्या है।

आचार्य जी

रश्मि प्रभा... ने कहा…

yaad aur vartmaan .... bahut badhiyaa

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत जज्बाती ....आपने यादों को खूब समेटा है... :) :) :)

लाल गुलाल बिखर गया हो जैसे . हा हा हा

Apanatva ने कहा…

sunder bhavo kee sunder abhivykti.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

प्रेम के वो
शोख चंचल पल
क्या अब भी
तुम्हारी यादों
में क़ैद हैं
क्या वो स्मृतियाँ
अब भी जीवंत हैं
या वक़्त की
धूल पड़ गयी है ?
--

यादों को समय-समय पर याद कर लेना
और अपने अतीत में खो जाना
कितना अच्छा लगता है!
--
अन्तर्मन से निकली यह रचना बहुत ही
सुन्दर है
--
वन्दना गुप्ता जी!
आपको जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

"mujhe bhi yaad hai............:) aise kuchh behatareen pal.....jo jindagi bhar ke liye sahej kar rakh diye jaate hain.......!!

bahut hi simple words me itnee romantic rachna.....:)

GREAT!!

kavita verma ने कहा…

bahut khoobasurat yade,aur in yado ko yad karne ka andaj...man ko choo gayee ......

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

वंदना जी,आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

राकेश कुमार ने कहा…

यादे जीवन के कठिन सफर मे मनुष्य का सम्बल होती है,एक अवलम्बन सा बन मनुष्य के लिये कठिनाईयो के बीच दिये के टिमटिमाती रोशनी बन मार्ग प्रशस्त करती है.

यादे मनुष्य के लिये अग्नि के बीच पानी की फुहारो का अहसास करती है, विरह की वेदना , यादो के मरहम से, क्षण भर को ही सही एक अनोखी त्रिप्तता का अहसास पाती है और यही त्रिप्तता इन्सान को अवसाद और निराशा से बचाने मे एक हद तक सफल होती है.

एक प्रेयसी की इन्ही वेदना के बीच यादो की अनुभूति को रेखान्कित करती आपकी सुन्दर पन्क्तिया अन्तर्मन तक भा गयी.
बधाई!

राकेश कुमार ने कहा…

वन्दना जी , जन्म दिन पर मेरी हार्दिक शुभकामनाये भी स्वीकार करे, ईश्वर आपको आपके परिवार के साथ सदैव खुश और जीवन्त बनाये रखे.

रंजू भाटिया ने कहा…

जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई आपको

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर बहुत बढ़िया पसंद आई आपकी यह रचना शुक्रिया

राजेश उत्‍साही ने कहा…

जन्‍मदिन आपका है

तो बधाई हमारी है

इस तरह की यादों में
जीने की हमको भी
बीमारी है।

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण पोस्ट रचना प्रस्तुति बेहतरीन लगी ...आभार

rashmi ravija ने कहा…

स्मृतियाँ ही तो जीने का बहाना हैं...बहुत ही सुन्दर रचना...
एक बार फिर ,.जन्मदिन की अनेकों शुभकामनाएं

شہروز ने कहा…

दो पहर की धूप में वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है.......
हसरत मोहानी का मुखड़ा याद आ गया एक ग़ज़ल का..

दिनों बाद इधर आना हुआ.ज़िन्दगी की व्यस्ताएं पल भी कहाँ दे पाती हैं.खैर जब आया तो बस पढता रहा आप्किकई पोस्ट.जो इधर न पढ़ सका था.सब एक से एक ..बहुत श्रम कर रही हैं रचनाओं पर..ये अच्छी बात है..

कुमार संभव ने कहा…

एक हलचल सी मच गई है .............. बेहतरीन लिखा है आपने ..........

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वो रूमानी यादें कौन भुला पाता है?
शानदार कविता, बधाई स्वीकारें।
--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना लिखा है! बधाई!

निर्मला कपिला ने कहा…

वन्दना दिल को छू लेने वाली रचना है बहुत बहुत बधाई

सदा ने कहा…

स्‍मृतियों का सुन्‍दरता से किया गया वर्णन बेहतरीन ।