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सोमवार, 2 मार्च 2009

तेरे आने से पहले
और
तेरे जाने के बाद
तेरे रोने से पहले
और
तेरे हंसने के बाद
तेरे ग़मों से पहले
और
तेरी खुशियों के बाद
तेरी यादें,तेरी खामोशी,
तेरे दर्द,तेरे आंसू
आकर हमें घेर लेते हैं
कभी तन्हाई का
अहसास ही नही होता.

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut sundar ehsaaas dil se

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है ..यही पल याद रह जाते हैं

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

तन्हाई तो तन्हाई है,

इतना तन्हाई ने घेरा।

घेरे ने सक्षम होकर,

मन पर डाला है डेरा।।

Vinay ने कहा…

मनमोहक कविता!

Prem Farukhabadi ने कहा…

Rooh ne rooh se baat kah dee, rooh ne rooh ki baat sunli.meri nazar mein aap ek behtareen kivitri aur lekhika hain. ismein jara bhi mujhe sandeh nahin lagta.kavitayen padi to kavitaon ka ho gaya.man ka tartamy toot ta hi nahin.aap ki kavitaon mein chumbkatv hai. vaah!!!Vandnaji Vaah!!!

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह जी वाह।
सच आपके पास बहुत कुछ लिखने को। हम तो विषय ही ढूढते रह जाते है।

daanish ने कहा…

kabhi tanhaaee ka ehsaas hi nahi hota...
waah ! jaane kitne diloN ki un-kahi-si baat
keh di aapne......
achhi rachnaa. . . .
---MUFLIS---

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

bahut geheri baat keh di aapne.. asaan de laphzon mein

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut ,gahrai se lkhi gai rachana vandana ji

badhai ho


take care
regards
vijay