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शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

बनो स्त्रियों रणचंडी बनो

 


बनो स्त्रियों रणचंडी बनो
काली खप्पर वाली बनो
महिषासुर मर्दिनी बनो
किन्तु चुप मत रहो
समय की प्रचंड पुकार है
धरा पर मचा हाहाकार है

खामोश चीत्कारों से ही सुलगा करता है धरती का सीना,
ये मंद मंद सुगबुगाहटें कहर बन लील लें वजूद
उससे पहले
एक चिंगारी बने मशाल
उठाओ शिव का त्रिशूल
करो तांडव
करो संहार व्यभिचारी सोच का, व्यभिचारियों का
बता दो अच्छे दिनों का सपना दिखाने वालों को
नहीं मिलेगी पनाह किसी को भी
ब्रह्माण्ड के अंतिम छोर पर भी
नहीं बख्शेंगी किसी को भी
सोयी शेरनियां जागने पर बहुत खूँखार हुआ करती हैं

कहीं थाम ने लें समाज और सत्ता की कमान
हो जाए इन्हीं का वर्चस्व कायम
वो वक्त आये
उससे पहले हो जाओ

सावधान
सावधान
सावधान

स्त्रियों की चुनौती से तो थरथरा उठता है समस्त ब्रह्माण्ड - वाकिफ हो न 


#मणिपुर 

4 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

सराहनीय प्रस्तुति

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत सुंदर

somali ने कहा…

बहुत सुंदर