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शनिवार, 8 अगस्त 2020

मसला तो उसे भुलाने में है

 जब तब छेड़ जाती है उसकी यादों की पुरवाई सूखे ज़ख्म भी रिसने लगते हैं किसी को चाहना बड़ी बात नहीं मसला तो उसे भुलाने में है


यूँ तो तोड़ दिए भरम सारे
न वो याद करे न तुम
फिर भी इक कवायद होती है
आँख नम हो जाए बड़ी बात नहीं
मसला तो उसे सुखाने में है


4 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

Vinod kumar kushwaha ने कहा…

Nice line

Anamika ने कहा…

बहुत उम्दा पंक्तियाँ!!

Adarsh Sharma ने कहा…

बहुत बढ़िया