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सोमवार, 10 फ़रवरी 2020
मैंने चिंताओं को पकते देखा है
वक्त की डाल पर
किसी खराश सा
जो परिवर्तित हो
बन जाती है अंततः
चिता की लकड़ी
और
धूं धूं कर जलना जिनकी नियति
2 टिप्पणियां:
Onkar
ने कहा…
बहुत सुन्दर
13 फ़रवरी 2020 को 8:28 am
ahmed
ने कहा…
شركة تسليك مجاري بالقصيم
27 फ़रवरी 2020 को 3:14 pm
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2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर
شركة تسليك مجاري بالقصيم
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