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शनिवार, 4 मई 2013

वो सुपरवूमैन कहलाती हैं

वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं 
मेगज़ीनों में शीर्ष पर छाते हैं 
तभी तो हमारे सैनिकों के 
सिर काट लिए जाते हैं 
सच्चाई की आवाज़ को दबाया जाता है 
पर इनका खून ना  खौल पाता है 
इसलिए ये ना  हो- हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं

वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
जहाँ वूमैन की इज़्ज़त ही 
तार- तार हुयी जाती है 
मगर उनमें ना 
क्रांति की अलख जगती है 
क़ानून का गलत इस्तेमाल कर 
कोई खुद को साफ़ बचाता है 
नाबालिगता के प्रमाण पत्र तले
 सरकारी सुरक्षा पाता है 
इन्साफ रौंदा जाता है 
मर्यादाएं कुचली जाती हैं 
वहशी दरिंदों को जहाँ 
हिफाज़त में रखा जाता है 
मगर इन पर न असर होता है 
ये ना हो- हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं


मँहगाई त्राहि त्राहि मचाती है 
आम जनता मारी जाती है 
भ्रष्टाचार जडें जमाता है 
इनके राज में खूब पनपे जाता है 
सब्र कर सब्र कर की धुन पर 
कोई सरबजीत मारा जाता है 
मगर इन पर ना असर होता है 
ये ना  हो -हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं 


कोई पाक को नापाक करता है 
पीठ में छुरा घोंपता है 
फिर भी उस पर ना  गुर्राते हैं 
बस अपनों पर ही लाठीचार्ज करवाते हैं 
जहाँ जुल्म ही जुल्म मुस्काता है 
बेबस तो आंसू बहाता है 
ये कैसा बेशर्मी से नाता है 
जो इनका दिल न पसीज पाता है 
तभी तो अंधे गूंगे बहरे बन 
देश को खाए जाते हैं 
पर ये न हो- हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं


कहीं लश्कर रौब जमाता है 
कहीं चीन अन्दर घुसा आता है 
पर गूंगे मोहन को तो बस 
चुप रहना ही सुहाता है 
सिर्फ कुर्सी ही कुर्सी दिखती है 
इसलिए हाँ में हाँ मिलाता है 
अर्थशास्त्री का सारा अर्थ तो 
तिजोरियों में सिमटा जाता है 
इसलिए ये ना हो- हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते हैं


तभी तो ताकतवर देश ना  कहाता है 
मेरा भारत पिछड़ा जाता है 
ऐसे लोभियों के हाथों में पड़ 
अपनी किस्मत पर रोये जाता है 
क्योंकि जज्बा ना अमरीका सा पाता है 
जो दुश्मन के घर में घुस उसे मार गिराता है 
ऐसी जांबाजी की मिसाल ना दे पाता है 
बस कुछ लालचियों की भेंट चढ़ा जाता है 
ये कैसा अजब तमाशा है 
जहाँ बाड़ ही मेड को खाती है 
इसलिए ये ना  हो- हल्ला मचाते हैं 
बस 
वो  सुपरवूमैन कहलाती हैं 
वो शक्तिशाली कहलाते है


(फ़ोटो : साभार गूगल )

17 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

क्‍या किया जाए ...
आज पद और प्रभाव ही सबकुछ है !!

Arun sathi ने कहा…

बहुत करारा तमाचा मारा जी पर बेशर्मी की सीमा सब पार कर चुके है...आभार

Jyoti khare ने कहा…

देश की गंभीर परस्थितियों का सार्थक और सटीक आंकलन
सहजता से कही गहन बात
बहुत बहुत बधाई


धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा,बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

RECENT POST: दीदार होता है,

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

waaaak
khub

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सटीक प्रहार किया है लेकिन इससे इनकी सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है !!

Amrita Tanmay ने कहा…

पता करना है कि इनके पास कान है या नहीं..बहुत बढ़िया..

अरुन अनन्त ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत खरी खरी कही आपने पर इनके कानों पर जूं भी नही रेंगेगी.

रामराम.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सटीक प्रासंगिक विचार

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…


अपने यहाँ के एक से एक लोग जिसके कारण उन्हें सिर पर बिठाये हैं क्या कोई बता सकता है कि वह कौन सी खासूसियत है ?

Satish Saxena ने कहा…

वह शक्तिशाली है ...

रचना दीक्षित ने कहा…

जनता कमजोर हो रही है हर मामले में और वो शक्तिशाली.

सुंदर आकलन आज कि परिस्थितियों का.

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

waah ..jaandaar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वो सुपर वूमेन इसलिए कहलाती है की देश के लोगों ने अभी गुलामी छोड़ी नहीं ... आत्म्समान आया नहीं ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तीक्ष्ण कटाक्ष ... खरी खरी बात

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सटीक,खरी खरी, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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