चाहती थी
नींद , ख्वाब
भंवरा, पपीहा
पीहू - पीहू
पी कहाँ ,पी कहाँ
सारे बोल गुनगुनाऊँ
मै भी जोगन बन जाऊँ
मै भी एक बार
मोहब्बत मे गुम हो जाऊँ
पर ज़रूरी तो नही ना
नींद , ख्वाब
भंवरा, पपीहा
पीहू - पीहू
पी कहाँ ,पी कहाँ
सारे बोल गुनगुनाऊँ
मै भी जोगन बन जाऊँ
मै भी एक बार
मोहब्बत मे गुम हो जाऊँ
पर ज़रूरी तो नही ना
हर रस्म निभायी ही जाये
या हर ख्वाब सच हो ही जाये
ओ मेरे
अन्जान देश के अन्जान पंछी
मेरी आखिरी कसक का आखिरी सलाम लेता जा
देख ले आज तू भी
एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
न ख्वाब मे ना हकीकत मे
कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
फिर भी
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………
कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………
या हर ख्वाब सच हो ही जाये
ओ मेरे
अन्जान देश के अन्जान पंछी
मेरी आखिरी कसक का आखिरी सलाम लेता जा
देख ले आज तू भी
एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
न ख्वाब मे ना हकीकत मे
कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
फिर भी
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………
कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………
16 टिप्पणियां:
:) जो अनजानों की इबादत करे उससे बड़ा पीर कहाँ ?
ऐसी साध्वी को मेरा प्रणाम.
.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ख्वाब हकीकत में भी बदल जाते हैं. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
sundar rachna मेरी आखिरी कसक का आखिरी सलाम लेता जा
देख ले आज तू भी
एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
न ख्वाब मे ना हकीकत मे
कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
फिर भी
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………
बहुत सही कहा आपने, शुभकामनाएं.
रामराम.
waaaaah waaaah bhot umda waaaaah
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी ..
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………
कभी देखा है कोई पीर फ़कीर दरवेश ऐसा …………
...वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जब मन से अपना लिया तो अंजाना कैसा रहा ...
अर्थपूर्ण रचना ...
सुन्दर कृति.
वाह बहुत ही सुन्दर भावों की शानदार अभिव्यक्ति.
देख ले आज तू भी
एक अन्दाज़ ये भी होता है जीने का
न ख्वाब मे ना हकीकत मे
कुछ हथेलियों पर मोहब्बत की लकीर ही नही होती
फिर भी
जो अन्जानों की इबादत करता हो ………
अनमोल पंक्तियाँ हैं ये...हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ!!
अति सुंदर
sundar abhibyakti
बहुत सुन्दर भाव
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