मेरे पैर नही भीगे
देखो तो
उतरे थे हम दोनों ही
पानी के अथाह सागर में
सुनो………जानते हो ऐसा क्यों हुआ?
नहीं ना …………नहीं जान सकते तुम
क्योंकि
तुम्हें मिला मोहब्बत का अथाह सागर
तुम जो डूबे तो
आज तक नहीं उभरे
देखो कैसे अठखेलियाँ कर रही हैं
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें
कैसे आँखों मे तुम्हारी
वक्त ठहर गया है
कैसे बिना नशा किये भी
तुम लडखडा रहे हो
मोहब्बत की सुरा पीकर
और देखो………इधर मुझे
उतरे तो दोनों साथ ही थे
उस अथाह पानी के सागर मे ………
मगर मुझे मिली ………रेत की दलदल
जिसमें धंसती तो गयी
मगर बाहर ना आ सकी
जो अपने पैरों पर मोहब्बत का आलता लगा पाती
और कह पाती ………
देखो मेरे पैर भी गीले हैं ……भीगना जानते हैं
हर पायल मे झंकार का होना जरूरी तो नहीं …………
सिमटने के लिये अन्तस का खोल ही काफ़ी है
सुना है
नक्काशीदार पाँव का चलन फिर से शुरु हो गया है
शायद तभी
मेरे पैर नही भीगे ……………देखो तो !!!
देखो तो
उतरे थे हम दोनों ही
पानी के अथाह सागर में
सुनो………जानते हो ऐसा क्यों हुआ?
नहीं ना …………नहीं जान सकते तुम
क्योंकि
तुम्हें मिला मोहब्बत का अथाह सागर
तुम जो डूबे तो
आज तक नहीं उभरे
देखो कैसे अठखेलियाँ कर रही हैं
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें
कैसे आँखों मे तुम्हारी
वक्त ठहर गया है
कैसे बिना नशा किये भी
तुम लडखडा रहे हो
मोहब्बत की सुरा पीकर
और देखो………इधर मुझे
उतरे तो दोनों साथ ही थे
उस अथाह पानी के सागर मे ………
मगर मुझे मिली ………रेत की दलदल
जिसमें धंसती तो गयी
मगर बाहर ना आ सकी
जो अपने पैरों पर मोहब्बत का आलता लगा पाती
और कह पाती ………
देखो मेरे पैर भी गीले हैं ……भीगना जानते हैं
हर पायल मे झंकार का होना जरूरी तो नहीं …………
सिमटने के लिये अन्तस का खोल ही काफ़ी है
सुना है
नक्काशीदार पाँव का चलन फिर से शुरु हो गया है
शायद तभी
मेरे पैर नही भीगे ……………देखो तो !!!
20 टिप्पणियां:
कभी बिन पायल रुनझुन होती है
कभी पायल होकर भी आवाज़ नहीं .... मन की गति से ही सब संभव है
वाह,क्या बात है
वाह बेहद संवेदनशील रचना भावों को परिभाषित करने में सफल सुंदर रचना |
गहन भावपूर्ण अभियक्ति सुन्दर रचना वंदना जी
वक़्त ठहर जाता है .सच कहा आपने
वाह जी बढ़िया
सुन्दर प्रस्तुति!
ईद-उल-जुहा के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत सुन्दर..
हर पायल मे झंकार का होना जरूरी तो नहीं …
सिमटने के लिये अन्तस का खोल ही काफ़ी है...
बड़ी सुन्दरता से मन के कोमल भावों को शब्दों में ढाला है आपने... लाजवाब रचना वंदनाजी
प्रेम के अंतर को बखूबी लिखा है ... सुंदर अभिव्यक्ति
गहरी अभिव्यक्ति...
हर पायल मे झंकार का होना जरूरी तो नहीं …………
सिमटने के लिये अन्तस का खोल ही काफ़ी है
बहुत खूबसूरत.
bahot prabhawshali rachna.....
वाह ....
बहुत सुन्दर वंदना...
अनु
बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति...
behad sunder.....
वाह ....बहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति
BAHUT KHOOB !
वाह ... क्या बात है
लाजवाब अभिव्यक्ति
नक्काशीदार पाँव का चलन फिर से शुरु हो गया है
शायद तभी
मेरे पैर नही भीगे
....बहुत गहन अहसास...
एक टिप्पणी भेजें