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रविवार, 16 सितंबर 2012

अधूरी कविता हूँ मैं

जानती हूँ
तेरी ज़िन्दगी की
अधूरी कविता हूँ मैं
हाँ .........अधूरी ही कहा है
क्योंकि यही तो सच है
अच्छा बताओ तो ज़रा
कहाँ पूरी हुई है
रोज तो लिखते हो एक नया फलसफा
रोज गढ़ते हो एक नया किरदार मुझमे
रोज करते हो सजदा
कभी मोहब्बत की देवी बनाकर
तो कभी मोहब्बत का खुदा बनाकर
बताओ तो ज़रा
क्या नहीं देखते तुम मुझमे
कभी किसी नदिया की अल्हड रवानी
क्या नहीं करते तुम तुलना
चाँद की चाँदनी से मेरे अक्स की
क्या नहीं देखते तुम मेरी आँखों में
सारे जहान की जन्नत
क्या नहीं लिखते रोज एक
नयी नज़्म
कभी मेरी खिलखिलाहट पर
तो कभी मेरी मुस्कराहट पर
तो कभी नज़रों की शोखियों पर
तो कभी मेरी नाजनीन अदाओं पर
तो कभी मेरी उदासी पर
तो कभी मेरी घबराहट पर
तो कभी मेरी धड़कन पर
तो कभी मेरी उलझन पर
बताओ तो ज़रा
कितने फलसफे गढ़े हैं तुमने
लिख लिख कर तुमने
पन्ने कितने काले किये हैं
मगर क्या पूरी हुई तुम्हारी कविता
नहीं ना .........नहीं होगी
जानते हो क्यों
क्योंकि
तुमने खुद को मिटाया है
और अपनी मिटी हस्ती की राख में
आँसुओं की कलम में
दिल के जज्बातों को डुबाया है
तभी तो ये नक्स उभर आया है
कि देखने वालों को
सिर्फ और सिर्फ मैं ही दिखती हूँ
तुम कहीं नहीं .............
और ऐसा तभी होता है
जब किसी के वजूद को
किसी ने आत्मसात कर लिया हो
तो बताओ ज़रा
क्या कभी पूरी हो सकती है ये कविता
जब तक ज़िन्दगी है
जब तक सांस है
जब तक धड़कन है
जब तक कायनात है
ये कविता हमेशा अधूरी ही रहेगी
मगर अधूरेपन में छुपी पूर्णता को सिर्फ मैं ही जान सकती हूँ
क्यूँकि
प्रकृति हो या पुरुष दोनों का सम्बन्ध शाश्वत जो है

21 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत गहन विचारों की श्रंखला है यह रचना बहुत सुन्दर

वाणी गीत ने कहा…

अधूरी कविता होने का भी अपना आनंद है :)

कुमार राधारमण ने कहा…

ये जो अधूरापन है
कविता है इसी से
पाया है,पूर्णिमा को
ठहरते बस रात भर!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अधूरी कविता होने में ही अच्छा है ॥जिस दिन पूरी हो जाएगी तो किसी और पर लिखी जाएगी ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जीवन की कविता कभी अधूरी नहीं रहती .. और जीते हुवे ये मभी पूरी भी नहीं होती ...
गहरा भाव लिए ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

कविता अधूरी हो बेशक....
पूरा दिल खुला है इसमें...पूरे एहसास झलक गए है इससे...
बहुत सुन्दर कृति वंदना जी.

अनु

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत अच्छी कविता |

***Punam*** ने कहा…

अधूरापन पूर्णता खोजता है..
कभी किसी रचना में...
कभी किसी स्थान में...
कभी किसी चेहरे में..
किसी के व्यक्तित्व में...
कभी इंसान में...
कभी भगवान में....!!
खोज जारी है....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अधूरी सी,पर हर बार पूरी...

Ramakant Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनाओं का प्रवाह आपके ४०२ वें पोस्ट पर वो बात दिखती है वास्तव में यही स्वरुप होना चाहिए आपके अभिव्यक्ति का सहज सरल रूप .जिसमें गंभीरता संग भावों की तरलता का एहसास होता है .

pran sharma ने कहा…

ADHOOREE KAVITA PHIR BHEE POOREE HAI

pran sharma ने कहा…

ADHOOREE KAVITA PHIR BHEE POOREE HAI

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत कविता |

आशा बिष्ट ने कहा…


प्रकृति हो या पुरुष दोनों का सम्बन्ध शाश्वत जो है
wah sngrahneey pankti...

बेनामी ने कहा…

kaun कहता है आप अधूरी कविता हैं ....फिर पूरी क्या होगी :-)

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर ...
संगीता जी की टिप्पणी पढ़ मुस्कराहट आ गई.

Unknown ने कहा…

जब तक ज़िन्दगी है
जब तक सांस है
जब तक धड़कन है
जब तक कायनात है
ये कविता हमेशा अधूरी ही रहेगी
मगर अधूरेपन में छुपी पूर्णता को सिर्फ मैं ही जान सकती हूँ
क्यूँकि
प्रकृति हो या पुरुष दोनों का सम्बन्ध शाश्वत जो है

भावपूर्ण और सुंदर रचना |
मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो

रंजना ने कहा…

सुन्दर स्थापना ....

mridula pradhan ने कहा…

ye bhi ek maza hai.....

Pradeep Kumar Gupta ने कहा…

जिंदगी एक अधूरी कविता तो नहीं पर एक पूरी कहानी भी नहीं है.
छलकाती है आँखों में आंसू , तो दुलारती भी तो यही है .
जिंदगी हमें हंसाती है रुलाती है मनाती है
और अंत में रूठकर दुनिया से दूर चली जाती है
हो गयी न फिर से अधूरी कविता

Pradeep Kumar Gupta ने कहा…

जिंदगी एक अधूरी कविता तो नहीं पर एक पूरी कहानी भी नहीं है.
छलकाती है आँखों में आंसू , तो दुलारती भी तो यही है .
जिंदगी हमें हंसाती है रुलाती है मनाती है
और अंत में रूठकर दुनिया से दूर चली जाती है
हो गयी न फिर से अधूरी कविता