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मंगलवार, 25 सितंबर 2012

तुम कहाँ हो ?



तुम कहाँ हो ?
युगों युगों की पुकार
ना जाने कब तक चलेगी
यूँ ही अनवरत
बहती धारा
प्रश्न चिन्ह बनी
अपने वजूद को ढूंढती
क्योंकि
तुमसे ही है मेरा वजूद
तुम नहीं तो मैं नहीं
मैं ...........कौन
कुछ भी तो नहीं
अस्तित्वहीन सा कुछ
जो तुम्हारे बिना कुछ नहीं
तुम ही तो वीणा में राग भरते हो
साज़ में आवाज़ भरते हो
धडकनों में स्पंदन करते हो
तुमसे पृथक "मैं" कहाँ ?
और कौन हूँ?
कुछ भी तो नहीं
तो बताओ
कैसे तुम्हें ढूंढूं
कहाँ तुम्हें खोजूं?
कौन सा रूप दूँ?
कौन सा आकार दूँ
जिसे नैनन में भर लूँ
जिसकी छाप अमिट हो जाये
वो छवि बस अंतरपट पर छा जाये
बोलो .........दोगे मुझे
वो अनिर्वचनीय सुख
समाओगे मेरे नैनों के कोटर में
मेरे ह्रदय स्थली में
देखो
ढूँढ ढूँढ हार चुकी हूँ
नहीं मिल रहा वो तुम्हारा रूप
ना वो रंग
जिसे देखने के बाद
कुछ देखना बाकी नहीं रहता
जिसे पाने के बाद
कुछ पाना बाकी नहीं रहता
तो बोलो
हे अनंत ...............चितचोर
माधव नन्द किशोर
कहाँ हो तुम ?
आओगे ना एक बार
जीवन रहते जवाब देने
और मुझे संपूर्ण करने
हे केशव
हे मदन मुरारी
तुझ पर मैं सब कुछ हारी
तुम कहाँ हो मुरारी ?
मेरी अधूरी प्यास के अमृतघट ...............
आ जाओ ना अब तो ..................
ओ बिहारी ! ओ गिरधारी !
लो मैं खुद को हारी !
अब तो सुन लो पुकार
दे दो दीदार !
तुम कहाँ हो ? तुम कहाँ हो ? तुम कहाँ हो?
सुन लो मन पपीहे की ये करुण पुकार
पीर का आर्तनाद तुम तक पहुँचता तो होगा ना ..........केशव !


22 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

पीर का आर्तनाद पहुँचता है केशव तक ... तभी तो यह लेखनी भी अपना जादू जगाती है ... बहुत ही भावमय करते शब्‍द ...

Amrita Tanmay ने कहा…

वंदना जी , हर मन की करुण पुकार को कितना सुन्दर शब्द दिया है आपने.. आह !

shikha varshney ने कहा…

अपने ईष्ट को पुकारती प्रभावी पंक्तियाँ.

समयचक्र ने कहा…

shrikrishn ji ko samarpit bhavaporn sundar rachana ...badhai

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सच्चे मन से की गई पुकार ईश्वर जरूर सुनेगे,,,,,

RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भक्तिभाव से की गयी पुकार .... सुंदर प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रार्थना की है आपने बंशी वाले से!

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण रचना...

mridula pradhan ने कहा…

bhawnaon ka samander.....

Ramakant Singh ने कहा…

निराकार रूप का सुन्दर वर्णन बहुत सुन्दर भाव

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कभी राधा कभी मीरा- तलाश कृष्ण की

मनोज कुमार ने कहा…

मन की पुकार यदि सच्ची श्रद्धा और अच्छे भाव से होते तो वह ज़रूर सुनता है।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

भागे चले आ रहे होंगे कान्हा आपकी इस करूँ पुकार को सुन......
मोहपाश से बच न सकेंगे...

बहुत सुन्दर वंदना जी...

अनु

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

नि‍तांत सात्‍वि‍क

रचना दीक्षित ने कहा…

इतनी शिद्दत से आपने केशव को याद किया तो केशव कब तक इसे अनदेखा कर सकते हैं. शुभकामनायें इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये.

शारदा अरोरा ने कहा…

bhav my ...bhakti my...sundar rachna

उड़ता पंछी ने कहा…

tum par main sab kuch haari
tum kahan ho murari,

Kanhaji aise hi kuch swal karti meri
new post

KYUN???

https://udaari.blogspot.in/

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

भावविभोर करती पंक्तियां।

Akhil ने कहा…

waah..ati sundar bhavpoorn rachna..bahut bahut badhai sweekar karen.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

अद्भुत कविता |

Asha Joglekar ने कहा…

आर्ती की पुकार प्रभु अवश्य सुनते हैं । सुंदर भावुक करने वाली रचना ।

Onkar ने कहा…

सुन्दर भाव