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सोमवार, 3 सितंबर 2012

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है

क्या हुआ जो एक पुरस्कार हाथ से छूट गया

क्या हुआ जो दिल तुम्हारा टूट गया
ऐसा तो हमेशा होता आया
फिर भी  उठा आखिर  ये बवाल सा क्यों है

क्या हुआ जो तुम्हारी पूछ ना हुई

क्या हुआ जो आयोजक की चाँदी हो गयी
यूँ ही तो नहीं बनता कोई खतरों का खिलाडी
आयोजकों पर मढ़ा ये इल्ज़ाम सा क्यों है

क्या हुआ जो आयोजन में  कमी रह गयी

क्या हुआ जो बद इन्तजामी  रह गयी
बड़े बड़े शहरों में छोटी छोटी
बातें होती रहती हैं
ऐसी बातें कहता हर बार वो  है
हर आयोजक का पुराना जुमला यही क्यों है

क्या हुआ जो अपनी भड़ास दूसरों पर निकाल दी

क्या हुआ जो किसी शख्सियत ने वाह वाही बटोर ली
ये तो होता आया हर आयोजन में
फिर इस बार ही ये धमाल सा क्यों है


क्या हुआ जो तुम्हारी ट्रेन छूट गयी

क्या हुआ जो ट्राफ़ी तुमसे रूठ गयी
ये ही तो होता आया ब्लोगिंग की जुगाडु दुनिया में
फिर इस बार ही छाया ये तूफ़ान सा क्यों है

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है
ये ब्लोगिंग में मचा घमासान सा क्यों है
:):):):):):):):):)

19 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

aapne bhi mauka ka faayada utha liya... ek kavita likh daali

vandana gupta ने कहा…

@अरुण चन्द्र रॉय जी अपनी तो ये आदत है कि हम कुछ नही कहते :)))))))
क्या करें अरुण जी दिल है कि मानता नहीं और लिख देता है कुछ ना कुछ …………वैसे भी इतना हंगामा बरपा हुआ है तो ये भी होना ही था :))))))

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

-:)))

रश्मि प्रभा... ने कहा…

jo hota hai achhe ke liye hota hai ...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जे बात ... ;-)

डॉ टी एस दराल ने कहा…

और लीजिये पंगा, इनाम बाँटने वालों से ! :)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

मोहब्बत यह मोहब्बत - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

Amit Chandra ने कहा…

चलिये हमलोगो को कम से कम एक सार्थक रचना का फ़ायदा तो हुआ.

मनोज कुमार ने कहा…

यह शुद्ध हास्य पसंद आया।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कुछ तो गरम हवा चली ....वरना तो ब्लोगस पर पाला पड़ा हुआ था ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी ही रोचक शैली में उठाये गये प्रश्न..

सत्य गौतम ने कहा…

परेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.
सही तक भी पहुँच ही जाता है कभी न कभी .

kshama ने कहा…

Mai to is ghamasaan se pooree tarah bekhabar hun!

Gyan Darpan ने कहा…

रोचक :)

Gyan Darpan

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

हाहाहा.. ये भी खूब रही...

Unknown ने कहा…

bade soch se dhun raha tha jamana
tum hi bah gaye nadi bahte obahte

Prakash Jain ने कहा…

hahaha wah bahut khoob...:-)
Aayojanon par teekha prahar wo bhi hansaate hansaate....

Rakesh Kumar ने कहा…

ओह!
खूब रची है आपने यह कविता
सीने में ठंडक लाने के लिए.

बेनामी ने कहा…

बहुत सही कहा है वंदना जी :-)