सुनो
बदल दो मुझमे
मेरा सब कुछ
हाँ ...........सब कुछ
कहा था एक दिन तुमसे
और देखो तो ज़रा
मुझमे "मैं" कहीं बची ही नहीं
तेरी तमन्ना
तेरी चाहत
तेरी आरजू
बस यही सब तो
ज़िन्दगी बन गयी
मगर कोई तलाश थी बाकी
जो अब भी अधूरी रही
अलाव का सुलगना
गर्म तवे पर बूँद का वाष्पित होना
और चिनारों के साए में भी
धूप की तपिश से जल जाना
बस अब और क्या बचा ?
ना तलाश मुकम्मल हुई और ना ही "मैं" ..........
बदलाव की प्रक्रिया में सुलगते अंगारों की पपड़ी आज भी होठों पर जमी है .......... दो बूँद अमृत की तलाश में
27 टिप्पणियां:
न तलाश मुकम्मल हुई न ही ''मै''
बेहतरीन भाव लिये ,प्रभावशाली कविता
शाश्वत भाव जगत की झांकी.
गहरे भाव है, तलाश कभी पूरी नहीं होती। फ़िर भी जारी रहती है। लगा रहता है मनवा।
अतृप्ति की अग्नि आज भी सुलग रही है एक बूंद की तलाश में .... खुद को पाने की चाह में
very nice.........
ना ही तलाश मुकम्मल हुई ना ही मैं..
नाजुक कोमल भाव...अधूरी तलाश...
बेहतरीन !
जब खुद ही बदलने की चाह थी तो किसी से क्या उल्हाना ... जो भी है उस अधूरेपन की जीना पढ़ेगा ... गहरी उदासी लिए है रचना ...
तलाश कभी खत्म ही कहाँ होती है. सुन्दर प्रस्तुति.
कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......
बेहतरीन और सुंदर प्रस्तुति !
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
चिनारों के साए में भी धूप की तपिश से जल जाना
बहुत सुंदर भाव
यही अधूरापन पूरेपन की ओर बढ़ते कदम हैं।
bahut sunder.....
मैं का न बचना एक दुर्लभ अवस्था है। किंतु,यहां तलाश शायद भौतिकता की है।
आपकी गहन पीड़ा को आप ही ज्यादा समझ
सकती हैं,या आपका कान्हा,जो आपको ऐसा
अहसास करवा रहा है.
दो बूंद अमृत क्या आपका निवास अमृत के सागर में है वन्दना जी.
जब बदलाव की भावना मन में जग गई तो समझिए की तलाश तो मुकम्मल हुई, बस खुद को मुकम्मल हुआ ही समझिए।
स्वगत कथन सी खुद से ही संवाद करती रचना .खामोश सफ़र अभी ज़ारी है चिनार के साए में धूप है मनवा बे -चैन है ,तुम बिन नहीं चैन है .
मुझे तो कविता का शीर्षक ही बहुत अच्छा लगा "ना तलाश मुकम्मल हुई और ना ही मैं" :)
कविता भी अच्छी है!!!
bahut gahan bhav..
गहन संवेदनशील......बदलाव की प्रक्रिया में बहुत कुछ जलकर खाक हो जाता है ।
bahut hi prabhav shali post abhar ke sath hi badhai bhi,
RUMANI KAVITA..
anupam kavita ...........
badhaai !
SEARCH AND ENDLESS JOURNEY NO THERE MUST BE END OF SEARCH LET IT .
मैं का अधूरापन शायद कभी पूरा नहीं होता।
सुंदर कविता।
सुन्दर गहन अभिव्यक्ति वंदनाजी
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