अजनबी मोड
अजनबी मुलाकात
जानकर भी अन्जान
पता नही वजूद जुदा हुये थे
या …………
नहीं , आत्मायें कभी जुदा नही होतीं
वज़ूद तो किराये का मकान है
और तुम और मै बताओ ना
वजूद कब रहे
हमेशा ही आत्माओ से बंधे रहे
अब चाहे कितनी ही
बारिशें आयें
कितने ही मोड अजनबी बनें
कितनी ही ख्वाहिशें दम निकालें
और चाहे चाय के कप दो हों
और उनमे चाहे कितना ही
पानी भर जाये
देखना प्यार हमेशा छलकता है
वो कब किसी कप मे
किसी बारिश की बूंद मे
या किसी फ़ूल मे समाया है
वो तो वजूद से इतर
दिलो का सरमाया है
फिर कैसे सोचा तुमने
हम जुदा हुये
हम तो हमेशा
अलग होते हुये भी एक रहे
एक आसमां की तरह
एक पंछी की तरह
कहीं भी रहे
उडान तो आसमां की तरफ़ ही होती है ना……………
अजनबी मुलाकात
जानकर भी अन्जान
पता नही वजूद जुदा हुये थे
या …………
नहीं , आत्मायें कभी जुदा नही होतीं
वज़ूद तो किराये का मकान है
और तुम और मै बताओ ना
वजूद कब रहे
हमेशा ही आत्माओ से बंधे रहे
अब चाहे कितनी ही
बारिशें आयें
कितने ही मोड अजनबी बनें
कितनी ही ख्वाहिशें दम निकालें
और चाहे चाय के कप दो हों
और उनमे चाहे कितना ही
पानी भर जाये
देखना प्यार हमेशा छलकता है
वो कब किसी कप मे
किसी बारिश की बूंद मे
या किसी फ़ूल मे समाया है
वो तो वजूद से इतर
दिलो का सरमाया है
फिर कैसे सोचा तुमने
हम जुदा हुये
हम तो हमेशा
अलग होते हुये भी एक रहे
एक आसमां की तरह
एक पंछी की तरह
कहीं भी रहे
उडान तो आसमां की तरफ़ ही होती है ना……………
30 टिप्पणियां:
बजूद तो किराये का मकान है आत्माएं कभी जुदा नहीं हो सकती.
सुंदर भाव और अत्यंत संवेदनशील प्रस्तुति.
bhtrin or kdva sch udaan to aasman ki traf hi hoti hai jese pehle kabhi pndit ki dod mndir tk or mulla ki dod msjid tk hoti thi . akhtar khan akela kota rajathan
सबकी उड़ाने ऊपर की ओर, पंख क्षितिज में
बहुत अच्छे भाव,सार्थक व संदेशपूर्ण रचना !
कुछ खास बिम्ब कविता को नया स्वरुप दे रहे हैं.
//प्यार हमेशा छलकता है
वो कब किसी कप मे
किसी बारिश की बूंद मे
या किसी फ़ूल मे समाया है
वो तो वजूद से इतर
दिलो का सरमाया है//
सुन्दर... सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
सादर बधाई स्वीकारें...
यह उड़ान कायम रहे ....
बहुत सुन्दर भाव
उड़ान हमेश ही ऊँचाई की ही तरफ होती है ..बहुत अच्छे भाव लिए हुए सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर भाव और संवेदनशील प्रस्तुति.....
आपकी प्रस्तुति
सोमवारीय चर्चा-मंच पर
charchamanch.blogspot.com
सही है... आत्माएं कभी जुदा नहीं होतीं।
Kitna badhiya khayal hai...aatma kabhi juda nahee hoti....juda to kirayeke makan hote hain!
उड़ान जारी रहे।
beshak......udan to aasman ki taraf hi hoti hai,behad bhawpoorn.......
सुंदर भाव और अत्यंत संवेदनशील प्रस्तुति.
सार्थक भावो से रची खुबसूरत रचना.....
शारीरिक रूप से भले जुदा हों, मन तो जुदा नहीं होता। और तब एक उड़ान आसमां की तरफ़ ही होती है ना ...!
प्यार हमेशा छलकता है...
सुंदर!
बजूद तो किराये का मकान है आत्माएं कभी जुदा नहीं हो सकती.
-अति उत्तम!!!
पंछी कही भी उडे , उड़ान तो आसमान की ओर ही होगी ...
सबकी मंजिल वही है !
"वजूद तो किराये का मकान है.."
बेहतरीन ख्याल..
बहुत सुंदर रचना बधाई....नई पोस्ट में स्वागत है
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
आत्मायें कभी जुदा नही होतींवज़ूद तो किराये का मकान है बहुत कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपने बढ़िया प्रस्तुति.......
बहुत बढ़िया कविता..
आत्मायें कभी जुदा नही होतीं
वज़ूद तो किराये का मकान है
और तुम और मै बताओ नावजूद कब रहे
हमेशा ही आत्माओ से बंधे रहे
....बहुत भावपूर्ण और संवेदनशील अभिव्यक्ति...लाज़वाब
सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर , सर्थक संदेश देती सशक्त रचना...
बहिर्मुखी प्रेम समर्पण मांगता है,अंतर्मुखी समर्पण करता है।
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