तुम पुकार लो
तो रुक भी जाऊं
तुम निहार लो
तो संवर भी जाऊं
तुम आ जाओ
तो साथ चल भी दूँ
तुम बढाओ हाथ
तो थाम भी लूँ
तुम दिखाओ ख्वाब
तो देख भी लूँ
और पलको पर
सजा भी लूँ तो रुक भी जाऊं
तुम निहार लो
तो संवर भी जाऊं
तुम आ जाओ
तो साथ चल भी दूँ
तुम बढाओ हाथ
तो थाम भी लूँ
तुम दिखाओ ख्वाब
तो देख भी लूँ
और पलको पर
मगर तुमने कभी
पुकारा ही नहीं
उस नज़र से
निहारा ही नहीं
वो हक़ जताया ही नहीं
कभी हाथ बढाया ही नहीं
फिर कैसे , कौन से मोड़ पर
रूकती और किसके लिए?
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ..............
43 टिप्पणियां:
Uf! Kitnee kasak hai!!
दिल की गहराइयों से लिखी हुई रचना है... बहुत खूब!
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ..............
बहुत ही बढ़िया .
सादर
वन्दना जी आप भी शब्दों को हीरे की तरह ही तराशती हैं
एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
आपकी कविता उद्वेलित कर देती है... सुन्दर कविता यह भी
आंतरिक मनोभावों को शब्दों मे पिरोया है...बहुत सुंदर।
वो हक़ जताया ही नहीं
कभी हाथ बढाया ही नहीं
फिर कैसे , कौन से मोड़ पर
रूकती और किसके लिए?
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ..............
बहुत ही स्पष्ट शब्दों में बयां दर्द भरी सुन्दर अभिव्यक्ति |
काश ! ऐसा होता तो वैसा होता ।
फिर कैसे , कौन से मोड़ पर
रूकती और किसके लिए?
सही है । आगे बढ़ना ही सही है ।
दिल से लिखी गई रचना दिल को छू गई। आभार।
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति,बधाई
chalna hi jindgi hai aur intjar ke modh nahi hote .bahot khub
bbhawon se bhari hui sundar kavita....
आप लिखो कविता
तो पढ़ भी लूँ
आप करो कल्पना तो
कुछ सोच भी लूँ
xxxxxxxxxxxxxxxxxx
रूकती और किसके लिए?
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते .....!
आदरणीय वंदना जी
बहुत मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ लिखी हैं आपने ....आपका आभार
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ..............
is intjaar ko mahsoos har koi karta hai magar kam ya door nahi .....sundar
अरे वाह!
आपने तो बहुत सरलता से
जीवन दर्शन को समझा दिया इस रचना में!
वाह! क्या बात है...
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
marmik
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते
सुंदर रचना के लिए साधुवाद!
हक जताने वाले हक देना नहीं जानते..
इसलिए किस मोड़ पर किसका इंतज़ार...?
और किस लिए ?
खूबसूरत एहसास...
भावपूर्ण चित्रण....!!
बहुत भावपूर्ण ..मन को छूने वाली ....
बहुत भावपूर्ण ..मन को छूने वाली ....
बहुत भावपूर्ण ..मन को छूने वाली ....
बहुत भावपूर्ण ..मन को छूने वाली ....
अब तो निशाँ भी फीके पड़ने लगे हैं...
इंतज़ार के निशान होते हैं मोड नहीं होते...
वाह क्या बात कही है.
प्रशंसनीय अभिव्यक्ति . आपके भाव मन को सहज स्पर्श करते चलते है .माँ वाग्देवी की सहज अनुकम्पा है आप पर . बधाई .
http://abhinavanugrah.blogspot.com/
दिल की गहराइयों से लिखी हुई रचना|धन्यवाद|
बहुत खूब ...धाराप्रवाह लिखा है ..
बहुत ही खूब.
अति सुंदर रचना, धन्यवाद
वो हक़ जताया ही नहीं
कभी हाथ बढाया ही नहीं
फिर कैसे , कौन से मोड़ पर
रूकती और किसके लिए?
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ..............
बहुत सुंदर .....
बहुत खूब.
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते
भावनाओं के समंदर में उठी लहरें जैसे धीरे-धीरे शांत हो रही हों।
कविता देर तक सोचने के लिए विवश कर रही है।
बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
इतंजार के मोड़ नहीं हुआ करते।
...बहुत खूब।
दिल की गहराईयों से निकलती कविता का अप्रतिम प्रवाह. बहुत सुंदर.
कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
वो हक़ जताया ही नहीं
कभी हाथ बढाया ही नहीं
फिर कैसे , कौन से मोड़ पर
रूकती और किसके लिए?
सिर्फ निशाँ होते हैं
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ......
वाह वाकई बेहतरीन भावाभिव्यक्ति....आभार
मैं गीत कोई गा लेती , जो तुम गुनगुना जरा लेते ...
मैं हंस देती खिलखिलाकर , जो तुम मुस्कुरा जरा देते !
भावनाओ के सैलाब में बहती हुई पोस्ट.....प्रशंसनीय|
इंतज़ार के मोड़ नहीं हुआ करते ....
-waah :)
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