यूँ तो
करती हूँ
हर साल
करवाचौथ
का व्रत
तुम्हारी
लम्बी उम्र
की दुआएँ
करने का
रिवाज़ मैं भी
निभाती हूँ
हर सुहागिन
की तरह
मगर फिर भी
कहीं एक
कमी लगती है
एक कसक सी
रह जाती है
कोई अदृश्य
रेखा बीच में
दिखती है
किसी अनदेखी
अनजानी
कमी की
जो डोर को
पूर्णता से
बाँध नही
पाती है
इसलिए
चाहती हूँ
अगले
करवाचौथ
तक मैं
तुम्हें तुमसे
चुरा लूं
और तुम्हारे
ह्रदय
सिंहासन पर
अपना आसन
जमा लूं
जब तुम
खुद को
ढूँढो तो
कहीं ना मिलो
सिर्फ मेरा ही
वजूद तुम्हारे
अस्तित्व का
आईना बन
चुका हो
जहाँ तुम
मुझे और
मैं तुम्हें
सामाजिकता
के ढांचे से
ऊपर उठकर
व्यावहारिकता
की रस्मों से
परे होकर
एक दूजे के
हृदयस्थल
पर अपने
अक्स चस्पां
कर दें
तन के
सम्बन्ध तो
ज़िन्दगी भर
निभाए हमने
चलो एक बार
मन के स्तर पर
एक नया
सम्बन्ध बनाएँ
जिस दिन
"तुम" और "मैं"
दोनों की चाह
सिर्फ इक दूजे
की चाह में
सिमट जाए
प्रेमी और
प्रेयसी के
भावों में
हम डूब जाएँ
राधा - कृष्ण
सा अमर प्रेम
हम पा जाएँ
जहाँ शारीरिक
मानसिक
स्तर से
अलग रूहानी
सम्बन्ध बन जाए
जहाँ तन के नहीं
मन के फूल
मुस्कुराएं
कुछ ऐसे
अगली बार
अपनी
करवाचौथ
को अपने
अस्तित्वों
के साथ संपूर्ण
बना जायें
और व्रत
मेरा पूर्ण हो जाये
जब आत्मिक
मिलन
हो जाए
तब
सुहाग अमर
हो जाये
28 टिप्पणियां:
इस त्योहार का यही महत्व है संभवतः। सुन्दर पंक्तियाँ।
इश्वर आपका व्रत और कामनाये पूरी करे
जब तुम
खुद को
ढूँढो तो
कहीं ना मिलो
सिर्फ मेरा ही
वजूद तुम्हारे
अस्तित्व का
आईना बन
चुका हो
-------------------------
बहुत सुंदर वन्दनाजी ......सुंदर भाव..... और उतनी ही सुंदर प्रस्तुति.....
करवा चौथ की शुभकामनायें आपको
"जब आत्मिक
मिलन
हो जाए
तब
सुहाग अमर
हो जाये"... करवा चौथ के अवसर पर आपकी यह रचना समस्त व्रतियों का प्रतिनिधत्व कर रही है.. सुन्दर कविता..
भगवान् आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करें.... सुंदर रचना वंदना जी
vandna ji hum nariya to shayad sada se hi dampaty -sambandhon ko amar-prem ke bandhan me bandhne ki koshish karti rahi hain .aaj tak adhikansh purshon ne pati-patni sambandhon ko shoshak-shoshit ke roop me hi nibhaya hai.bagvan krishan ne radhaji ke saath apne sambandhon dwara yah sandesh diya ki aatmik -prem ke lie pati-patni ke bandhan me bandhne ki jarurat nahi hai. kavita achchi hai .
दांपत्य की प्रगाढ़ता की खूबसूरत चर्चा
मन को छू लेने वाली बात कही है आपने! आभार!
http://draashu.blogspot.com/2010/10/blog-post_25.html
प्रेम गली अति सांकरी,
जा मे दो न समाये!
प्रेम की सुगन्ध से आप दोनों भर-भर जायें, यही कामना है हमारी!
सच है असली मिलन तो आत्माओं का है .... प्रेम हो तो सब कुछ है .... इश्वर आपका व्रत और कामनाये पूरी करे ...
.
अरे वाह.. बहुत खूब... आपका लेखन शानदार है
व्यावहारिकता
की रस्मों से
परे होकर
एक दूजे के
हृदयस्थल
पर अपने
अक्स चस्पां
कर दें
तन के
सम्बन्ध तो
ज़िन्दगी भर
निभाए हमने
चलो एक बार
मन के स्तर पर
एक नया
सम्बन्ध बनाएँ
सुंदर पंक्तियाँ साझा की हैं आपने ......
..वन्दना जी.... करवा चौथ की शुभकामनायें
त्यौहार पर अंतरात्मा की आवाज़.बहुत सुन्दर.
ye vachan sabko karna chahiye..tabhi sarthakta hai vrat ki..vandna ji bahut saaf man se likhi hai aapne..aapko badhai aur shubhkaamnayen!
बहुत सुंदर जी,आप को इस व्रत की शुभकामनाये
..व्रत
मेरा पूर्ण हो जाये
जब आत्मिक
मिलन
हो जाए
तब
सुहाग अमर
हो जाये
--
इस अवसर पर बहुत ही सार्थक रचना!
--
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी पोस्ट को बुधवार के
चर्चा मंच पर लगा दिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/
प्रेम में समर्पण के अनूठे आयाम जोड़ती एक खूबसूरत प्रस्तुति. आभार.
सादर
डोरोथी.
Wah! Vandana, wah!
bhawpurn evam sunder rachna.
.
खूबसूरत अभिव्यक्ति।
.
वाह....हृदयस्पर्शी भावपूर्ण अतिसुन्दर प्रणय कविता...
karwachauth!!!
sundar bhaav !!!
वंदना जी,
बहुत सुन्दर.........ईश्वर आपकी चाह पूरी करे......
bhaavpurn rachna..badhai.
vandanaa jee kaamanaa karate hain ki agalaa karavaa chauth aisaa hee hogaa, bahut bahut shubhakaamanaayen
बहुत अच्छी रचना ...मन में उमडते भावों को बखूबी लिखा है
"जब आत्मिक
मिलन
हो जाए
तब
सुहाग अमर
हो जाये"...
सुन्दर पंक्तियाँ.....सुंदर भाव.आभार!
vandana ji ,
ummeed hai sheeghr hi aatmik milan bhi hoga.
bahut hi jayaj mang ki hai.
एक टिप्पणी भेजें