२१ वीं सदी की नारी है
हाँ , चैट कर लेती है
तो क्या हुआ ?
बहुत खरपतवार
मिलती है
उखाड़ना भी
जानती है
मगर फिर
लगता है
बिना खरपतवार
के भी आनंद
नहीं आता
इसलिए
साथ- साथ
अच्छी फसल के
उसे भी झेल लेती है
२१ वीं सदी की नारी है
हाँ , चैट कर लेती है
हर किसी से
हँसकर मिलती है
तो सबको
अपनी लगती है
चाहे अन्दर से
गालियाँ देती है
मगर ऊपर से
स्वागत करती है
हर किसी को
इसका
कोई ना कोई
रूप भा जाता है
कोई दोस्त
तो कोई भाभी
तो कोई माँ
बना जाता है
किसी को बहन की
तलाश होती है
और सबसे ज्यादा
बुरा हाल तो
दिलफेंक
प्रेमियों का
होता है
जो हर दूसरी
चैट पर
मिलने वाली
नारी में
अपनी प्रेमिका
खोजता है
कभी डियर
कभी डार्लिंग
तो कभी
लाइफ़लाइन
कहता है
मगर
कहते वक्त
ज़रा नहीं सोचता
जिसे तू
कह रहा है
वो तेरे बारे में
क्या सोचती है
तू भरम में जीता है
और वो खुश होती है
आज उसे
ये लगता है
बरसों गुलामी
की जिनकी
देखो आज कैसे
दुम हिलाता है
पालतू जानवर- सा
कैसे पीछे- पीछे
आता है
सोच- सोचकर
खुश होती है
और उसके
अरमानों से खेलती है
हर बदला
वो लेती है
जो वो सदियों से
देता आया है
उसका दिया
उसी को
सूद समेत
लौटा देती है
शायद
इसीलिए इस
खरपतवार को
उखाड़ नहीं पाती है
कुछ इस तरह
आत्म संतुष्टि पाती है
ये २१ वीं सदी की नारी है
हाँ , चैट कर लेती है
मगर अब
बेवक़ूफ़ नहीं बनती है
45 टिप्पणियां:
ये २१वी सदी की नारी हैं ..हाँ , चैट कर लेती है
. बेवकूफ नहीं बनती है .... भाव अच्छे हैं ...
बहुत बढिया लिंखा वंदना जी .. आज की महिलाएं चैट कर लेती हैं .. पर बेवकूफ नहीं बनती हैं !!
hummm...अच्छा है गर सच है......
ये कमेंट अपराजिता ने मेल से भेजा है…………
waah vandana...
bahut hi achhi or sachhi rachna.....bahut khushi hue padh ke....hakikat ko kitni khubsurti se bayan kia hai.....has has ke pet mai bal pade ja rahe hain...wakai 21 sadi ki nari itni hi smart ho gayee hai....
USE KOI BEWAKOOF NAHI BANA SAKTA ....
or jo is bhram mai hain wo bhi samhal jayen........
5/10
मुझे यह रचना व्यंग कविता के रूप में नजर आई.
बहुत तीखापन है. न जाने कितने पुरुषों को आघात लग सकता है. मैं भी एक पुरुष हूँ इसलिए 1 नंबर काट लिए :)
वंदना जी अब तो आपकी कविता पढ़ कर लोग आपसे/औरों से चैट करने से पहले कई बार सोचेंगे... सहजता से आपसे बात करने वाला हर कोई दम नहीं हिलाता है शायद... समाज में विद्वेष से समानता नहीं आती.. खाई बढ़ जाती है.. जैसा कि आरक्षण नीती के उपरान्त हुआ है देश में.. एक अलग तरह की खाई आएगी.. स्त्री पुरुष सम्बन्ध में भी कुछ ऐसा ही है.. २१वी सदी की नारी को चैट करने से पहले इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए..
आपकी कविता का एक छोटा सा जवाब!
http://draashu.blogspot.com/2010/10/blog-post_24.html
pahle se kshama maang letee hoon... aapki jagah par aap sahi hai... par na jaane kyoon mujhe naaree aur purush ek doosre ke praroop hi lagte hain... kabhi naaree havi hota hai to kabhi purursh... kabhi purush chaalu hota hai to kabhi naaree... parantu jaha tak ek doosre ke rishte kee baat hai dono sang chale tabhi acchhe aur sacche hote hai...
dhanyawaad...
आपके सृजन का राज हमें भी समझ में आ गाय!
--
चैट के कच्चे माल को आप रचना रूपी व्यंजनों से बहुत खूबसूरता से परोस रही है!
--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत सटीक बात कही .
रामराम.
चैट कर लेना ही बड़ा प्रतीक न हो पर विचारों में स्वतन्त्रता हो।
२१ वीं सदी की नारी है
हाँ , चैट कर लेती है
तो क्या हुआ ?
बहुत खरपतवार
मिलती है
--
अरे हमने तो इस खर पतवार का उपयोग ही नही किया!
अब जरूर करेंगे!
--
प्रेरणा देती सुन्दर पोस्ट मन को भा गई!
यही तो विशेषता है 21वीं सदी की नारी की- चैट कर लेती हैं..। चैट के भले ही कुछ बुराईयां भी हों, लेकिन नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की दिशा में हमें यह बड़ा सहायक प्रतीत होता है। अब देखियें ना घर बैठे महिलाएं कैसे अपनी अभिव्यक्ति पूरे विश्व के लोगों के बीच कर पा रही हैं। पहले कहीं ऐसा संभव?
आपके बारे में कहना चाहता हूं कि आप कोई मौका नहीं छोड़तीं, चैट पर भी कुछ चैट कर ही डालीं- बहुत खूब।
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मुस्कराहट आ गयी आपकी रचना पढ़कर --- एक खूबसूरत सच २१ वीं शताब्दी का।
.
वंदना जी.... हर उस कलम को मेरा सलाम, जो सच उगलती है एक खूबसूरत पोस्ट के लिए बधाई.
यकीनन एक अलग रंग और भाव से भरी रचना है। शायद किसी हद तक नारी के सामजिक और चारित्रिक बदलाव की
हिमायत या शायद वकालत करती हुई,सुन्दर विचारोत्तेजक प्रस्तुति!
२१ वीं सदी की नारी है
हाँ , चैट कर लेती है
लेकिन बाबा हर किसी से क्यो चैट करती हे? मै पुरुष हो कर भी सब से चैट नही करता, सिर्फ़ जान पहचान वालो से ही बात करता हुं, ओर जब कोई दुसरी तरफ़ से थोडा गलत बोले तो उसे डांट भी पिला देता हुं. आप की कविता तो बहुत अच्छी हे लेकिन अगर यह हकीकत हे तो...
इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई और शुक्रिया।
इन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
स्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?
दिल फेंक पुरुषों को सावधान करती रचना ।
ye sab to 21 vi sadi ki nari ki kar sakti hai.......
...bhaut khoob pasand aai
truly brilliant..
keep writing......all the best
good one...
वर्तमान में बेहद प्रासंगिक और हमेशा कि तरह शानदार अभिव्यक्ति है.........
सच्चाई से ओतप्रोत अच्छी रचना....
व्यंग सहित शानदार कविता ।
नारियों के स्वाभिमान को रेखांकित करती एक सशक्त रचना।
अच्छी लगी कविता .सुंदर प्रस्तुति.
ये २१वी सदी की नारी हैं ..हाँ , चैट कर लेती है
. बेवकूफ नहीं बनती है ...
सच है!!! :-) बधाई
bahut sundar likha.. ye too sabhi ki jimmedari hai ki vo kharpatwar ko pehchane... kya stri kya purush... aapne bahut sundar likha hai.. aur mahilao ko jaroor pehchan honi chahiye kyooki jyadatar sanvedan seel hoti hai naari..
हाँ बेवकूफ नहीं बनती ..... :)
बात तो सच है बहुत हद तक...बहुत जगह!
सुंदर!
सच!
हाँ , चैट तो कर लेती है ...
चैट पर अच्छी चैट कविता ..!
vah! vah!!
excellent its good more woman bloggers are speaking the truth
in my opinion....this is ur best until now.
bohot hi sundar aur sateek...bohot khoob
sach kha aapne
www.deepti09sharma.blogspot.com
thodi ajeeb ... magar achchi lagi...dhanyawad.
हा हा हा ....मजा आ गया ...बहुत ही बेहतरीन लिखा है...सच २१ वी सदी की औरत ऐसी ही है....
कमाल का लिखा है वंदना जी ... ये सच है आज की नारी आधुनिक नारी है .... आग उगलती रचना ...
ये २१वी सदी की नारी हैं ..हाँ , चैट कर लेती है
आज तो मजा ही आ गया. सुन्दर पोस्ट
सुन्दर रचना...बधाई!
हाँ सच है,सहज ही बेवक़ूफ़ नहीं बनती आज की नारी...
तीखा सच रखा आपने इस रचना के माध्यम से...
ये तो प्रकृति का नियम है जो संतुलन बनाए रखने के लिए निहायत जरूरी है. खूबसूरत प्रस्तुति. आभार.
सादर
डोरोथी.
नारी कभी बेवकूफ नहीं बनती...और जो सोचते है के वो उन्हें(नारियों को)बेवक़ूफ़ बना लेंगे
तो समझो उनकी बुद्धि किसी चतुर नारी द्वारा हर ली गई है... ;)
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