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शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

रूठ गया प्यार मेरा ..........

रूठ गया
प्यार मेरा 
उसे अपना
कहने का 

गुनाह जो 
कर बैठा 

अब कैसे 
मनाऊँ 
कौन सा 
दीप जलाऊँ 
कैसे उसे
समझाऊँ

सितारों कोई तो 
राह दिखलाओ
तुमने तो कितने
चाहने वालों को
मनाते देखा होगा

मैं तो आसमाँ से
तारे तोड़कर
ला नहीं सकता
दूध की नदियाँ
बहा नहीं सकता
याद में उसकी
ताजमहल 
बनवा नहीं सकता
फिर कैसे 
मनाऊँ
कौन सा 
दीप जलाऊँ

माना तुम 
मेरी नहीं हो
मगर प्यार पर
बस भी तो 
नहीं मेरा
ये इस 
दिल को
कैसे समझाऊँ

अब अपने रूठे
प्यार को 
कैसे मनाऊँ
कौन सा सुमन
भेंट करूँ जो
उसके ह्रदय की 
थाह मैं पाऊँ
कौन सी ऋतु 
का आह्वान करूँ 
कौन सा मैं
राग सुनाऊँ

सितारों तुम ही
कोई राह
रोशन कर दो
उसके ह्रदय की
आकाशगंगा में 
मेरे प्यार का
सितारा बुलंद 
कर दो
उसे अपना चाहे
कह ना सकूँ 
मगर मैं उसका
बन जाऊँ
आज कोई ऐसा
जतन कर दो

33 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

ए़क अलग तरह की प्रेम कविता है ए जिसमे प्रेमी अपने प्रेयसी से नहीं बल्कि स्वयं प्रकृति से उसे मानाने की विधि जाना चाह रहा है.. प्रेम में रूठने और मनाने के सभी पारंपरिक यत्नों से अलग कुछ ऐसा करना चाहता है जो किसी ने किया ना हो अब तक.. क्योंकि हर प्रेम अनूठा होता है अलग होता है.. सुंदर कविता..

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर प्रेम कविता!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति....

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सितारों तुम ही
कोई राह
रोशन कर दो
उसके ह्रदय की
आकाशगंगा में
मेरे प्यार का
सितारा बुलंद
कर दो
--

रचना में बहुत ही चतुराई से
वियोग श्रंगार को सँवारा है आपने!

deepti sharma ने कहा…

waah kya bat hai bahut hi sundar

pratima sinha ने कहा…

शब्द-शब्द जुडते ये रिश्ते अजीब होते हैं . बिना मिले मिलने का कितना सुंदर माध्यम है ये ब्लोग जगत. मेरे आकाश में उडान भरने का शुक्रिया , इसी बहाने आप तक पहुँचने का पता मिला और ये खूबसूरत कविताएं पढने का मौका भी... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है. उम्मीद है मिलते रहेगें.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सुन्दर प्रेम रचना ।
नवरात्रों की शुभकामनायें ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मेरा प्यार ...मेरा जैंगो चला गया....

जैंगो के लिए संवेदना प्रकट करने के लिए... आपका बहुत बहुत धन्यवाद.....


नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

हर दृष्टि से एक सम्पूर्ण कविता... जिसे बार-बार पढ़ने का मन हो।

Apanatva ने कहा…

badee sunder abhivykti.

आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं .

Kailash Sharma ने कहा…

प्रियतम को मनाने के प्रयासों की सुन्दर अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दरता से दिखाती प्रेमी की विव्हलता....आभार..

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत अच्छी कोशिश है

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर भाव मयी रचना ...

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत रचना...
प्रेम की इस बरसात में भीग गया मैं तो ....
आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं ...

उम्मतें ने कहा…

सितारे तो स्वयं ही 'किसी' के आकर्षण में बंधे , वर्तुलाकार प्रेम पथ के पुजारी 'से' घूमते रहते हैं ! वे किसी ऐसे इंसान की मदद क्यों करें ? जो खुद के प्रेम में पहाड़ तोड़नें का हौसला ना रखता हो !

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

वाह आज तो कविता प्रेम रस में डूबी है...कितनी चाशनी पिलाई थी कलम को ? :)

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!! बहुत सुन्दर..कोमल भाव!!



या देवी सर्व भूतेषु सर्व रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||

-नव-रात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-

ASHOK BAJAJ ने कहा…

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!

नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...

कृपया ग्राम चौपाल में आज पढ़े ------
"चम्पेश्वर महादेव तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल चंपारण"

बेनामी ने कहा…

वंदना जी,

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.......बधाई........इसे पढ़कर एक गाना याद आ गया " रूठे-रूठे पिया मनाऊँ कैसे"....रब करे कोई कभी किसी से न रूठे

अनुपमा पाठक ने कहा…

kisi ko apna bana lene se kahin shreshth aur kathin hai kisi ka ho jana....
samarpan geet si sundar saatwik prempoorna rachna!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम की कोमल अभिव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम की कोमल अभिव्यक्ति।

बंटी "द मास्टर स्ट्रोक" ने कहा…

ताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html

भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html

कुमार राधारमण ने कहा…

प्रकृति-प्रेमी जब दिल दे बैठे,तो मासूकाएं यही हाल करती हैं।

बेनामी ने कहा…

आपकी कविता पढकर मई खामोश होकर उस कविता को बहुत देर तक निहारता रहा..अपनी आहों को लफ्ज़ नहीं दे सकता..इस सुब्जेक्ट पर इतनी सुन्दर कविता आज तक नहीं पढ़ी

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

vandanaji, kavita bahut hi achchhi hai

mere blog par aane evamm charchamanch paar laane ke liye bahut bahut dhnyvaad

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

vandanaji, kavita bahut hi achchhi hai

mere blog par aane evamm charchamanch paar laane ke liye bahut bahut dhnyvaad

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रेम और वियोग की सुंदर कल्पना है .... कमाल का लिखा है ...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

सुन्दर रचना .. कैसे मनाऊँ .. छटपटाहट उबर के आती है दिल को छू जाती है |..शुभकामनाएं

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति.

समयचक्र ने कहा…

बहुत ही भावुक कर देने वाली रचना ...आभार वंदना जी

vijay kumar sappatti ने कहा…

antim paragraph ruhaani khushbu liye hue hai vandana .. prem ki pariniti eshwar se milkar hi hoti hai ..

jabardast presentation of love..