कोई चीत्कार
सुनी नहीं
मगर फिर भी
चीत्कार होती है
जो बिना सुने
भी सुनाई देती है
अंतर्मन को
झकझोरती है
सागर के फेन
सा जीवन
उसमें भी
वक़्त के तरकश में
दबी , ढकी ,
अंधकार में डूबी
कुछ वीभत्स करती
आत्मा को
झिंझोड़ती आवाजें
बिना कहे भी
बहुत कुछ
कह जाती हैं
उस अंधकार की
कालकोठरी में
चीत्कारती हैं
मगर उन्हें
वहीँ उन्ही
तहखानो में
दफ़न कर दिया
जाता है
जवाब तो तब मिले
जब सवाल करने
का हक हो ?
28 टिप्पणियां:
javab tu tab mile jab sawal karne ka haq mile kya bat hai kya bat hai bahut badiya
waah, waah
bahut khoob
bahut badiya par ab zamana badal raha hai.ye nayee peedee chup bhogane walo me nahee............
bhut behtreen jabaa to tab mile jab swaal karne ka hak ho
antrman ki vedna aur davi huyi ichaao ki had vataati rachna
saadar
praveen pathik
9971969084
Baar,baar padhi yah rachana...wah!
जीवन की आपाधापी ... समाज के नियम कभी कभी सवाल करने का हक भी छीन लेते हैं ... बहुत ही गहरी बातें करती रचना है ...
बहुत सुन्दर रचना. बधाई.
जवाब तो तब मिले
जब सवाल करने
का हक हो ?
और फिर कही सवाल का जवाब सवाल में ही न हो
बहुत सुन्दर रचना
जबाब तो तब मिले
जब सवाल करने का
हक़ हो !
बहुत खूब वंदनाजी
जबाब तो तब मिले
जब सवाल करने का
हक़ हो !
बहुत सुन्दर रचना है ! अंतर्मन में दबी आवाज़ अगर दबी के अबी रह जाये तो वीभत्स चित्कार बन जाती है ....
मगर उन्हें
वहीँ उन्ही
तहखानो में
दफ़न कर दिया
जाता है
जवाब तो तब मिले
जब सवाल करने
का हक हो ?
ज़माना बदल रहा है....पर अभी भी इस सच को नहीं झुठलाया जा सकता कि सवाल करने का हक ही नहीं है....मंथन योग्य रचना....बधाई
wah!!!!
or kya kahu.....
kunwar ji,
kya chot ki waah...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत सुन्दर चित्रण भावों का.
कोई चीत्कार
सुनी नहीं
मगर फिर भी
चीत्कार होती है
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यही तो विडम्बना है!
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बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया है
आपने इस रचना को!
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कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
BAHUT KHUB
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
BAHUT KHUB
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
जवाब तो तब मिले
जब सवाल करने
का हक हो ?
बहुत खूब...लाजबाब रचना
sawal karne ke hakk ko talashti.........chitkar!! bahut hi gahri rachna!!
Kabhi yahan bhi aayen
jindagi ke kainvess ko dekhne
www.jindagikeerahen.blogspot.com
सवाल के भीतर से एक सवाल निकाल लाईं आप बहुत ही बढिया रचना
bahut badhiya!
सच को आवाज देती एक असरदार रचना।
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गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
प्रशंसनीय ।
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! लाजवाब!
sach to yahi hai.
bahut aaccha
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