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गुरुवार, 4 जून 2009

एक मुलाक़ात -----सायों की

एक अनजाने
अनदेखे
अजनबी से मोड़ पर
तेरा साया
मेरे साये से
टकरा गया
चारों आँखें
जब टकराई
तो देखा
मेरे साये ने
तेरे साये की
आंखों में
वहां शमशान की
वीरानी थी
सूखे हुए
अश्कों के निशान
तेरी कहानी
कह गए
एक वीराने की
खामोशी
एक अजनबियत
लिए तेरी आँखें
सब हाल बयां
कर गयीं
मेरे साये ने
तेरे साये की
आंखों में
मेरी तस्वीर
ढूंढनी चाही
राख के ढेर में
चाहत की
इक चिंगारी
ढूंढनी चाही
पर वहां तो
एक बेजुबान चीख
दबी दिखी
बिना किसी हलचल के
बिना किसी चाहत के
छुपी हुयी खामोशी देखी
तेरी चाहत की
इंतहा देखी
कोई उम्मीद
न बाकी देखी
पहचानना तो
दूर की बात थी
तेरे साये की
आंखों में
मेरे साये ने
लाश की सी
वीरानी दखी
और फिर
उस अजनबी मोड़ पर
बिना रुके
बिना मुडे
बिना देखे
बिना बात किए
तेरा साया
आगे बढ़ता गया
और मेरा साया
तेरे साये के
क़दमों के निशां तले
तेरे मेरे रिश्ते की
राख को
संजोता रहा

24 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

भावपूर्ण रचना है।

साये की आँखों में देखा दुनिया है वीरान
खूब कही है आपने आँखों में शमशान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत बहुत बहुत रचना है ...मुझे बहुत पसंद आई

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जब तलक दुनिया है, यूँ ही सिलसिले चलते रहेगे।
हसरतों के साये यूँ ही, हाथ को मलते रहेंगे।।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut hi acrachna.......

admin ने कहा…

बहुत खूबसूरत विचार हैं आपके।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

दर्पण साह ने कहा…

bahut badhiya lagi ji apki ye poem...
khaskaar ye part:

"राख के ढेर में
चाहत की
इक चिंगारी
ढूंढनी चाही
पर वहां तो
एक बेजुबान चीख
दबी दिखी
बिना किसी हलचल के
बिना किसी चाहत के
छुपी हुयी खामोशी देखी"

sada ने कहा…

सूखे हुए
अश्‍कों के निशान
तेरी कहानी
कह गए ।

बहुत ही भावपूर्ण रचना ।

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

बहुत सुंदर रचना भावपूर्ण

Prem Farukhabadi ने कहा…

Rachna bahut hi sundar hai bhav bhavuk hain. kavitri ka kavitv saaf jhalakta hai.badhai bas badhai.

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

boht khoob vandna jee...bina ruke bina dekhe bina baat kiye...tera saya aage badta gya...yahi zindgee hai...hum umar bhar saye ke sath chalte hai...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

आपकी कविता में आपके जज़्बात झलकते हैं, जो कहना चाहतीं हैं वो बात झलकते हैं
वीरानियों के मंज़र नज़र आते गए, खामोशियों के कई सौगात झलकते हैं
बहत खूब ....

प्रिया ने कहा…

do sayon ki guftgu achchi lagi

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

अच्छी कविता के लिये बधाई

Arvind Gaurav ने कहा…

दिल को छु गयी आपकी ये कविता

shama ने कहा…

Vabdnaji mere updated kavita blog kee aapko URL detee hun..is blog pe aapko anusaran kartaon me paya to 2 rachnayen post kar deen..warna use to bhoolhee gayi thee..!

http//kavitasbyshama.blogspot.com

Kshama chahtee hun!

जयंत - समर शेष ने कहा…

साए में बहुत गहराई थी..
माना की ऊपरखामोशी थी..
और वीरानी थी..
पर एक कहानी thi..

Sajal Ehsaas ने कहा…

aapko aaj tak aine itna padha hai(aur yakeen kijiye wo bahut hai,haalanki aapne kabhi mera blog nahi padha shayad :( ... ) mere hisaab se ye usme se sarvshresth rachna hai....jis tarah har pankti me sirf 2-3 shabdo ka prayog hua hai,uska ek jadooyi sa asar hotaa hai...bhaav bahut achhe hai aur kis khoobsoorati se zaahir kiye gaye hai...behatareen

आंखों में
वहां शमशान की ...in panktiyo me mujhe lagta hai "वहां " shabd ke bagair pankti ka flow zyaada sahi rahega....ek sujhaav

निर्मला कपिला ने कहा…

dil ko andar tak prabhavit kiya hai is kavita ne baghai

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहूत संजीदा लिखा है........... गहरे अर्थ हैं.......

SAHITYIKA ने कहा…

bahut hi badhiya kvita..
mujhe malum nahi mujhe kahna chahiye yaa nahi.. lekin phir bhi mujhe lagta hai . yadi kavita ka ant pehle ki lines ki tarah ryming hota to jayada prabhavi hota.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया रचना है।बधाई।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

उस अजनबी मोड़ पर
बिना रुके
बिना मुडे
बिना देखे
बिना बात किए
तेरा साया
आगे बढ़ता गया
और मेरा साया
तेरे साये के
क़दमों के निशां तले
तेरे मेरे रिश्ते की
राख को
संजोता रहा


वंदनाजी,क्या खूब शब्द चित्र बनाया है, और ऊपर की पंक्तियाँ तो ह्रदय निकाल कर ले जा रही हैं. बस.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण. बधाई.

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana .

just one word......

ULTIMATE ..... ye ab tak likhi sabse best hai boss...

main speachless hoon aapki is shaandar abhivyakti par ...

antim pankhtiyon ne to dil ko rok diya ji ...

main aur kya kahun .. kuch samaj nahi aa raha hai .....