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शनिवार, 7 मार्च 2020

ठहरना एक खामोश क्रिया है

मुझे
न कहीं जाना है न आना है
मुझे तो यहीं कहीं ठहरना है
जैसे ठहरती है धूप आँगन में
जैसे ठहरती है उम्मीद मन में
जैसे ठहरती है आशा जीवन में

नैराश्य के गह्वरों से
दूर बनाया है मैंने अपना आशियाना
यहाँ सुबह है
सांझ है
हवा है
बारिश है
मिटटी की सौंधी खुशबू है
कण कण में व्याप्त है जीवन

जीवन वो नहीं जो जीया जा रहा है
जीवन वो है जिसने बताया तुम्हें
कहाँ ठहरना है
कहाँ छोडनी है अपनी छाप
कि
कायनात के अंत के बाद भी
बचे रहें मेरी मुस्कराहट के बीज
कि
रक्तबीज सी उगूँ
और कण कण में बिखेर दूँ
खिलखिलाहट का बीज
हर चेहरे की मुस्कराहट के ताबीज में मिलूँ
तो जान लेना
मैंने जान लिया है ठहरना
मैंने पा लिया है अपना होना
शंखनाद सी गूंजूं और हो जाए ज़िन्दगी मुकम्मल

जहाँ आने और जाने में शोर है
वहीं ठहरना एक खामोश क्रिया है
जो किसी प्रतिक्रिया की मोहताज नहीं
करके आने जाने से मुक्त ...मुझे ठहरने दो
क्योंकि
मुसाफिर नहीं जो दो घूँट जल पी जल दूँ गंतव्य पर ...

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर।

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )

12 मार्च २०२० को साप्ताहिक अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/


टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'





'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )

12 मार्च २०२० को साप्ताहिक अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/


टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'





रेणु ने कहा…

मन का मन से ही गहरा संवाद | हार्दिक शुभकामनाएं और आभार |